1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 25 Feb 2023 02:11:08 PM IST
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KAIMUR: बिहार की सियासत के लिए आज का दिन काफी अहम माना जा रहा है। एक तरफ पश्चिम चंपारण में अमित शाह नीतीश और तेजस्वी के खिलाफ हुंकार भर रहे है तो वहीं दूसरी तरफ पूर्णिय में महागठबंधन की रैली में गठबंधन के सातों दल केंद्र की सत्ता से बीजेपी को हटाने का संकल्प ले रहे हैं। इसी बीच बड़े किसान नेता राकेश टिकैत मे कैमूर में किसान महापंचायत बुलाई है। इस कार्यक्रम में बतौर विशिष्ठ अतिथि बिहार की सरकार में मंत्री रहते हुए नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले आरजेडी के विधायक सुधाकर सिंह भी शामिल हो रहे हैं। इस दौरान राकेश टिकैत और सुधाकर सिंह एक ही ट्रैक्टर पर बैठे नजर आए और किसानों के हक के लिए बड़े आंदोलन का श्रीगणेश कर दिया है।
दरअसल, सरकार बदलने के कुछ ही दिन बाद बिहार में किसान नेता राकेश टिकैत की एंट्री हुई थी। पटना पहुंचने पर राकेश टिकैत ने किसानों की बदहाली को लेकर महागठबंधन की सरकार को घेरा था। टिकैत ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर मंडी व्यवस्था लागू करने और किसानों की समस्या को दूर करने की मांग की थी। मांग पूरी नहीं होने पर टिकैत ने किसान महापंचायत के जरिए नीतीश सरकार को बड़े आंदोलन की चेतावनी दे दी थी।
महागठबंधन और बीजेपी की रैली से अलग राकेश टिकैत कैमूर में किसान महापंचायत कर रहे हैं। कैमूर के चांद प्रखंड मुख्यालय परिसर में आज से शुरू हुई किसान महापंचायत आगे भी चलता रहेगा। कल यानी 26 फरवरी को भभुआ और कैमूर के जिला मुख्यालय में भी किसान महापंचायत आयोजित की जाएगी। इसके साथ ही 27 फरवरी को बक्सर जिले के चौसा में और 28 फरवरी को बक्सर जिला के बक्सर किला मैदान में महापंचायत होगी। किसान महापंचायत के मौके पर आज से ट्रैक्टर मार्च का भी आगाज कर दिया गया है। कैमूर पहुंचे राकेश टिकैत ने कहा कि अपना बिहार और अपना खेत का नारा लग चुका है। बिहार की मंडियां आजाद होंगी और बिहार मुक्ति अभियान चलेगा। बिहार की मंडिया जबतक आजाद नहीं होंगी किसानों का ट्रैक्टर मार्च चलता रहेगा और आने वाले दिनों में इसका नजारा पटना की सड़कों पर भी देखने को मिलेगा।
किसान नेता राकेश टिकैत ने बिहार में किसानों की बदहाली को दूर करने का बीड़ा उठाया है। टिकैत के इस अभियान में आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह भी उनका साथ दे रहे हैं। आज पहला मौका है जब सुधाकर सिंह और राकेश टिकैत एक मंच पर साथ दिखे हैं। किसानों का उनका वाजिब हक दिलाने के लिए सुधाकर सिंह ने कृषि मंत्री रहते हुए अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। जिसके कारण सुधाकर सिंह को अपनी मंत्री की कुर्सी भी गंवानी पड़ गई थी। सत्ता में रहते हुए अलग थलग पड़े सुधाकर सिंह को अब टिकैत का साथ मिल गया है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि कैमूर से शुरू हुआ किसान आंदोलन आने वाले दिनों में बड़े स्वरूप में नजर आ सकता है।