Success Story: कई बार असफल होने के बावजूद नहीं टूटे हौसले, जुनून ने बना दिया अधिकारी, दिलचस्प है IAS प्रियंका गोयल की सक्सेस स्टोरी

Success Story: छह बार असफल होने के बाद भी हार नहीं मानी और आखिरकार IAS बनीं प्रियंका गोयल। 2022 की UPSC सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 369 हासिल कर उन्होंने लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा की मिसाल पेश की।

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Sat, 27 Dec 2025 07:59:58 PM IST

Success Story

सफलता की कहानी - फ़ोटो Google

Success Story: यूपीएससी की राह आसान नहीं होती। यह परीक्षा सिर्फ बुद्धिमत्ता की नहीं, बल्कि हौसले, धैर्य और बार-बार टूटकर फिर खड़े होने की ताकत की भी कसौटी होती है। हर साल लाखों युवा इस परीक्षा में शामिल होते हैं, लेकिन मंजिल तक पहुंचने का सौभाग्य कुछ ही को मिलता है। इन्हीं चुनिंदा नामों में एक नाम है IAS प्रियंका गोयल, जिनकी कहानी यह साबित करती है कि बार-बार गिरना हार नहीं, बल्कि जीत की तैयारी होती है। छह प्रयासों के बाद प्रियंका ने वह कर दिखाया, जिसका सपना लाखों अभ्यर्थी देखते हैं।


प्रियंका गोयल की शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के पीतमपुरा स्थित महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल से हुई। उन्होंने बारहवीं कक्षा में 93 प्रतिशत अंक प्राप्त किए, जो शुरू से ही उनकी मेहनत और लगन को दर्शाता है। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के केशव महाविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई में अनुशासन और निरंतरता आगे चलकर उनके यूपीएससी सफर की सबसे बड़ी ताकत बनी।


प्रियंका ने वर्ष 2016 में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की और 2017 में पहला प्रयास किया, हालांकि यह प्रयास सफल नहीं हो सका। उन्होंने हार मानने के बजाय अपनी कमियों का विश्लेषण किया और आगे बढ़ती रहीं। अगले ही साल उन्हें एक ऐसा झटका लगा, जिसने किसी को भी तोड़ सकता था—वे प्रीलिम्स परीक्षा में महज 0.3 अंकों से चूक गईं। यह पल बेहद निराशाजनक था, लेकिन यहीं से उनकी असली परीक्षा शुरू हुई। लगातार असफलताओं के बावजूद उन्होंने खुद पर भरोसा बनाए रखा और तैयारी जारी रखी।


लगातार संघर्ष, आत्ममंथन और कठोर परिश्रम के बाद 2022 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में प्रियंका गोयल ने अपने छठे प्रयास में सफलता हासिल की। उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 369 प्राप्त कर आईएएस अधिकारी बनने का सपना पूरा किया। यह सफलता किसी एक दिन की मेहनत का परिणाम नहीं, बल्कि वर्षों की तपस्या और समर्पण की कहानी है।


प्रियंका की तैयारी का सबसे खास पहलू उनका अनुशासन रहा। रिपोर्ट्स के अनुसार, अंतिम प्रयास से पहले उन्होंने करीब दो महीने तक रोजाना 17–18 घंटे पढ़ाई की। सीमित समय में खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करना आसान नहीं होता, लेकिन प्रियंका ने इसे संभव कर दिखाया। उनका मानना था कि लंबे समय की तैयारी के साथ-साथ अंतिम दौर में फोकस और निरंतरता सबसे अधिक मायने रखती है।


प्रियंका गोयल एक साधारण परिवार से आती हैं। उनके पिता व्यवसायी हैं और मां गृहिणी। परिवार ने हर कठिन दौर में उनका पूरा साथ दिया। कई बार जब परिणाम निराशाजनक रहे, तब परिवार का भरोसा और समर्थन ही उनका सबसे बड़ा संबल बना।


आज प्रियंका गोयल सोशल मीडिया पर भी युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। इंस्टाग्राम पर उनके दो लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं। उनकी कहानी यह याद दिलाती है कि यूपीएससी केवल टॉप रैंक लाने वालों की परीक्षा नहीं, बल्कि उन लोगों की भी परीक्षा है जो असफलताओं से लड़कर फिर उठते हैं। प्रियंका का सफर उन सभी अभ्यर्थियों के लिए उम्मीद की किरण है, जो बार-बार की नाकामियों से थक चुके हैं।