RANCHI: इस वक्त की बड़ी खबर रांची से आ रही है. हाईकोर्ट ने चारा घोटाला केस में लालू प्रसाद को जमानत की सुनवाई टल गई है. अब अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी. सुनवााई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से चल रही थी. लालू की ओर से वकील प्रभात कुमार और दिल्ली से कपिल सिब्बल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े हुए थे. इस केस की सुनवाई अपरेश सिंह ही अदालत में हो रही थी. प्रभात कुमार ने कहा कि बेल रिजेक्ट नहीं हुआ है, लोअर कोर्ट के रिकार्ड देखा जाएगा. सीबीआई ने लोअर कोर्ट का रिकॉर्ड देखने का हाईकोर्ट से आग्रह किया था. आधी सजा पूरा करने पर हमलोग जमानत मांगी है उस पर 11 दिसंबर को सुनवाई होगी.
9 अक्टूबर को चाईबासा केस में मिली थी जमानत
9 अक्टूबर को चारा घोटाला में सजायाफ्ता लालू प्रसाद को चाईबासा ट्रेजरी केस में लालू प्रसाद को जमानत मिल गई थी. लालू प्रसाद के वकील ने कहा था कि 30 माह लालू प्रसाद जेल में रह चुके हैं. सीबीआई के काउंटर फाइल देर से जमा करने के कारण 6 नवंबर को जमानत पर सुनवाई नहीं हो पाई. पहले 9 नवंबर को सुनवाई होने वाली थी, लेकिन अर्जेंट मेंशन करते हुए 6 नवंबर को ही सुनवाई के लिए लालू के वकील ने अपील की थी. लेकिन सीबीआई ने इसका विरोध किया था.
बीामारी का दिया है हवाला
लालू प्रसाद ने अपनी जमानत याचिका में अपनी बीमारी के बारे में भी बताया था. याचिका में बताया गया था कि वह करीब 15 बीमारी ग्रसित है. उनका इलाज कई सालों से रांची के रिम्स में हो रहा है. उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता है. इसलिए उनको जमानत दे दी जाए. जमानत के लिए लालू ने 4 जुलाई को हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. बता दें कि लालू प्रसाद ने 23 दिसंबर 2017 से चारा घोटाले मामले में जेल में बंद हैं, दुमका, देवघर और चाईबासा मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सजा सुनाई है. देवघर और चाईबासा केस में उनको जमानत मिल चुकी है, लेकिन दुमका मामले में उन्हें जमानत नहीं मिली है. चार मामलों में सीबीआई कोर्ट ने उन्हें सजा सुना दी है. पांचवा मामला डोरंडा कोषागार से संबंधित है और इसकी सुनवाई अभी सीबीआई कोर्ट में चल रही है.
CBI की दलील
लालू की याचिका पर कोर्ट ने सीबीआई से जवाब मांगा था. जिसके बाद सीबीआई ने अपना पक्ष रख था. सीबीआई ने कहा था कि लालू यादव ने दुमका कोषागार से घोटाले के मामले में अब तक आधी सजा नहीं काटी है. लिहाजा उन्हें इस आधार पर जमानत नहीं दिया जा सकता. सीबीआई ने अपने जवाब में सीआरपीसी की धारा 427 का भी जिक्र किया है. CRPC की धारा 427 के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति को अलग अलग मामलों में सजा मिलती है तो एक सजा पूरी होने के बाद दूसरी सजा शुरू होगी. अगर कोर्ट ने सारी सजा के साथ चलने का आदेश दिया हो तभी वे साथ साथ गिनी जायेंगी. सीबीआई इस आधार पर लालू की जमानत का विरोध कर रही है. सीबीआई ने अपने जवाब में कहा है कि लालू प्रसाद को चार मामले में अलग-अलग सजा हुई है. उन्हें सजा सुनाने वाली कोर्ट ने सभी सजा को एक साथ चलाने का निर्देश नहीं दिया है. ऐसे में ये नहीं माना जा सकता है कि लालू यादव चारों मामले की सजा साथ साथ काट रहे हैं. उन्हें एक सजा पूरी करने के बाद दूसरे मामले में मिली सजा को पूरा करना होगा.