नाबालिगों की शादी को कोर्ट ने वैध माना, बिहारशरीफ की अदालत ने क्यों लिया ऐतिहासिक फैसला?

नाबालिगों की शादी को कोर्ट ने वैध माना, बिहारशरीफ की अदालत ने क्यों लिया ऐतिहासिक फैसला?

NALANDA : नाबालिगों की शादी को देश में गैरकानूनी माना जाता है लेकिन बिहारशरीफ की एक अदालत ने जो ऐतिहासिक फैसला दिया है उसके मुताबिक दो नाबालिगों की शादी को वैध करार दिया गया है। कोर्ट ने 16 साल की लड़की और 14 साल के लड़के की शादी की शादी को वैध माना है। बिहारशरीफ की निचली अदालत ने यह ऐतिहासिक फैसला मानवीय मूल्यों को ध्यान में रख कर दिया है। 


बिहारशरीफ स्थिति किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र ने महज 3 दिनों की सुनवाई में एक ऐसे मामले का निपटारा किया है जो अपने आप में ऐतिहासिक है। जज मानवेंद्र मिश्रा ने नाबालिग किशोर और किशोरी की शादी को वैध करार दे दिया है। कोर्ट ने दोनों नाबालिगों की 8 माह की मासूम बच्ची को ध्यान में रखकर यह फैसला दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में जेल में बंद आरोपित किशोर को रिहा करने का आदेश दिया और 8 माह की मासूम बच्ची को उसके दादा दादी के घर पहुंचने का रास्ता भी साफ कर दिया। 


सूबे का यह पहला ऐसा मामला है जिसमें नाबालिगों की शादी को कानूनन वैध करार दिया गया हो। इन दोनों की 8 महीने की बच्ची को उसका हक देने और माता-पिता के प्यार से महरूम नहीं रहने के लिए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। हालांकि फैसला सुनाते हुए जज ने यह भी कहा कि इस फैसले को आधार बनाकर किसी अन्य मामले में इसका लाभ नहीं लिया जा सकता। जज ने जिला बाल संरक्षण इकाई और हिलसा बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी को बच्चे और किशोर दंपति की उचित देखभाल और संरक्षण के संबंध में हर 6 महीने पर रिपोर्ट देने के लिए भी कहा है। मासूम बच्ची के भविष्य को देखते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।