PATNA : 72वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को गृह मंत्रालय द्वारा इन पुरस्कारों की घोषणा की गई. बिहार की पांच हस्तियों को पद्म भूषण और पद्म श्री सम्मान से नवाजे गए हैं. बिहार के किसी भी शख्सियत को पद्म विभूषण सम्मान नहीं मिला है. इस बार जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे, गायक एसपी बालासुब्रमण्यम (मरणोपरांत), सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन साहू, आर्कियालॉजिस्ट बीबी लाल, डॉक्टर बेले मोनप्पा हेगड़े (मेडिसिन), श्री नरिंदर सिंह कपनी (मरणोपरांत) साइंस एंड इंजीनियरिंग, मौलाना वहीदुद्दीन खान (अध्यात्मवाद) को पद्म विभूषण के लिए चुना गया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को मरणोपरांत पद्मभूषण सम्मान दिया जाएगा. लोकसेवा में उल्लेखनीय काम के लिए उन्हें ये सम्मान दिया जा रहा है.
बिहार के 5 लोगों को पद्म सम्मान
केंद्र सरकार की ओर से पद्म सम्मान के लिए जारी सूची के मुताबिक बिहार के पांच लोगों को इस दफे पुरस्कार दिया जा रहा है. रामविलास पासवान को पद्मभूषण के अलावा स्व. मृदुला सिन्हा समेत चार को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जायेगा. पद्मश्री सम्मान पाने वाले बिहारियों में चिकित्सक डॉ दिलीप कुमार सिह के अलावा मधुबनी पेंटिंग की कलाकार दुलारी देवी और कलाकार रामचंद्र मांझी शामिल हैं.
कौन हैं दुलारी देवी
बिहार के मधुबनी जिले के रांटी गांव की दुलारी देवी मधुबनी पेंटिंग कलाकार हैं. उनका जीवन संघर्षपूर्ण रहा है. मल्लाह जाति से आने वाली दुलारी देवी की शादी 12 वर्ष में ही हो गई, जिसके बाद वे ससुराल आ गईं. इसी दौरान वे मशहूर और ख्यातिलब्ध कलाकार कर्पूरी देवी के घर झाड़ू-पोंछा का काम करने लगी. दुलारी देवी बताती हैं कि इस दौरान फुर्सत के समय में अपने घर-आंगन को माटी से पोतकर, लकड़ी की कूची बना कल्पनाओं को आकृति देने लगी.
एपीजे अब्दुल कलाम भी थे पेंटिंग के मुरीद
दुलारी देवी के पेंटिंग के मुरीद पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आजाद भी थे. इससे पहले बिहार सरकरा ने भी दुलारी देवी को सम्मानित किया था. दुलारी देवी 7 हजार से ज्यादा पेंटिंग बना चुकी हैं. वैसे उनका गांव राटी मधुबनी पेंटिंग का गढ माना जाता है. ये तीसरा मौका है, जब मधुबनी जिले के रांटी गांव के किसी व्यक्ति को पद्य सम्मान से नावाज जाएगा. दुलारी देवी से पहले गांव के और दो लोगों को यह सम्मान मिल चुका है.
95 साल के मांझी को मिला पद्मश्री
भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर की टोली में रंगमंच पर नाट्य कला का जादू बिखेरने वाले रामचंद्र मांझी की कला को 95 साल की उम्र में सम्मान मिला है. केंद्र सरकार ने उन्हें पद्मश्री देने का एलान किया है. वैसे भिखारी ठाकुर भी किसी दौर में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किये गये थे.
लौंडा नाच की परंपरा
छपरा के रामचंद्र मांझी भिखारी ठाकुर की मंडली में शामिल थे. उनके विश्व प्रसिद्ध नाटक विदेशिया में रामचंद्र मांझी वेश्या की भूमिका निभाते थे. उम्र के इस पड़ाव पर भी वे लौंडा नाच की कला को जिंदा रखने के लिए प्रयासरत रहते हैं. दो साल पहले उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिया गया था.. प्रसिद्ध नाटककार स्वर्गीय भिखारी ठाकुर की परंपरा को जीवित रखने वाले रामचंद्र मांझी उन कलाकारों की एक आस बनें है जो सूचना और प्रौद्योगिकी के इस युग में खोती जा रही विधाओं के संरक्षण में दिन रात कार्यरत हैं.
बिहार के इकलौते दलित रंगकर्मी
रामचंद्र मांझी अपने दौर में बिहार के इकलौते दलित रंगकर्मी रहे हैं. वैसे भी भिखारी ठाकुर अपने नाटकों में दलित पिछड़ों के दर्द को जिस अंदाज से शामिल करते थे वह मौजूदा समय में भी किसी नाटककार के लिए काफी मुश्किल काम है. ये भी जानना जरूरी है कि बिहार और उत्तर प्रदेश से जुड़े कलाकारों को मिलने वाले इस सर्वोच्च सम्मान में रामचंद्र पहले ऐसे कलाकार हैं जो दलित समाज से आते हैं. यह सम्मान उनकी लौंडा नाच परंपरा के साथ दलित समाज के कलाकारों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे कार्य को लेकर भी सकारात्मक सन्देश देता प्रतीत होता है. ये सच है कि मांझी के जमीनी कार्य का प्रतिफल उन्हें मिलने में थोड़ी देर हुई, लेकिन इससे जमीनी स्तर पर काम करने वाले लोक कलाकारों को बहुत बल मिलेगा.
आपको बता दें कि इस साल मार्च महीने में इन हस्तियों को राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले समारोह में पद्म सम्मान प्रदान किया जाएगा. देशभर के कुल 119 हस्तियों को पद्म सम्मान मिला है. इनमें सात हस्तियों को पद्म विभूषण, 10 को पद्म भूषण और 102 को पद्म श्री मिला है. सम्मान पानेवालों में 29 महिलाएं हैं.