BIHAR: अब 24 घंटे में बनेगा ड्राइविंग लाइसेंस, परिवहन मंत्री श्रवण कमार ने एजेंसी को दिये सख्त निर्देश वैशाली में मानव तस्करी और देह व्यापार का खुलासा, दो बहनों का रेस्क्यू, 5 गिरफ्तार बिहार: शहीद जवान अमिताभ बच्चन की प्रतिमा का अनावरण, पत्नी को नियुक्ति पत्र और 43 लाख की अनुग्रह राशि बिहार का दूसरा 'टारजन' दिलबर खान: 1 किलो दाल, 5 लीटर दूध और 50 रोटियों की खुराक से कर रहा हैरान करने वाले स्टंट बिहार पंचायत चुनाव 2026: आरक्षण और निर्वाचन प्रक्रिया पर निर्वाचन आयोग ने दी स्पष्ट जानकारी एक सिपाही ऐसा भी: घायल को कंधे पर उठाकर अस्पताल पहुंचाया, लोगों के साथ-साथ पुलिस कप्तान ने भी की तारीफ Indian Railways New Rule : रेलवे ने बदला रिजर्वेशन चार्ट का नियम, अब टिकट स्टेटस मिलेगा 10 घंटे पहले IAS Removal Process: कैसे पद से हटाए जाते है IAS अधिकारी, संतोष वर्मा मामले से जानिए पूरी डिटेल Bihar News: अदना सा JE के पास आय से 1.46 करोड़ की अधिक संपत्ति, निगरानी टीम भ्रष्ट अभियंता के ठिकानों पर कर रही छापेमारी vigilance bureau bihar : 5,000 रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार हुआ ASI, निगरानी ब्यूरो की बड़ी कार्रवाई
02-May-2025 08:45 AM
By First Bihar
Kedarnath Dham history: 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, केदारनाथ धाम के कपाट आज शुक्रवार सुबह 7:00 बजे विधि-विधान के साथ भक्तों के दर्शन हेतु खोल दिए गए। हिमालय की गोद में बसा यह पवित्र स्थल हर साल 6 महीने बर्फबारी के कारण बंद रहता है और गर्मी के आगमन पर खुलता है। कपाट खुलते ही पहले दिन ही हजारों श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन को पहुंच गए।
पौराणिक मान्यताएं: नर-नारायण की भक्ति से प्रकट हुए भगवान शिव
शिवपुराण की कोटीरुद्र संहिता के अनुसार, बदरीवन में भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण ने कठोर तपस्या के साथ प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग की पूजा की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव वहां प्रकट हुए और वरदान मांगने को कहा। नर-नारायण ने प्रार्थना की कि भगवान शिव सदा के लिए यहीं वास करें, ताकि सभी भक्तों को उनके दर्शन सहज हो सकें। तभी से यह क्षेत्र 'केदार' कहलाया और शिव यहां केदारनाथ के रूप में पूजे जाने लगे।
महाभारत से जुड़ी कथा: भैंसे के रूप में पांडवों को दिए दर्शन
महाभारत युद्ध के पश्चात, पांडव अपने कर्मों के प्रायश्चित हेतु भगवान शिव की तलाश में निकले। शिव जी पांडवों से बचने के लिए भैंसे का रूप धारण कर केदार क्षेत्र में छिप गए। भीम ने उन्हें पहचान कर पकड़ा, और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए। यही कारण है कि केदारनाथ में शिव की पूजा भैंसे की पीठ के रूप में होती है। मान्यता है कि शिव का मुख नेपाल के पशुपतिनाथ में प्रकट हुआ।
आदि शंकराचार्य का योगदान: मंदिर का पुनर्निर्माण
पौराणिक मान्यता है कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडव वंश के राजा जनमेजय द्वारा करवाया गया था। समय के साथ क्षतिग्रस्त हुए मंदिर का पुनर्निर्माण 8वीं सदी में आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया और यहीं उनका समाधि स्थल भी स्थित है।
आज के दिन की विशेषता: अखंड ज्योत के दर्शन
कपाट खुलने के साथ ही भक्तों ने मंदिर में अखंड ज्योत के दर्शन किए। केदारनाथ धाम का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत विशिष्ट है। यदि आप भी इस दिव्य धाम की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो मौसम और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि यह यात्रा कठिन और ऊँचाई वाली है।