Bihar Election 2025: दूसरे चरण की वोटिंग से पहले RJD ने पूर्व विधायक समेत उसके दो बेटों को पार्टी से निकाला, लगाए यह गंभीर आरोप Bihar Election 2025: दूसरे चरण की वोटिंग से पहले RJD ने पूर्व विधायक समेत उसके दो बेटों को पार्टी से निकाला, लगाए यह गंभीर आरोप Bihar Election 2025: गोपालगंज में दलितों की पिटाई पर भड़के जीतन राम मांझी, बोले- RJD दलित समाज की दुश्मन, यह उनका नेचर Bihar Election 2025: गोपालगंज में दलितों की पिटाई पर भड़के जीतन राम मांझी, बोले- RJD दलित समाज की दुश्मन, यह उनका नेचर Patna robbery : पटना में दिनदहाड़े 10 लाख की लूट: अपराधियों ने DCM ड्राइवर को मारी गोली, मचा हड़कंप Indian Railways : भारतीय रेलवे की नई पहल,ट्रेन में यात्रियों को मिलेगा स्वादिष्ट खान; ऐप से ई-कैटरिंग सेवा शुरू Bihar Election 2025: दूसरे चरण की वोटिंग से पहले बिहार पुलिस का एक्शन, झारखंड की सीमा से हार्डकोर नक्सली अरेस्ट Jharkhad DGP Tadasha Mishra: झारखंड की पहली महिला DGP बनीं तदाशा मिश्रा, पदभार ग्रहण करने के बाद क्या बोलीं? Jharkhad DGP Tadasha Mishra: झारखंड की पहली महिला DGP बनीं तदाशा मिश्रा, पदभार ग्रहण करने के बाद क्या बोलीं? Bihar Election 2025: यूपी के रेलवे स्टेशन से करीब एक करोड़ कैश के साथ पकड़ा गया मोकामा का शख्स, बिहार चुनाव से तार जुड़ने की आशंका
1st Bihar Published by: Updated Mon, 01 Mar 2021 06:48:26 PM IST
- फ़ोटो
PATNA : बिहार के मुख्य सचिव और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव समेत कई अधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट में शिकायत दर्ज की गई है. बिहार के पंचायती राज और नगर निकायों के अंतर्गत विभिन्न ईकाइयों में कार्यरत शिक्षकों और पुस्तकालाध्यक्षों को पटना उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन और कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम1952 के प्रावधानों के अनुसार उनकी नियुक्त तिथि से ईपीएफ का लाभ नहीं देने को लेकर पटना उच्च न्यायालय में अवमानना वाद दायर की गई है.
बिहार के मुख्य सचिव और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के अलावा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय आयुक्त, माध्यमिक शिक्षा के डायरेक्टर और प्राइमरी शिक्षा के निदेशक के विरुद्ध पटना उच्च न्यायालय में अवमानना वाद (एमजेसी-781/2021) दायर की गई है. अवमानना वाद दायर करने वाले शिक्षक नेता सिद्धार्थ शंकर ने बताया कि पटना उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय द्वारा दिनांक 17 सितंबर, 2019 को दिये गए अपने न्यायाधेश (सीडब्ल्यूजेसीनंबर-1906/2019) में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय आयुक्त को नियोजित शिक्षकों को 60 दिनों के अंदर कर्मचारी भविष्यनिधि अधिनियम 1952 के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करते हुए नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालाध्यक्षों को ईपीएफ का लाभ देना सुनिश्चित किया जाए. मगर राज्य सरकार द्वारा पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधेश व कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए नियुक्त तिथि से ईपीएफ का लाभ न देकर 31 अगस्त, 2020 तक नियुक्त शिक्षकों व पुस्तकालाध्यक्षों को 01 सितंबर, 2020 से तथा 31अगस्त, 2020 के बाद नियुक्त शिक्षकों व पुस्तकालाध्यक्षों को उनकी नियुक्त तिथि से ईपीएफ का लाभ देने का आदेश जारी किया.
साथ ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने शिक्षकों व पुस्तकालाध्यक्षों के नियुक्ति तिथि को भी ईपीएफ प्रपत्र में 01 सितंबर, 2020 भरने का निर्देश जारी किया गया तथा उनसे भरवाया भी गया। शिक्षक नेता सिद्धार्थ शंकर ने कहा कि उच्च न्यायायालय के न्यायाधेश में स्पष्ट निर्देश था कि ईपीएफ एक्ट का सख्ती से पालन करते हुए उसके अनुरुप ही ईपीएफ का लाभ दिया जाए। उन्होंने कहा कि कर्मचारी भविष्यअधिनियम 1952 के पारा 26 (2) में स्पष्ट प्रावधान है कि किसी भी कर्मचारी को भविष्यनिधि का लाभ उसकी नियुक्त तिथि से दिया जाना है। साथ ही धारा 1 (2) में स्पष्ट किया गया है कि किसी भी विभाग/संगठन में 20 या उससे अधिक एवं नियुक्ति के समय पारिश्रमिक 6500 रुपए या उससे कम (वर्ष 2001 के अनुसार) या 15000 रुपए या उससे कम (वर्ष 2014 के अनुसार) पर कार्यरत हों तो उनका भविष्यनिधि संगठन से निबंधन तथा उनकी भविष्यनिधि कटौती करना अनिवार्य है। ज्ञात हो कि वर्ष 2006 से लेकर 2014 तक नियुक्त शिक्षकों व पुस्तकालाध्यक्षों का वेतन ईपीएफ लाभ देने के लिए ईपीएफ एक्ट के प्रावधानों के अनुरूप था।
उन्होंने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 के प्रावधानों तथा पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधेश का हवाला देते हुए मैंने कर्मचारी भविष्यनिधि आयुक्त समेत राज्य के मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के अधिकारियों व श्रमायुक्त को आवेदन देकर पटना उच्च न्यायालय के न्यायादेश एवं ईपीएफ एक्ट 1952 के अनुरूप ही नियुक्ति तिथि से लाभ देने की गुहार लगाई मगर ना ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अपने आदेश में कोई सुधार किया और ना ही कर्मचारी भविष्यनिधि आयुक्त ने इस मामले में कोई कार्रवाई की। उन्होंने कहा कि न्यायालय के आदेश का पालन न होने के कारण ही मैंने पटना उच्च न्यायालय में अवमाननावाद दायर किया है.