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BIHAR NEWS : राहत! बिहार में अनुकंपा के आधार पर नौकरी में 45% अंकों की अनिवार्यता खत्म, अब लागू हुआ नियम

BIHAR NEWS : शिक्षा विभाग के सचिव दिनेश कुमार द्वारा जारी आदेश के अनुसार अब विद्यालय लिपिक पद पर अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए इंटरमीडिएट में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंकों की बाध्यता खत्म कर दी गई है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 27 Sep 2025 09:31:43 AM IST

शिक्षा विभाग

शिक्षा विभाग - फ़ोटो FILE PHOTO

BIHAR NEWS : बिहार सरकार ने शुक्रवार को शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े दो बड़े फैसले लिए। एक ओर जहां विद्यालयों में लिपिक और परिचारी पद पर अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के नियमों में बदलाव किया गया है, वहीं दूसरी ओर बेगूसराय जिले में 200 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को नियुक्ति पत्र वितरित किए गए और 145 स्वास्थ्य उपकेंद्रों का शुभारंभ किया गया।


शिक्षा विभाग के सचिव दिनेश कुमार द्वारा जारी आदेश के अनुसार अब विद्यालय लिपिक पद पर अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए इंटरमीडिएट में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंकों की बाध्यता खत्म कर दी गई है। इसी तरह विद्यालय परिचारी पद पर अनुकंपा से होने वाली नियुक्ति में भी मैट्रिक में 45 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। हालांकि, आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि सीधी भर्ती की प्रक्रिया में यह शर्त बरकरार रहेगी। यानी आयोग के माध्यम से विद्यालय लिपिक पद पर नियुक्ति के लिए अभ्यर्थी को इंटरमीडिएट या राज्य मदरसा बोर्ड से मौलवी अथवा कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय से उपशास्त्री उत्तीर्ण होना आवश्यक है, और उसमें न्यूनतम 45 प्रतिशत अंक भी होने चाहिए।


गौरतलब है कि इन दिनों अनुकंपा के आधार पर विद्यालय लिपिक और परिचारी पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। नियमावली में अंक की बाध्यता के कारण कई अभ्यर्थियों को नियुक्ति में कठिनाई हो रही थी। ऐसे में सरकार ने इसे हटाकर हजारों अभ्यर्थियों को राहत दी है। शिक्षा विभाग का मानना है कि अनुकंपा नियुक्ति का मूल उद्देश्य मृतक कर्मी के आश्रितों को तुरंत रोजगार उपलब्ध कराना है, इसलिए अंक प्रतिशत की शर्त यहां लागू नहीं होनी चाहिए।


शुक्रवार को बेगूसराय के समाहरणालय स्थित कारगिल विजय भवन में आयोजित एक समारोह में जिले के 200 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को नियुक्ति पत्र दिए गए। इसके साथ ही 145 नए स्वास्थ्य उपकेंद्रों का उद्घाटन भी हुआ। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री व सांसद गिरिराज सिंह ने कहा कि यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में "मील का पत्थर" साबित होगा। उनके मुताबिक, सीएचओ की नियुक्ति से अब हर गांव में लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं आसानी से उपलब्ध होंगी। छोटी बीमारियों के लिए लोगों को जिला अस्पताल या बड़े शहरों की ओर भागने की जरूरत नहीं पड़ेगी।


उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने का प्रयास जारी है। बिहार में भी केंद्र और राज्य सरकार मिलकर प्राथमिक स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत कर रही हैं। इधर, बिहार सरकार के इन दो फैसलों से शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों क्षेत्रों में राहत और सुधार की उम्मीद है। जहां अनुकंपा पर नौकरी की तलाश कर रहे अभ्यर्थियों को नियुक्ति का रास्ता आसान होगा, वहीं ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और मजबूत होगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे कदम रोजगार सृजन और सामाजिक सुरक्षा दोनों के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं।