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अभियान चलाकर मजदूरों के बच्चों का स्कूलों में होगा एडमिशन, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने सभी DM को दिया यह आदेश

ईंट भट्ठा या अन्य निर्माण स्थलों पर कार्यरत मजदूरों के 06-14 साल के बच्चों की पहचान कर पास के स्कूलों में एडमिशन कराया जाएगा। शिक्षा विभाग ने सभी डीएम को इसे लेकर अभियान चलाने को कहा है। शिक्षा के अधिकार के तहत सभी बच्चों को शिक्षित किया जाएगा।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 03 Feb 2025 04:42:18 PM IST

BIHAR

शिक्षा का अधिकार - फ़ोटो GOOGLE

Bihar News: बसंत पंचमी के मौके पर विद्या की देवी मां सरस्वती की आज पूजा धूमधाम के साथ की गई। बिहार में शिक्षा विभाग ने भी यह प्रण लिया है कि कोई बच्चा बिना ज्ञान का नहीं रहेगा। उसकी पढ़ाई के बीच गरीबी दिवार नहीं बनेगी। ईंट भट्ठा या अन्य निर्माण स्थलों पर काम करने वाले मजदूरों के बच्चे भी अब स्कूलों में पढ़ेंगे। कोई बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा। मजदूरी करने वालों के 06-14 साल के बच्चों की पहचान कर पास के स्कूलों में एडमिशन कराया जाएगा। शिक्षा विभाग ने सभी डीएम को इसे लेकर अभियान चलाने को कहा है। शिक्षा के अधिकार के तहत सभी बच्चों को शिक्षित किया जाएगा।


ईंट भट्ठा एवं अन्य औद्योगिक/ निर्माण स्थलों पर काम करने वाले कामगारों/ श्रमिकों के 6-14 साल के बच्चों को पास के स्कूल में एडमिशन कराए जाने को लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सभी डीएम को पत्र लिखा। कहा कि पढ़ाई से वंचित ऐसे बच्चों को शिक्षा से जोड़ना होगा। 


दरअसल अपने निरीक्षण के दौरान शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने पाया कि कई बच्चों के माता-पिता ईंट-भट्ठा, बालूघाट, सड़क निर्माण, अन्य सरकारी या गैर सरकारी बड़ी परियोजनाओं में काम करने के लिए अपना गांव छोड़कर कार्यस्थल पर निवास करते हैं, उन्हें माता-पिता के साथ रहने की बाध्यता के कारण अपनी पढ़ाई से वंचित होना पड़ता है।


शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 3 (1) में स्पष्ट प्रावधान है कि "06-14 आयु वर्ग प्रत्येक बच्चे को प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक किसी आसपास के विद्यालय में निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार होगा। इस प्रकार 06-14 आयु वर्ग के सभी बच्चों को विद्यालय में नामांकन कराकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना अनिवार्य है। इसलिए ईंट भट्ठा अथवा अन्य निर्माण स्थलों पर कार्यरत श्रमिकों के 06-14 आयुवर्ग के बच्चों की पहचान की जाय एवं यह सुनिश्चित किया जाय कि बच्चे अनामांकित न रहे। 


साथ ही ईट-भट्ठा मालिक एवं अन्य नियोजकों को यह हिदायत दी जाय कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके यहाँ कार्य करने वाले कामगारों / श्रमिकों के बच्चों का नामांकन निकटतम सरकारी अथवा निजी विद्यालय में हो एवं वे नियमित रूप से विद्यालय जाएं। ऐसे बच्चों का नामांकन अकादमिक सत्र के बीच में कभी भी हो सकेगा। एस सिद्धार्थ ने सभी जिलों के डीएम से कहा है कि अपने-अपने जिले में यह अभियान चलाकर स्कूल में बच्चों का नामांकन करायें।