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1st Bihar Published by: Jitendra Kumar Updated Mon, 07 Dec 2020 07:41:52 PM IST
BEGUSARAI : बिहार में शिक्षा व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी यहां का सिस्टम सुधरने का नाम नहीं लेता है. ताजा मामला बेगूसराय जिले का है, जहां ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित स्नातक की परीक्षा में स्टूडेंट्स जमीन पर बैठकर एग्जाम की कॉपी लिखते नजर आएं. परीक्षा हॉल के कई फोटो भी सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहे हैं.
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की ओर से ली जा रही स्नातक द्वितीय खंड की परीक्षा में बेगूसराय में ना तो कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है और ना ही परीक्षार्थियों को कोई सुविधा दी जा रही है. बगैर सैनिटाइजर और मास्क का प्रयोग किए बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते हुए धरती पर बैठकर परीक्षा देने को मजबूर हैं. अगर बेंच है भी तो एक बेंच पर पांच-पांच बच्चों को बैठाकर परीक्षा ली जा रही है.
मामला जिला मुख्यालय के एसबीएसएस कॉलेज का है, जहां कि सोमवार को आयोजित परीक्षा में सैकड़ों बच्चे धरती पर दरी बिछाकर बैठे और परीक्षा दिए. इस संबंध में प्राचार्य का कहना है कि विश्वविद्यालय द्वारा अत्यधिक परीक्षार्थियों का केंद्र बना दिया गया है. व्यवस्था नहीं रहने के कारण नीचे बैठाकर परीक्षा लेनी पड़ रही है.
इधर, परीक्षा के दौरान केन्द्र पर व्याप्त कुव्यवस्था के विरोध में सोमवार को ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन नगर परिषद के द्वारा मिथिला यूनिवर्सिटी के कुलपति का पुतला दहन किया गया. संगठन के नगर सचिव विवेक कुमार, विश्वविद्यालय प्रतिनिधि बसंत कुमार, जीडी कॉलेज प्रतिनिधि अनंत कुमार और अभिषेक कुमार ने कहा कि विभिन्न कॉलेजों का परीक्षा केंद्र एसबीएसएस कॉलेज को बनाया गया है. सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही है. एक बेंच पर पांच-पांच छात्रों को बैठाकर परीक्षा लिया जा रहा है. कुछ परीक्षार्थियों को जमीन पर परीक्षा देने के लिए बैठाया गया.
प्राचार्य ने जगह की कमी बताकर पल्ला झाड़ लिया. सबसे ज्यादा लचर व्यवस्था एसबीएसएस कॉलेज की रहती है. कॉलेज प्रांगण में गंदगी का भरमार रहता है और उस पर भी कॉलेज को क्षमता से ज्यादा परीक्षार्थियों का केंद्र बनाना छात्रों के सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. अगर स्थिति में जल्द से जल्द सुधार नहीं हुआ तो संगठन विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय खिलाफ आर-पार का रास्ता अख्तियार करेगा. एक तो इस करोना काल में जहां बच्चों का वर्ग संचालन नहीं हुआ और उसके बाद विश्वविद्यालय के द्वारा बच्चों की परीक्षा ली जाती है और उसमें भी ना सैनिटाइजर की उत्तम व्यवस्था और ना ही मास्क की व्यवस्था की गई है.