बिहार : प्रोफेसर बनने के लिए राजभवन ने तय की योग्यता, अब चाहिए इतने साल का अनुभव

बिहार : प्रोफेसर बनने के लिए राजभवन ने तय की योग्यता, अब चाहिए इतने साल का अनुभव

PATNA : राज्य के अंदर अब प्रोफेसर बनने के लिए योग्यता राजभवन के तरफ से तय कर दिया गया है। इसको लेकर राजभवन ने अधिसूचना भी जारी कर दिया है। अधिसूचना के मुताबिक प्रोफेसर पद पर आवेदन के लिए अब आवेदक को एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में पांच वर्ष का अनुभव अथवा रीडर/ सिलेक्शन ग्रेड लेक्चरर के रूप में कम से कम आठ साल सेवा का अनुभव जरूरी रहेगा।


दरअसल, राजभवन की तरफ से ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी की तरफ से इसको लेकर जो अधिसूचना जारी की गई है उसमें यह कहा गया है कि, अब राज्य के अंदर ऐसोसिएट प्रोफेसर के लिए सिलेक्शन ग्रेड लेक्चरर को पीएचडी डिग्री होना अनिवार्य होगा। इस संबंध में विश्वविद्यालय के कुलपति को अवगत करा दिया गया है।  नये नियमों के तहत किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी अनिवार्य नहीं होगी. इसके लिए अब सिर्फ यूजीसी की राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी नेट) क्वालिफाइ करना पर्याप्त माना जायेग। इससे पहले यूनिवर्सिटियों में पढ़ाने के लिए पीएचडी की डिग्री अनिवार्य थी। लेकिन, अब नये नियमों से छात्रों को राहत मिलेगी। 


इसके अलावा पीएचडी कोर्स को लेकर नये नियम लागू किये गये हैं, नये नियम में पीएचडी के लिए अधिकतम छह साल का समय दिया गया है।  उम्मीदवारों को री-रजिस्ट्रेशन के जरिये ज्यादा-से-ज्यादा दो साल का और समय दिया जायेगा। नये नियम के तहत ऑनलाइन या डिस्टेंस लर्निंग से पीएचडी करने पर रोक लगा दी गयी है। इससे पहले थीसिस जमा कराने से पहले शोधार्थी को कम-से-कम दो शोधपत्र छपवाना पड़ते थे।  अब नये नियमों में रिसर्च की प्रक्रिया के दौरान दो रिसर्च पेपर छपवाने की अनिवार्यता खत्म कर दी गयी है। 


आपको बताते चलें कि, यूजीसी की और से पीएचडी कोर्स को लेकर नए नियम लागू किए गए थे। नए नियम के तहत PhD के लिए उम्मीदवारों को एडमिशन की डेट से अधिकतम छह साल का समय दिया जाएगा। उम्मीदवारों को री-रजिस्ट्रेशन के जरिए ज्यादा से ज्यादा दो साल का और समय दिया जाएगा। यूजीसी चेयरमैन ने इसकी जानकारी दी थी।