Bihar Bhumi: ‘सरकारी भूमि के साथ किसी भी तरह का खेल बर्दाश्त नहीं’, डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने भू-माफिया और अधिकारियों को फिर चेताया

Bihar Bhumi: डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने सरकारी भूमि के दुरुपयोग पर कड़ा रुख दिखाया है. उन्होंने मुजफ्फरपुर के एक मामले का जिक्र करते हुए भू-माफिया और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का ऐलान किया है.

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Mon, 29 Dec 2025 04:21:40 PM IST

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Bihar Bhumi: बिहार में भू- माफिया, जमीन के दलालों और राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि सरकारी जमीन के साथ किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी और चालबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सरकारी जमीनों को बेचने वाले भू-माफिया के खिलाफ तो एक्शन होगा ही, माफिया से साठगांठ रखने वाले विभाग के अधिकारियों को भी नहीं बख्शा जाएगा।


बिहार सरकार के डिप्टी सीएम और राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि मुजफ्फरपुर के राजकीय बीज गुणन प्रक्षेत्र, कांटी की भूमि को निजी व्यक्ति के नाम दाखिल–खारिज किया जाना अत्यंत गंभीर मामला है। सरकारी भूमि के साथ किसी भी प्रकार का खेल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि जांच में यह पाया गया कि नियमों की अनदेखी कर या कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या करते हुए सरकारी भूमि को निजी नाम पर दर्ज किया गया है, तो जिम्मेदार पदाधिकारियों और लाभार्थियों के विरुद्ध कठोरतम कानूनी एवं विभागीय कार्रवाई होगी। उपमुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि राज्य सरकार की भूमि किसी भी सूरत में हड़पी नहीं जा सकती और ऐसे मामलों में सरकार की नीति शून्य सहनशीलता की है।


दरअसल, मुजफ्फरपुर के काँटी अंचल अंतर्गत राजकीय बीज गुणन प्रक्षेत्र, काँटी की 44 डिसमिल सरकारी जमीन को निजी व्यक्ति के नाम दाखिल-खारिज किए जाने के मामले में गंभीर प्रशासनिक लापरवाही सामने आई है। स्वत्व वाद संख्या 303/2018 (नवीन कुमार बनाम राज्य सरकार) में दिसंबर 2023 में पारित आदेश के आलोक में अंचलाधिकारी, काँटी द्वारा राजकीय बीज गुणन प्रक्षेत्र के नाम से दर्ज कुल 6 एकड़ जमीन में से 44 डिसमिल भूमि का दाखिल-खारिज निजी व्यक्ति के पक्ष में कर दिया गया।


नियमों के अनुसार इस प्रकरण में सर्वप्रथम विधिक मंतव्य प्राप्त कर सक्षम न्यायालय में अपील दायर किया जाना आवश्यक था, लेकिन अंचलाधिकारी, काँटी द्वारा ऐसा नहीं किया गया और सीधे सरकारी कृषि भूमि का दाखिल-खारिज कर दिया गया। इस मामले को गंभीर मानते हुए मुजफ्फरपुर के अपर समाहर्ता, से जांच कराई गई।


अपर समाहर्ता के जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट रूप से यह प्रतिवेदित किया गया कि अंचलाधिकारी, काँटी ने विभागीय प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए कृषि विभाग की भूमि का दाखिल-खारिज निजी व्यक्ति के पक्ष में किया गया है। जांच प्रतिवेदन के आधार पर जिलाधिकारी, मुजफ्फरपुर द्वारा अपर मुख्य सचिव, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार, पटना को वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया तथा तत्कालीन अंचलाधिकारी, काँटी के विरुद्ध कार्रवाई का अनुरोध किया गया। जांचोपरांत विभाग द्वारा तत्कालीन अंचलाधिकारी, काँटी को निलंबित कर दिया गया।


इधर, सब जज, मुजफ्फरपुर द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय, पटना में अपील दायर करने की प्रक्रिया भी तेज की गई। इस संबंध में प्रधान सचिव, कृषि विभाग, बिहार, पटना से पत्राचार कर ग्राउंड्स ऑफ अपील तैयार किए गए। इसके पश्चात विद्वान महाधिवक्ता, बिहार, पटना द्वारा विधिक मंतव्य देते हुए अविलंब अपील दायर करने की सलाह दी गई।


महाधिवक्ता के मंतव्य के आलोक में जिला कृषि पदाधिकारी, मुजफ्फरपुर द्वारा प्रथम अपील उच्च न्यायालय, पटना में दायर की गई है। वर्तमान में यह फर्स्ट अपील उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। प्रशासनिक हलकों में इस पूरे मामले को सरकारी कृषि भूमि के संरक्षण से जुड़ा गंभीर प्रकरण माना जा रहा है, जिस पर आगे की न्यायिक प्रक्रिया और विभागीय कार्रवाई पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।