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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 13 Aug 2025 10:15:04 PM IST
पटना CBI का खुलासा - फ़ोटो SOCIAL MEDIA
PATNA: बिहार के सर्वोच्च सरकारी अस्पताल IGIMS के डायरेक्टर के साथ साथ बिहार मेडिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ बिन्दे कुमार का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. बिन्दे कुमार ने फर्जी कागजातों के सहारे अपने बेटे का सर्टिफिकेट बनवाया औऱ उसे नौकरी दे दी. सीबीआई की प्रारंभिक जांच में बिन्दे कुमार पर लगा आरोप सही पाया गया. इसके बाद सीबीआई के एंटी करप्शन ब्यूरो ने डॉ बिन्दे कुमार के साथ साथ पटना एम्स के पूर्व डीन के बेटों के खिलाफ फर्जीवाड़ा से लेकर दूसरे संगीन आरोपों में केस दर्ज कर लिया है. पटना एम्स के डीन के बेटे पर भी फर्जी सर्टिफिकेट के सहारे एम्स में नौकरी हासिल करने का आरोप है.
पटना सीबीआई का खुलासा
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के पटना स्थित भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने AIIMS पटना में फर्जी OBC नॉन-क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी पाने के मामले में बड़ा खुलासा किया है. इस मामले में Patna AIIMS के पूर्व चिकित्सक औऱ फिलहाल आईजीआईएमएस के डायरेक्टर डॉ बिन्दे कुमार के साथ साथ पटना एम्स के ही पूर्व डीन डॉ प्रेम कुमार के बेटों के खिलाफ सीबीआई ने आईपीसी की धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत नियमित केस दर्ज कर जांच शुरू कर दिया है।
दरअसल बिन्दे कुमार औऱ डॉ प्रेम कुमार के बेटे की कारगुजारी की शिकायत पटना के दानापुर निवासी सत्येन्द्र कुमार ने सीबीआई से की थी. सीबीआई ने शिकायत मिलने के बाद अपने इंस्पेक्टर संजीव कुमार को मामले की प्रारंभिक जांच का जिम्मा सौंपा था. प्रारंभिक जांच में डॉ बिन्दे कुमार और डॉ प्रेम कुमार के बेटों पर लगे आरोप सही पाए गए।
डॉ बिन्दे कुमार का कारनामा जानिये
सीबीआई की एफआईआर में कुमार हर्षित राज नाम के व्यक्ति को अभियुक्त बनाया गया है. कुमार हर्षित राज एम्स के डायरेक्टर और बिहार मेडिकल यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ. बिंदे कुमार का बेटा है. बिहार सरकार की सेवा में आने से पहले डॉ बिन्दे कुमार पटना एम्स में पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के प्रमुख थे. उसी दौरान पटना एम्स में में जनरल कैटेगरी के तहत ट्यूटर/डिमॉन्स्ट्रेटर के पद पर कुमार हर्षित राज की नियुक्ति कर ली गयी थी. ये सीट EWS के लिए रिजर्व था. लेकिन कुमार हर्षित राज की नयुक्ति के लिए इसे अनारक्षित सीट में बदल दिया गया.
इतनी हेराफेरी के बाद भी कुमार हर्षित राज ने ओबीसी सर्टिफिकेट पर नौकरी के लिए आवेदन किया. ओबीसी कोट में क्रीमी लेयर का नियम लागू होता है. लेकिन कुमार हर्षित राज ने फर्जी कागजातों के सहारे सर्टिफिकेट बना लिया. उसने पटना सदर के एसडीओ द्वारा जारी OBC नॉन-क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र (प्रमाण पत्र संख्या BOBCCO/2023/09542 दिनांक 10.01.2023 और BOBCSDO/2023/07228 दिनांक 19.01.2023) के आधार पटना एम्स में नौकरी हासिल कर लिया.
एम्स के एक और डॉक्टर का कारनामा
सीबीआई की प्रारंभिक जांच में ये पता चला है कि पटना एम्स के तत्कालीन डीन डॉ प्रेम कुमार के बेटे कुमार सिद्धार्थ को भी फर्जी सर्टिफिकेट पर एम्स में नौकरी दे दी गयी. जांच में सामने आया कि कुमार सिद्धार्थ ने एसडीओ पटना सदर द्वारा जारी फर्जी OBC नॉन-क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र (प्रमाण पत्र संख्या BOBCDM/2023/89504 दिनांक 09.09.2023, BOBCSDO/2023/148247 दिनांक 30.08.2023 और BOBCCO/2023/364518 दिनांक 28.08.2023) का इस्तेमाल किया.
इन फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर उसे एम्स पटना के फिजियोलॉजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त कर लिया गया, जबकि यह पद पहले एसोसिएट प्रोफेसर का था जिसे डाउनग्रेड करके असिस्टेंट प्रोफेसर में बदला गया. गौरतलब है कि उस समय उसके पिता डॉ. प्रेम कुमार एम्स पटना में डीन और रेडियोलॉजी विभाग के प्रमुख थे.
सीबीआई के डिप्टी एसपी को सौंपी गई जांच
सीबीआई ने इस मामले में आरोपियों, कुमार सिद्धार्थ, निवासी ए-303, बेली कुंज अपार्टमेंट, पटना, थाना शास्त्री नगर और कुमार हर्षीत राज, निवासी ए-203, बेली कुंज अपार्टमेंट, पटना, थाना शास्त्री नगर के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। इस मामले की आगे की जांच श्री सुरेंद्र देपावत, उप पुलिस अधीक्षक, सीबीआई, एसीबी पटना को सौंपी गई है.
कौन हैं बिन्दे कुमार?
पटना IGIMS के डायरेक्टर बिन्दे कुमार को सरकार का खास माना जाता है. बिन्दे कुमार शुरू में तब चर्चा में आये थे जब उन्हें हार्ट में समस्या हुई तो वे पटना के निजी अस्पताल में इलाज कराने के लिए भर्ती हो गये. जबकि IGIMS को बिहार सरकार का सबसे बेहतरीन हॉस्पीटल माना जाता है.
डॉ बिन्दे कुमार पर पहले ही बेटे का फर्जी सर्टिफिकेट बनवा कर नौकरी दिलाने का आरोप लग चुका था. लेकिन बिहार सरकार ने उन्हें इसके बाद और ज्यादा उपकृत कर दिया. कुछ महीने पहले बिन्दे कुमार को बिहार चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय का कुलपति बना दिया गया है. इस यूनिवर्सिटी के चांसलर यानि कर्ताधर्ता खुद नीतीश कुमार हैं. अमूमन बिहार के विश्वविद्यालयों के चांसलर राज्यपाल होते हैं. लेकिन नीतीश कुमार ने खास तौर पर ये यूनिवर्सिटी बनाकर खुद को इसका चांससर बनाया है.