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1st Bihar Published by: Updated Sun, 08 Mar 2020 02:19:53 PM IST
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PATNA : महिला दिवस के मौके पर बिहार की इस महिला आईएएस अधिकारी की चर्चा लाजिमी है।महिला सशक्तिकरण का जीता जागता उदाहरण शेखपुरा की महिला तेज़ तर्रार अधिकारी इनायत खान अपने सर्वधर्म सम्भाव रखनेवाली कार्यशैली को लेकर अक्सर चर्चाओं में रहती हैं। समन्वय समिति की मीटिंग में लापरवाह अधिकारियों को फटकार और कर्मठ अधिकारियों को प्रोत्साहन देना उनकी कार्यशैली की खासियत है। समाज के लोगों को अपनी बेटियों को पढ़ाने, बढ़ाने और उसकी जिंदगी जीने का संदेश दे रही हैं।
शेखपुरा की डीएम इनायत खान अचानक उस वक्त सुर्खियों में आ गयी थी जब पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए उनकी बेटियों को गोद लेने की घोषणा की थी। शहीद सीआरपीएफ जवान संजय कुमार सिन्हा और रतन कुमार ठाकुर की एक-एक बेटी को गोद लेने की घोषणा कर उन्होनें लोगों के दिलों में अपनी जगह बना ली थी। उन्होनें शहीदों की बेटियों का आजीवन पूरी परवरिश का खर्च उठा रखा है।
इनायत खान की पहचान एक कड़क आईएएस ऑफिसर के तौर पर है। इनायत खान ने साल 2011 में सिविल सेवा परीक्षा में परचम लहराया था। उन्होंने ऑल इंडिया में 176वां रैंक प्राप्त किया था। जिसके बाद उन्हें बिहार कैडर मिला था। इनायत खान ने साल 2007 में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। इसके बाद देश के एक नामी सॉफ्टवेयर कंपनी में एक साल नौकरी की। लेकिन वहां उन्हें मन नहीं लगा। उनका सपना आईएएस बनने का था। साल 2009 में उन्होंने पहली बार आईएएस का एग्जाम दिया। तीन चरणों वाले इस कठिन परीक्षा में उन्होंने पीटी, मेंस पास किया। लेकिन फाइनल में उनका रिजल्ट नहीं हुआ। इसके बाद उनका चयन आरआरबी यानि ग्रामीण बैंक में हुआ। लेकिन वो मानने वाली कहां थी। इनायत ने दिल्ली के मुखर्जी नगर के पास गांधी विहार में एक कमरा लेकर फिर से आईएएस की तैयारी में जुट गईं। साल 2011 में फिर से वो सिविल सेवा की परीक्षा में अपीयर हुईं। इस बार उन्हें 176वां स्थान प्राप्त हुआ और वो बिहार कैडर की आईएएस बनीं।
इनायत खान की पहली पोस्टिंग पटना जिले में हुई। यहां वो असिस्टेंट कलेक्टर के तौर पर काम कीं। इसके बाद इनायत खान की पोस्टिंग राजगीर में हुई। इनायत खान राजगीर की एसडीओ रहीं। राजगीर के बाद इनायत खान का तबादला भोजपुर कर दिया गया। जहां उन्हें डीडीसी बनाया गया। इनायत खान की असली पहचान भोजपुर में बनी। जहां उन्हें कड़क अफसर का तमगा मिला।भोजपुर में उन्होंने प्रत्येक प्रखंड में कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरा और बायोमेट्रिक हाजिरी लगवाई। साथ ही सरकारी बाबुओं पर शिकंजा कसा । इसके लिए खुद वो स्टेशन परिसर में कुर्सी लगाकर बैठ जातीं और रोजाना पटना जाने वाले अधिकारियों की क्लास लगातीं थी।सरकारी बाबूओं पर शिकंजा कसने के साथ साथ मनमौजी अफसरों की हवा भी इनायत ने टाइट कर दी थी। जिले में चल रहे कामों का औचक निरीक्षण के लिए वे गाड़ी खड़ी कर दनदनाते हुए पैदल ही चल पड़तीं थी।