NALANDA: बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली से हर कोई वाकिफ है। सरकारी स्कूलों में संसाधनों की कमी के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं। ताजा मामला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा से सामने आई है, जहां सरकारी स्कूल में बेंच की कमी के कारण छात्रों को जमीन पर बैठकर परीक्षा देना पड़ रहा है। परीक्षा के दौरान कदाचार की भी खुली छूट मिली है। अब ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बिहार में ध्वस्त हो चुकी शिक्षा व्यस्था को दुरुस्त करने का जिम्मा उठा चुके शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक क्या इस मामले में एक्शन लेंगे?
दरअसल, बिहार के स्कूलों में 9वीं से लेकर 12वीं तक की परीक्षा आयोजित की जा रही है। नालंदा के सिलाव स्थित गांधी उच्य विद्यालय के परीक्षा केंद्र पर 1150 छात्र- छात्राओं का सेंटर दिया गया है। बड़ी संख्या में छात्रों का सेंटर पड़ने के कारण स्कूल की व्यवस्था चरमरा गई है। स्कूल में पर्याप्त जगह और बेंच की कमी के कारण छात्रों को जमीन पर बैठकर परीक्षा देना पड़ रहा है। वहीं जो बेंच हैं भी तो उसपर एक-एक बेंच पर 4-4 छात्र बैठकर परीक्षा दे रहे हैं। जिसके कारण कदाचार भी खूब हो रहा है।
स्कूल की प्राचार्या रेणु कुमारी ने बताया कि स्कूल में 1150 छात्रों का सेंटर है और कमरों की संख्या सिर्फ 8 है, जिसके कारण जगह कम पड़ गई है। जिसके कारण छात्र बरामदा में और जमीन पर बैठकर परीक्षा दे रहे हैं। बता दें कि बिहार के सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के लिए शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक लगातार सख्त फैसले ले रहे हैं। केके पाठक लगातार स्कूलों का निरीक्षण भी कर रहे हैं बावजूद इसके नालंदा में उनकी सख्ती का असर होता नहीं दिख रहा है। ऐसे में इलाके के लोग सवाल पूछ रहे हैं कि क्या इस मामले में भी केके पाठक कोई एक्शन लेंगे?