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जो बिहार में बुरी तरह से हारे उनको दिल्ली में जीताने की मिली जिम्मेवारी, ये नेता अपनी सीट तक नहीं बचा पाए

जो बिहार में बुरी तरह से हारे उनको दिल्ली में जीताने की मिली जिम्मेवारी, ये नेता अपनी सीट तक नहीं बचा पाए

22-Jan-2020 10:44 AM

DELHI: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने आज 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है. इसमें ऐसे तीन बिहार के नेताओं को दिल्ली जीताने की जिम्मेदारी मिली हैं तो खुद लोकसभा चुनाव के दौरान बुरी तरह से हार गए थे.  कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मनमोहन सिंह, अमरिंदर सिंह, शशि थरूर, नवजोत सिंह सिद्धू, एक्ट्रेस नगमा समेत 40 चुनाव प्रचार करेंगे.


तीनों की लोकसभा चुनाव के दौरान हुई थी हार

कांग्रेस के स्टार प्रचारक और बिहारी बाबू के नाम से फेमस शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी से बगावत कर कांग्रेस का हाथ थामा और वह पटना साहिब से कांग्रेस के चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन यहां पर उनकी हार बीजेपी के रविशंकर प्रसाद से हो गई. सिन्हा इस सीट से कई बार सांसद रह चुके थे. सासाराम से मीरा कुमार भी अपनी सीट नहीं बचा पाई थी. यहां पर उनको बीजेपी के छेदी पासवान ने हरा दिया था. मीरा यहां से कई बार सांसद रह चुकी हैं. बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आए कीर्ति आजाद दरभंगा से लड़ने की जिद करने लगे. लेकिन कांग्रेस ने कीर्ति आजाद को धनबाद से उम्मीदवार बनाया, लेकिन कीर्ति भी यहां से हार गए. यहां से जीतने के लिए कीर्ति आजाद ने जी जान लगा दिया था. लेकिन इनका कांग्रेस के नेता ही विरोध करते थे. अब दिल्ली जीताने की जिम्मेवारी इन हारे हुए बिहारी नेताओं को मिली है. अब देखना है कि यह बिहारी वोटरों को कितना लुभा सकते हैं. जिसका फायदा कांग्रेस को मिलेगी.


बिहार वोटरों को लुभाने में लगी सभी पार्टियां

दिल्ली के कई विधानसभा क्षेत्रों में बिहार के रहने वाले लोगों की अच्छी खासी संख्या हैं. इन वोटरों को लुभाने के लिए बिहार के नेताओं का सहारा लिया जाता हैं. कई सीटों पर जीताने में बिहारी वोटरों का योगदान महत्वपूर्ण होता है. 


फरवरी को चुनाव

दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर 8 फरवरी को मतदान होगा. जबकि 11 फरवरी को नतीजे घोषित किए जाएंगे. नामांकन पत्रों की जांच 22 जनवरी को होगी. जबकि नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 24 जनवरी है. 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 70 में से 67 सीटें मिली थीं. भाजपा ने 3 सीटें जीती थीं. कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिल सकी थी.