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31-Aug-2025 09:05 AM
By First Bihar
Road Accidents: बिहार सड़क दुर्घटनाओं के मामले में देश के शीर्ष राज्यों में दूसरे स्थान पर है, जहां हर साल हजारों जिंदगियां सड़क हादसों का शिकार हो रही हैं। पुलिस और परिवहन विभाग की संयुक्त रिपोर्ट से कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं जो बताते हैं कि शाम के 6 बजे से रात के 9 बजे तक सबसे ज्यादा हादसे हो रहे हैं। इसके अलावा, 18 से 45 साल के युवाओं की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत से अधिक है और हाई स्पीड मुख्य वजह बन रही है।
राष्ट्रीय राजमार्गों पर 40 प्रतिशत हादसे दर्ज किए गए हैं, जबकि पैदल यात्री और दोपहिया सवार सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। यह रिपोर्ट 2023 के आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें बिहार ने मिजोरम के बाद दूसरा स्थान हासिल किया। इन खुलासों से साफ है कि हड़बड़ी, ट्रैफिक नियमों की अवहेलना और खराब इंफ्रास्ट्रक्चर हादसों को बढ़ावा दे रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में सड़क हादसे रोजी-रोजगार के चक्कर में घर से निकलने या लौटने के समय ज्यादा हो रहे हैं। शाम के 6 से 9 बजे के बीच 16.47 प्रतिशत हादसे दर्ज किए गए, जब लोग काम से घर वापस आते हैं और जल्दबाजी में नियम तोड़ देते हैं। सुबह के 9 से दोपहर 12 बजे के बीच 15.55 प्रतिशत, सुबह 6 से 9 बजे के बीच 14.52 प्रतिशत, दोपहर 12 से शाम 3 बजे के बीच 12.90 प्रतिशत, रात 9 से 12 बजे के बीच 9.95 प्रतिशत, रात 3 से सुबह 6 बजे के बीच 9.95 प्रतिशत और सबसे कम रात 12 से 3 बजे के बीच सिर्फ 4 प्रतिशत हादसे होते हैं।
ये आंकड़े बताते हैं कि पीक आवर्स में वाहनों की संख्या बढ़ने से दुर्घटनाओं का खतरा दोगुना हो जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि NH पर 40 प्रतिशत हादसे होने का मुख्य कारण हाई स्पीडिंग और खराब सड़क डिजाइन है। मिजोरम पहले नंबर पर है, लेकिन बिहार की स्थिति भी चिंताजनक है, जहां 2023 में कुल 4.80 लाख हादसों में से राज्य का बड़ा हिस्सा शामिल है।
हादसों में शिकार होने वालों में युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है जो राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा नुकसान है। 18 से 25 साल के युवाओं की मौत 22 प्रतिशत, 25 से 35 साल के बीच 21 प्रतिशत, 35 से 45 साल के बीच 17 प्रतिशत, 45 से 50 साल के बीच 9 प्रतिशत और 18 साल से कम उम्र के 7 प्रतिशत हैं। कुल मिलाकर 18-45 साल के 60 प्रतिशत से ज्यादा युवा प्रभावित हो रहे हैं।
हाई स्पीड की वजह से 68 प्रतिशत मौतें हो रही हैं, जबकि ट्रैफिक उल्लंघन जैसे गलत साइड ड्राइविंग, मोबाइल यूज और शराब पीकर ड्राइविंग भी प्रमुख कारक हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 60 प्रतिशत हादसे हो रहे हैं, जहां सड़कें संकरी और रखरखाव की कमी है। सड़क हादसों के प्रकार के आधार पर भी खुलासे हुए हैं। पैदल चलने वाले 31 प्रतिशत, दोपहिया सवार 27 प्रतिशत, साइकिल चालक 5 प्रतिशत, ऑटो सवार 5 प्रतिशत, कार सवार 5 प्रतिशत, ट्रक सवार 2 प्रतिशत और बस सवार 1 प्रतिशत शिकार हो रहे हैं।
दोपहिया सवारों में हेलमेट न पहनने की वजह से 50,000 से ज्यादा मौतें हुई हैं। बिहार में NH पर ज्यादातर हादसे ओवरस्पीडिंग से हो रहे हैं और पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए फुटओवरब्रिज और सिग्नल सिस्टम की कमी एक बड़ी समस्या है। 2023 में देशभर में 1.72 लाख मौतें हुईं, जिसमें बिहार का योगदान काफी रहा। रिपोर्ट से साफ है कि जागरूकता अभियान, स्पीड लिमिट और हेलमेट-सीटबेल्ट अनिवार्यता पर ध्यान देकर हादसों को कम किया जा सकता है।