सासाराम सदर अस्पताल में नवजात की मौत पर बवाल, सांसद और डॉक्टर के बीच हुई तीखी बहस अजय सिंह के नेतृत्व में बखोरापुर में शहीद स्मृति क्रिकेट टूर्नामेंट का सफल आयोजन, इटाहाना ने जीता खिताब Bihar Education News: ‘शिक्षकों का काम सिर्फ 9 से 4 बजे की नौकरी नहीं’ अल्पसंख्यक स्कूलों के निरीक्षण के दौरान बोले एस.सिद्धार्थ Bihar Education News: ‘शिक्षकों का काम सिर्फ 9 से 4 बजे की नौकरी नहीं’ अल्पसंख्यक स्कूलों के निरीक्षण के दौरान बोले एस.सिद्धार्थ पटना में हिट एंड रन मामलों में 427 पीड़ितों को मिला मुआवजा, 8.35 करोड़ रुपये वितरित Bihar Politics: बिहार पहुंचे महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी की भारी फजीहत, महागठबंधन का समर्थन करने पर सभा से बेईज्जत कर निकाला Bihar Politics: बिहार पहुंचे महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी की भारी फजीहत, महागठबंधन का समर्थन करने पर सभा से बेईज्जत कर निकाला Bihar Politics: ‘नोटबंदी की तरह 'वोटबंदी' भी जल्दबाजी में लिया गया निर्णय’ मुकेश सहनी का बड़ा हमला Bihar Politics: ‘नोटबंदी की तरह 'वोटबंदी' भी जल्दबाजी में लिया गया निर्णय’ मुकेश सहनी का बड़ा हमला Bihar News: बिहार के इस जिले में 26.61 करोड़ की लागत से पुल निर्माण को मंजूरी, व्यापार और यातायात को मिलेगा नया आयाम
1st Bihar Published by: Updated Fri, 24 Jun 2022 10:00:35 AM IST
- फ़ोटो
DESK: एनसीआरबी ने ‘बस्ते का बोझ’ सर्वे के आधार पर स्कूलों को बड़ा सुझाव दिया है. सभी स्कूलों को कहा गया है कि छात्रों के वजन से 10 फीसदी से कम उसके बस्ते का वजन होना चाहिए. दरअसल, एनसीआरबी ने मार्च महीने में एक सर्वे किया था. जिसमें यह बात सामने आई थी कि बच्चें अपने वजन से तीन-चार किलो अधिक वजन के बस्ते लेकर स्कूल जाते हैं.
एनसीआरबी के सर्वे के अनुसार बच्चों के बस्ते की वजन ज्यादा होने की वजह से उनके अभिभावक उन्हें स्कूल छोड़ने जाते हैं. और इस दौरान अभिभावक ही बस्ते का बोझ उठाते हैं. वहीं, कई बच्चें को खुद ही बस्ते का बोझ उठाकर स्कूल जाना पड़ता है. छात्रों की घर से स्कूल की दूरी काफी होती है. ऐसे में बच्चें के ऊपर बस्ते का बोझ कम करने के लिए एनसीआरबी ने स्कूलों को सुझाव दिए हैं.
बता दें कि एनसीआरबी के सर्वे में बिहार के 500 निजी स्कूलों के 26 हजार छात्र और 16 हजार अभिभाकों को शामिल किया गया था. सर्वे में 77 फीसदी अभिभावकों और 48 फीसदी स्कूल प्रसाशन ने कहा कि छात्रों के बस्ते उसके वजन से 3-4 किलो अधिक होता है. सर्वे की माने तो, 12वीं के बच्चें के बस्ते का वजन अधिक होने की कई वजह है. इसमें किताब-कॉपी के अलावा लंच बॉक्स, पानी की बोतल और रेफरेंस बुक शामिल हैं.
सर्वे में बताया गया है कि अधिक वजन का बस्ता उठाने की वजह से बच्चों में कई विकार उत्पन्न होते हैं. एक से आठवीं कक्षा तक के बच्चें की उम्र शारीरिक विकास करने की होती है. ऐसे में गर बच्चें भारी बस्ते उठाते हैं तो इससे उनके विकास पर असर पड़ता है. कई बच्चों में देखा गया है कि भारी बस्ते उठाने की वजह से कुछ सालों बाद उन्हें सही तरीके से चलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है