ब्रेकिंग न्यूज़

Aadhaar Update: अब लाइन में खड़े होने की नहीं है जरूरत, ऐसे होगा आधार अपडेट; जान लें नियम Purnea News: पूर्णिया में माहौल बिगाड़ने की कोशिश, असामाजिक तत्वों ने देवी-देवताओं की मूर्तियों से की तोड़फोड़; गुस्साए लोगों ने किया बवाल BIHAR NEWS : तेज रफ़्तार का कहर ! बेलगाम ट्रक ने बाइक सवार को मारी टक्कर,मौके पर एक की मौत Purnea News: पूर्णिया में पावर कट से बढ़ी परेशानी, लोगों ने बिजली विभाग के खिलाफ खोला मोर्चा Purnea News: पूर्णिया में पावर कट से बढ़ी परेशानी, लोगों ने बिजली विभाग के खिलाफ खोला मोर्चा Bihar Politics : मुकेश सहनी का अमित शाह और मोदी पर निशाना, पलायन और रोजगार पर उठाए सवाल, कहा - बिहार के युवकविहीन गांव पर नहीं खुल रहा मुहं Bihar News: घर बनाते वक्त करंट की चपेट में आए मजदूर, तीन की मौत; एक गंभीर रुप से घायल Bihar News: विधायकों की खरीद-फरोख्त केस में बड़ी कार्रवाई, EOU के सामने भागीरथी देवी और दिलीप राय ने दी पूरी जानकारी; बढ़ सकती है इनकी टेंशन Bihar News: पेट्रोल पंप मालिक की बूढ़ी गंडक नदी में मिला शव, परिवार ने जताई साजिश की आशंका Building Department : भवन निर्माण विभाग का टेंडर घोटाला, कटघरे में कई अधिकारी; डीएम ने जांच के दिए आदेश

बिहार के मुख्य सचिव और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के खिलाफ हाईकोर्ट में शिकायत, शिक्षकों के EPF मामले में अवमानना वाद दायर

1st Bihar Published by: Updated Mon, 01 Mar 2021 06:48:26 PM IST

बिहार के मुख्य सचिव और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के खिलाफ हाईकोर्ट में शिकायत, शिक्षकों के EPF मामले में अवमानना वाद दायर

- फ़ोटो

PATNA : बिहार के मुख्य सचिव और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव समेत कई अधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट में शिकायत दर्ज की गई है. बिहार के पंचायती राज और नगर निकायों के अंतर्गत विभिन्न ईकाइयों में कार्यरत शिक्षकों और पुस्तकालाध्यक्षों को पटना उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन और कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम1952 के प्रावधानों के अनुसार उनकी नियुक्त तिथि से ईपीएफ का लाभ नहीं देने को लेकर पटना उच्च न्यायालय में अवमानना वाद दायर की गई है. 


बिहार के मुख्य सचिव और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के अलावा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय आयुक्त, माध्यमिक शिक्षा के डायरेक्टर और प्राइमरी शिक्षा के निदेशक के विरुद्ध पटना उच्च न्यायालय में अवमानना वाद (एमजेसी-781/2021) दायर की गई है. अवमानना वाद दायर करने वाले शिक्षक नेता सिद्धार्थ शंकर ने बताया कि पटना उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय द्वारा दिनांक 17 सितंबर, 2019 को दिये गए अपने न्यायाधेश (सीडब्ल्यूजेसीनंबर-1906/2019) में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय आयुक्त को नियोजित शिक्षकों को 60 दिनों के अंदर कर्मचारी भविष्यनिधि अधिनियम 1952 के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करते हुए नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालाध्यक्षों को ईपीएफ का लाभ देना सुनिश्चित किया जाए. मगर राज्य सरकार द्वारा पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधेश व कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए नियुक्त तिथि से ईपीएफ का लाभ न देकर 31 अगस्त, 2020 तक नियुक्त शिक्षकों व पुस्तकालाध्यक्षों को 01 सितंबर, 2020 से तथा 31अगस्त, 2020 के बाद नियुक्त शिक्षकों व पुस्तकालाध्यक्षों को उनकी नियुक्त तिथि से ईपीएफ का लाभ देने का आदेश जारी किया. 


साथ ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने शिक्षकों व पुस्तकालाध्यक्षों के नियुक्ति तिथि को भी ईपीएफ प्रपत्र में 01 सितंबर, 2020 भरने का निर्देश जारी किया गया तथा उनसे भरवाया भी गया। शिक्षक नेता सिद्धार्थ शंकर ने कहा कि उच्च न्यायायालय के न्यायाधेश में स्पष्ट निर्देश था कि ईपीएफ एक्ट का सख्ती से पालन करते हुए उसके अनुरुप ही ईपीएफ का लाभ दिया जाए। उन्होंने कहा कि कर्मचारी भविष्यअधिनियम 1952 के पारा 26 (2) में स्पष्ट प्रावधान है कि किसी भी कर्मचारी को भविष्यनिधि का लाभ उसकी नियुक्त तिथि से दिया जाना है। साथ ही धारा 1 (2) में स्पष्ट किया गया है कि किसी भी विभाग/संगठन में 20 या उससे अधिक एवं नियुक्ति के समय पारिश्रमिक 6500 रुपए या उससे कम (वर्ष 2001 के अनुसार) या 15000 रुपए या उससे कम (वर्ष 2014 के अनुसार) पर कार्यरत हों तो उनका भविष्यनिधि संगठन से निबंधन तथा उनकी भविष्यनिधि कटौती करना अनिवार्य है। ज्ञात हो कि वर्ष 2006 से लेकर 2014 तक नियुक्त शिक्षकों व पुस्तकालाध्यक्षों का वेतन ईपीएफ लाभ देने के लिए ईपीएफ एक्ट के प्रावधानों के अनुरूप था। 


उन्होंने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 के प्रावधानों तथा पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधेश का हवाला देते हुए मैंने कर्मचारी भविष्यनिधि आयुक्त समेत राज्य के मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के अधिकारियों व श्रमायुक्त को आवेदन देकर पटना उच्च न्यायालय के न्यायादेश एवं ईपीएफ एक्ट 1952 के अनुरूप ही नियुक्ति तिथि से लाभ देने की गुहार लगाई मगर ना ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अपने आदेश में कोई सुधार किया और ना ही कर्मचारी भविष्यनिधि आयुक्त ने इस मामले में कोई कार्रवाई की। उन्होंने कहा कि न्यायालय के आदेश का पालन न होने के कारण ही मैंने पटना उच्च न्यायालय में अवमाननावाद दायर किया है.