PATNA : नीतीश सरकार ने जमीन रजिस्ट्री की दिशा में एक बड़ा बदलाव किया है। राज्य सरकार ने कातिब की भूमिका को जमीन रजिस्ट्री से खत्म कर दिया है। अब जमीन की खरीद बिक्री करने वाले खुद मॉडल डीड भरकर इसकी रजिस्ट्री करा सकते हैं। रजिस्ट्री ऑफिस में जमीन फ्लैट की रजिस्ट्री में कातिब की भूमिका खत्म होगी। अब राज्य के 125 निबंधन कार्यालयों में 20 फीसदी रजिस्ट्री मॉडल डीड से करना अनिवार्य कर दिया है। आने वाले समय में इससे बढ़ाकर 100 करने की योजना है। इस पलह से जमीन या किसी अन्य तरह की संपत्ति की रजिस्ट्री करवाने में लोगों को सहुलियत होगी। कातिब या ऑफिस खर्च के नाम पर लगाने वाली राशि से मुक्ति मिल जाएगी। लोग खुद मॉडल डीड भरकर निबंधन करवा सकते हैं। आमतौर पर निबंधन कार्यालय में एक डीड रजिस्ट्रर्ड करवाने में कातिब 2 से 5 हजार रुपए तक शुल्क लेता है। वर्ष 2021-22 में करीब 12 लाख डीड रजिस्टर्ड हुए हैं। निबंधन विभाग के इस पहल से बिना कातिब की मदद से खुद डीड तैयार कर रजिस्ट्री करवा सकते हैं। इसके लिए एक तरफ जहां जिला निबंधन कार्यालयों में हेल्प डेस्क बनाए गए है। वहीं निबंधन विभाग के वेबसाइट पर इसके लिए मॉडल डीड भी अपलोड किया गया है। मॉडल डीड पर रजिस्ट्री संबंधी बेसिक जानकारी खाता, खेसरा और नाम-पता आदि भर कर निबंधन के लिए दस्तावेज तैयार किया सकता है।
सरकार ने आम लोगों की सुविधा के लिए के लिए निबंधन विभाग की वेबसाइट http:nibandhan.bihar. gov.in/modeldeed पर हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में मॉडल डीड़ का मॉडल अपलोड किया हुआ है। इसे डाउनलोड करके कोई भी बिना किसी के मदद से भर सकते हैं। यानी बिना कातिब के मदद से आमलोग खुद दस्तावेज तैयार कर सकते है। लोगों को रजिस्ट्री के लिए प्रोत्साहित करने और उनकी मदद के लिए निबंधन कार्यालयों में हेल्प बूथ भी खोले गए हैं। मॉडल डील पर रजिस्ट्रेशन के लिए काफी संख्या में विभाग ने रजिस्ट्री ऑफिस को ऑपरेटर सहित कंप्यूटर उपलब्ध करवाया है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन को प्रोत्साहित करने के लिए स्टांप ड्यूटी की राशि में एक फीसदी या अधिकतम दो हजार रुपए की छूट भी दी जाती है।
ताकि सरकार के इस फैसले का कातिब संघ विरोध कर रहा है। बिहार दस्तावेज नवीस संघ के अध्यक्ष उदय कुमार सिन्हा ने बताया कि मॉडल डीड पर रजिस्ट्रेशन करवाने की परंपरा शुरु होने से दलाली को बढ़ावा मिलेगा। अभी रजिस्ट्री के डीड लिखने वालों को दस्तावेज पर लाइसेंस नंबर और सिग्नेचर करना होता है। बाद में अगर रजिस्ट्री में किसी तरह की गड़बड़ी होती है उन्हें पकड़ा जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ सरकार का तर्क अलग है। सरकार के मुताबिक मॉडल डीड पर रजिस्ट्री करवाने से लोगों को समय और पैसा दोनों का बचत होगा। लोग मॉडल डीड भरकर निबंधन और स्टांप शुल्क जमा कर निबंधन के लिए अपनी सुविधा के अनुसार होने समय भी तय कर सकते हैं। सुबह से निबंधन कार्यालय में लाइन में खड़े होने की जरूरत नहीं पड़ेगी।