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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 22 Oct 2025 01:19:47 PM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Chhath Puja 2025: छठ पूजा को बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक आत्मा कहा जाता है, यह पर्व आस्था, शुद्धता और प्रकृति पूजा का अनोखा संगम है। चार दिन तक चलने वाला यह महापर्व विश्व भर में अपनी अनूठी परंपराओं के लिए जाना जाता है। नहाय-खाय से शुरू होकर उषा अर्घ्य तक, यह व्रत कठिन नियमों और समर्पण का प्रतीक है। बिहार के घाट इस दौरान श्रद्धालुओं से गुलजार रहते हैं, जहां सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए देश-विदेश से लोग उमड़ते हैं। आज हम बिहार के उन पांच विश्व प्रसिद्ध घाटों पर नजर डालेंगे जो छठ के दौरान आस्था का केंद्र बनते हैं।
1. सूर्य मंदिर
औरंगाबाद का सूर्य मंदिर छठ पूजा का एक प्रमुख केंद्र है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण विश्वकर्मा जी ने एक ही रात में कर दिया था। खास बात यह है कि जहां ज्यादातर सूर्य मंदिरों का मुख पूर्व दिशा की ओर होता है, यह एकमात्र मंदिर है जिसका प्रवेश द्वार पश्चिम की ओर है। इस मंदिर के पास सूर्यकुंड तालाब है, जहां छठ के दौरान हजारों व्रती सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस पर्व पर मंदिर परिसर भक्ति और उत्साह से सराबोर रहता है और ठेकुओं की खुशबू हवा में तैरती है। देश-विदेश से श्रद्धालु इस अनोखे मंदिर की सैर करने और यहां पूजा करने पहुंचते हैं।
2. बरारी घाट
भागलपुर का बरारी घाट छठ पूजा के लिए बिहार के सबसे मशहूर घाटों में शुमार है। गंगा के किनारे बसा यह घाट हजारों श्रद्धालुओं को एक साथ अर्घ्य देने की सुविधा देता है। छठ के दौरान यहां भागलपुर के साथ-साथ आसपास के जिलों से भी लोग पहुंचते हैं। इस घाट की व्यवस्था और साफ-सफाई इसे और खास बनाती है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय गंगा की लहरों के बीच अर्घ्य का नजारा देखते ही बनता है।
3. फल्गु नदी घाट
गया का फल्गु नदी घाट अपनी अनूठी विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। वैसे तो फल्गु नदी ज्यादातर समय सूखी ही रहती है, लेकिन छठ पूजा के लिए यहां अस्थायी जलकुंड बनाए जाते हैं। ये कुंड व्रतियों के लिए सूर्य पूजा का केंद्र बनते हैं। गया पितृपक्ष के लिए भी जाना जाता है और छठ के दौरान तो यह शहर भक्तों की भारी भीड़ से गुलजार हो जाता है। फल्गु घाट पर सूर्य को अर्घ्य देने का दृश्य बेहद मनमोहक होता है और स्थानीय प्रशासन की व्यवस्था इसे और सुगम बनाती है।
4. कोनहारा घाट
हाजीपुर का कोनहारा घाट गंगा और गंडक नदियों के संगम पर स्थित है, जिसके कारण इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। छठ पूजा के दौरान यह घाट हजारों व्रतियों से खचाखच भर जाता है। संगम स्थल होने की वजह से यहां पूजा का विशेष पुण्य माना जाता है। घाट पर सूर्यास्त और सूर्योदय के समय भक्तों की भीड़ और उनकी भक्ति का उत्साह देखने लायक होता है। प्रशासन द्वारा सुरक्षा और सफाई के इंतजाम इसे और व्यवस्थित बनाते हैं। कोनहारा घाट न सिर्फ हाजीपुर, बल्कि वैशाली और आसपास के इलाकों के लिए भी आस्था का बड़ा केंद्र है।
5. कष्टहरणी घाट
मुंगेर का कष्टहरणी घाट गंगा के तट पर बसा है और छठ पूजा के लिए पवित्र स्थल माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान राम ने ताड़का वध के बाद यहीं स्नान किया था, जिसके कारण इसे कष्टहरणी नाम मिला। छठ के दौरान यह घाट भक्तों की भीड़ से गूंज उठता है। गंगा की स्वच्छ धारा और घाट की पवित्रता इसे विशेष बनाती है। मुंगेर के लोग इस घाट को अपनी आस्था का प्रतीक मानते हैं और देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां सूर्य देव को अर्घ्य देने आते हैं।