1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Tue, 30 Dec 2025 05:20:54 PM IST
टूट के कगार पर महागठबंधन! - फ़ोटो Google
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की हुई करारी हार को कांग्रेस और आरजेडी अभी तक भूल नहीं पा रहे हैं। दोनों दलों के नेता एक-दूसरे पर नाकामी का ठिकरा फोर रहे हैं। एक तरफ जहां बिहार चुनाव में दुर्गति के लिए कांग्रेस आरजेडी को जिम्मेवार बता रही है तो वहीं दूसरी तरह आरजेडी ने भी कह दिया है कि कांग्रेस से गठबंधन के कारण ही राष्ट्रीय जनता दल को नुकसान उठाना पड़ा है।
दरअसल, बिहार में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों ने आरजेडी और कांग्रेस की नींद उड़ा दी है। बिहार में नई सरकार गठन के बाद मंत्रियों के बीच विभाग का बंटवारा तक हो गया लेकिन आरजेडी और कांग्रेस अपनी करारी हार को पचा नहीं पा रहे हैं। चुनावी नतीजों के बाद अब कांग्रेस बिहार में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही तो वहीं आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव हार से इतने दुखी हो गए कि उन्होंने बिहार ही छोड़ दिया है।
सोशल मीडिया के जरिए हर दिन सरकार की बखिया उधेड़ने वाले तेजस्वी यादव ने खुद को एक्स और फेसबुक से तो किनारे कर ही लिया है अब वह बिहार की राजनीति से धीरे-धीरे आउट होते जा रहे हैं। तेजस्वी यादव कहां है, शायद उनक पार्टी के लोगों को भी इसकी जानकारी नहीं है। तेजस्वी की गैर मौजूदगी में कमान पार्टी के नेता संभाल रहे हैं और किसी तरह से पार्टी को जीवित रखने की कोशिश में लगे हैं।
इसी बीच महागठबंधन में शामिल कांग्रेस विधायक दल के पूर्व नेता शकील अहमद खान ने चुनावी हार के लिए आरजेडी को जिम्मेवार बता दिया और कहा कि राजद से गठबंधन एक घाटे का सौदा है। उन्होंने कहा था कि बिहार में महागठबंधन अब सिर्फ औपचारिक रह गया है। आरजेडी के साथ गठबंधन से पार्टी को न तो चुनावी लाभ मिला और ना ही संगठन को मजबूती। ऐसे में नेतृत्व को इस गठबंधन पर विचार करने की जरूरत है।
कांग्रेस नेता के इस बयान पर अब आरजेडी ने तीखी पलटवार किया है। आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा दूसरों पर सवाल उठाने वाले पहले खुद की हालत देख लें। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी को जो भी वोट मिलता है, वह RJD की बदौलत ही मिलता है। कांग्रेस को आरजेडी से नहीं बल्कि आरजेडी को कांग्रेस से सिर्फ नुकसान होता है। दूसरों पर ऊंगली उठाने से पहले कांग्रेस पहले अपने गिरते जनाधार को देख ले। चुनाव में कांग्रेस जितनी सीटें ले लेती है, उतनी सीटें जीत नहीं पाती है। ऐसे में वह सिर्फ नुकसान ही पहुंचाती है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है लेकिन वह जनाधार क्यों खोती जा रही है, यह सबको समझना होगा। कांग्रेस क्यों सिकुड़ती जा रही है, इसपर न उन्हें आत्मचिंतन करना चाहिए। सीट बंटवारे के दौरान हाय तौबा मचाकर सीट तो कांग्रेस ले लेती है लेकिन उसे बर्बाद कर देती है। कांग्रेस का बिहार में है ही क्या वह तो आरजेडी की बदौलत कुछ वोट हासिल कर लेती है। आरजेडी की ताकत पर ही चुनाव में ये लोग चलते हैं और हमें ही ज्ञान दे रहे हैं।
बहरहाल, चुनावी के नतीजों के बाद बिहार में महागठबंधन टूट के कगार पर जा पहुंची है। हार से दुखी महागठबंधन के बड़े नेता राजनीति से नदारद हो गए हैं तो वहीं पार्टी भगवान भरोसे चल रही है। विपक्ष के सीएम और डिप्टी सीएम उम्मीदवार भी दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। वहीं कांग्रेस और आरजेडी ने नेताओं के बीच बयानों के बाण चल रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या वाकई बिहार में महागठबंधन सिर्फ औपचारिक रह गया है?
ब्यूरो रिपोर्ट, फर्स्ट बिहार-झारखंड