कटिहार में हाई टेंशन तार की चपेट में आया युवक, गंभीर रूप से झुलसा, आक्रोशित लोगों ने NH को किया जाम मुंगेर में नौकरी के नाम पर 34.83 लाख की ठगी, एक आरोपी जमशेदपुर से गिरफ्तार, दूसरा फरार BIHAR CRIME: वैशाली में दूध कारोबारी को अपराधियों ने मारी गोली, हालत नाजुक प्रशांत किशोर का बड़ा हमला: "बिहार में सरकार का इकबाल खत्म", तेजस्वी को बताया 'कट्टा बांटने वाला नेता' पटना में फिर गोलियों की गूंज: वकील के बाद अब युवक को मारी गोली, इलाके में दहशत मोतिहारी: 5 दिन से लापता किशोरी का शव नदी में मिला, इलाके में मचा हड़कंप सासाराम सदर अस्पताल में नवजात की मौत पर बवाल, सांसद और डॉक्टर के बीच हुई तीखी बहस अजय सिंह के नेतृत्व में बखोरापुर में शहीद स्मृति क्रिकेट टूर्नामेंट का सफल आयोजन, इटाहाना ने जीता खिताब Bihar Education News: ‘शिक्षकों का काम सिर्फ 9 से 4 बजे की नौकरी नहीं’ अल्पसंख्यक स्कूलों के निरीक्षण के दौरान बोले एस.सिद्धार्थ Bihar Education News: ‘शिक्षकों का काम सिर्फ 9 से 4 बजे की नौकरी नहीं’ अल्पसंख्यक स्कूलों के निरीक्षण के दौरान बोले एस.सिद्धार्थ
22-Nov-2024 08:22 AM
By First Bihar
PATNA : पटना हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही पर कारागार एवं सुधार सेवा विभाग पर एक लाख रुपये का आर्थिक दंड लगाया। इसके पूर्व कोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था। हलफनामा दायर कर कोर्ट को बताया गया कि दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई हैं। उन्हें सस्पेंड कर जवाब-तलब किया गया है।
दरअसल, जस्टिस पीबी बजंथरी और जस्टिस एस बी प्रसाद सिंह की खंडपीठ ने राम निवास गुप्ता की ओर से दायर आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई की। इस मामले पर सुनवाई के दौरान कारागार एवं सुधार सेवा के महानिरीक्षक कोर्ट में उपस्थित थे। कोर्ट ने महानिरीक्षक को जुर्माना राशि की वसूली दोषी कर्मियों से करने की पूरी छूट दी। वहीं कोर्ट ने दोषी कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया छह माह के भीतर पूरा करने का आदेश दिया।
आवेदक की ओर से अधिवक्ता अरुण कुमार ने कोर्ट को बताया कि कॉपी राइट को लेकर आवेदक के खिलाफ विभिन्न थानों में एक ही प्रकार के आरोप लगा कर पांच केस दर्ज कराया गया है। उनका कहना था कि तीन केस में जमानत मिलने के बाद जब जेल से छोड़ने के लिए कोर्ट से रिलीज आदेश जेल पर गया, तो जेल अधिकारियों ने उसे जेल से नहीं छोड़ा।
उन्होंने कहा कि आवेदक के खिलाफ दो केस में बॉडी वारंट जारी हो चुका है, लेकिन उसे रिमांड पर नहीं लिया गया है। इस आधार पर उसे जेल से जमानत पर नहीं छोड़ा गया। वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कारागार एवं सुधार सेवा के महानिरीक्षक का बचाव करते हुए कहा कि जेल कर्मियों से गलती हुई है, लेकिन जेलकर्मी बॉडी वारंट को नजरअंदाज नहीं कर सकते। कर्मचारी आंख बंद कर किसी को जेल से नहीं छोड़ सकते।
इधर, कोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मियों से गलती हुई है, जिस कारण आवेदक को बेवजह लम्बे समय तक जेल में रहना पड़ा। ऐसे में इस केस में कोई राहत नहीं दी जा सकती। बेवजह जेल में रखने पर मुआवजा देना होगा। कोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह के भीतर एक लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. साथ ही याचिका को निष्पादित कर दिया।