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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 31 Jul 2025 09:30:24 AM IST
बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE
Bihar News: बिहार सरकार राज्य की लगभग एक लाख आंगनबाड़ी सेविकाओं के लिए बड़ी राहत लेकर आई है। सरकार ने हर सेविका के बैंक खाते में 11,000 रुपये ट्रांसफर करने का निर्णय लिया है, जो वे स्मार्टफोन खरीदने के लिए उपयोग करेंगी। यह राशि वित्त विभाग द्वारा समाज कल्याण विभाग को आवंटित की गई है। पहले योजना के तहत सेविकाओं को नया मोबाइल फोन देने की बात हो रही थी, लेकिन अब सरकार सीधे रकम उपलब्ध कराएगी ताकि वे अपनी आवश्यकता के अनुसार फोन खरीद सकें।
आंगनबाड़ी सेविकाओं को मोबाइल की आवश्यकता इसलिए अनिवार्य हो गई है क्योंकि अब उनकी तमाम जिम्मेदारियां डिजिटल माध्यम से पूरी करनी होती हैं। हाजिरी से लेकर बच्चों की पोषण जानकारी तक सब कुछ ऑनलाइन पोषण ट्रैकर पोर्टल पर दर्ज करना होता है। हाल ही में शुरू हुई फेस कैप्चरिंग प्रक्रिया के तहत सेविकाओं को मोबाइल से ही लाभार्थियों के चेहरे की तस्वीरें खींचकर पोषण ट्रैकर पर अपलोड करनी होती हैं, तभी लाभार्थी विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
वर्तमान में लगभग 80 से 90 प्रतिशत सेविकाओं के पास स्मार्टफोन नहीं होने की वजह से यह प्रक्रिया धीमी चल रही थी। मोबाइल उपलब्ध होने से अब पोषण ट्रैकर पर समय से डेटा अपलोड करना और लाभार्थियों की पहचान की प्रक्रिया तेज होगी। इससे सेविकाओं द्वारा मोबाइल न होने के कारण बहाने बनाने की समस्या भी खत्म होगी। साथ ही सेविकाओं की ट्रैकिंग और उनके काम का बेहतर मूल्यांकन भी संभव होगा।
राज्य में कुल 1,15,000 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें कार्यरत सेविकाओं के लिए यह योजना क्रांतिकारी साबित होगी। आईसीडीएस के अनुसार, कई जिलों में अभी भी आधे से कम लाभार्थियों की फेस कैप्चरिंग हो पाई है, जिसकी मुख्य वजह स्मार्टफोन की कमी है। उदाहरण के तौर पर पटना जिले में केवल 60 प्रतिशत लाभार्थियों की ही तस्वीर कैप्चर की जा सकी है। इस नए वित्तीय सहायता से इस प्रतिशत में सुधार आने की उम्मीद है और आंगनबाड़ी सेवाओं की गुणवत्ता और पारदर्शिता दोनों में वृद्धि होगी।
सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि राशि मिलने के बाद एक सप्ताह के अंदर सेविकाओं को मोबाइल खरीदकर इसकी रिपोर्ट जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को सौंपनी होगी। जिला स्तर पर यह रिपोर्ट समेकित बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) निदेशालय को भेजी जाएगी, ताकि पूरी प्रक्रिया का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जा सके। इससे बिहार के पोषण और बाल विकास कार्यक्रमों की डिजिटल क्रांति को बढ़ावा मिलेगा और राज्य में महिलाओं तथा बच्चों की स्वास्थ्य और पोषण सेवाओं में सुधार होगा।