Karwa Chauth 2025: इन सामग्री के बिना अधूरी रह जाती है करवा चौथ की पूजा, जानें कब दिखेगा चांद? Pawan Singh: ज्योति सिंह से विवाद के बाद पहली बार सामने आए पवन सिंह, जानिए.. क्या बोले पावर स्टार? Pawan Singh: ज्योति सिंह से विवाद के बाद पहली बार सामने आए पवन सिंह, जानिए.. क्या बोले पावर स्टार? Rajvir Jawanda: मशहूर पंजाबी सिंगर राजवीर जवंदा का निधन, सड़क हादसे में बुरी तरह हुए थे घायल Rajvir Jawanda: मशहूर पंजाबी सिंगर राजवीर जवंदा का निधन, सड़क हादसे में बुरी तरह हुए थे घायल ANANT SINGH : मोकामा विधानसभा सीट: पूर्व विधायक अनंत कुमार सिंह 14 अक्टूबर को करेंगे नामांकन, अभी तक नहीं तय हुआ विपक्षी कैंडिडेट का नाम Indian Air Force Day 2025: भारतीय वायु सेना का 93वां स्थापना दिवस आज, जानिए कब से हुई शुरुआत Cyber Crime News: स्विटजरलैंड में नौकरी कीजिएगा... विदेश में फर्जी नौकरी का झांसा देकर युवक से लाखों की लूट Bihar Politics: "NDA के सीट बंटवारे को लेकर उथल-पुथल, मांझी का बड़ा बयान, कहा - हमारी पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी!" Bihar Election 2025: कौन नेता बना सकता है सबसे अधिक बार विधानसभा चुनाव जीतने का रिकॉर्ड? जान लें...
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 13 Aug 2025 08:26:24 AM IST
बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE
Bihar News: बिहार समेत झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों में नेशनल हाईवे (एनएच) से जुड़ी बड़ी जिम्मेदारी अब पूरी तरह केंद्र सरकार की होगी। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने स्पष्ट आदेश जारी करते हुए कहा है कि अब राज्य सरकारें चार लेन या उससे अधिक चौड़ी नेशनल हाईवे का न तो निर्माण कर सकेंगी और न ही उनका रखरखाव। यह कार्यभार अब केंद्रीय एजेंसी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के हवाले होगा।
मंत्रालय के इस फैसले के अनुसार, केवल वही सड़कें जो चार लेन से कम हैं और एक राज्य से शुरू होकर दूसरे राज्य में समाप्त होती हैं, उनका निर्माण और रखरखाव भी अब केंद्र सरकार की एजेंसियों द्वारा किया जाएगा। यह नीति बदलाव विशेषकर बिहार को आर्थिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर प्रभावित करेगा।
फिलहाल बिहार में कुल 6147 किलोमीटर नेशनल हाईवे हैं, जिनमें से 3189 किलोमीटर का रखरखाव NHAI के जिम्मे है, जबकि 2589 किलोमीटर का जिम्मा राज्य सरकार के पास है। नई व्यवस्था के तहत अब इन सड़कों का निरीक्षण केंद्र और राज्य दोनों के अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। निरीक्षण के 15 दिनों के भीतर संबंधित सड़कों को NHAI को सौंपना अनिवार्य होगा। ऐसा न होने की स्थिति में राज्य को मिलने वाली केंद्र की अनुदान राशि पर रोक लगा दी जाएगी।
राज्य सरकार को अब उन सड़कों को भी NHAI को सुपुर्द करना होगा, जिनका निर्माण या मरम्मत वह वर्तमान में कर रही है (करीब 925 किलोमीटर)। इससे बिहार को सड़क निर्माण लागत पर मिलने वाली 9% तक की आर्थिक हिस्सेदारी से भी वंचित होना पड़ेगा। नए आदेश का असर राज्य की बड़ी परियोजनाओं पर भी पड़ेगा। अब बिहार में प्रस्तावित सभी एक्सप्रेस-वे (छह लेन) का निर्माण भी बिहार सरकार की बजाय NHAI द्वारा ही किया जाएगा। यह व्यवस्था राज्य की योजना और बजट प्रणाली को चुनौतीपूर्ण बना सकती है, क्योंकि उसे केंद्र पर पूर्ण रूप से निर्भर रहना पड़ेगा।
यह निर्णय हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव वी. उमाशंकर की अध्यक्षता में आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में लिया गया। बैठक में नीति निर्धारण करते हुए राज्यों को निर्देश दिया गया कि वे स्वेच्छा से या बाध्यता के तहत NHAI को सौंपने योग्य सड़कों की सूची तैयार करें, ताकि ट्रांसफर की प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ पूरी हो सके। केंद्र के इस कदम से स्पष्ट है कि भविष्य में नेशनल हाईवे नेटवर्क की योजना, गुणवत्ता और प्रबंधन को एकरूपता देने की मंशा है। हालांकि, इससे बिहार जैसे राज्यों की विकासात्मक स्वतंत्रता और आर्थिक हिस्सेदारी पर असर पड़ सकता है। आने वाले समय में राज्य और केंद्र के बीच संपर्क, समन्वय और संसाधन-साझेदारी की प्रक्रिया और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी।