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08-Oct-2025 11:26 AM
By First Bihar
Bihar Police : बिहार पुलिस एक बार फिर अपने कामकाज को लेकर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार मामला गंभीर और संवेदनशील है। मुजफ्फरपुर जिले के करजा थाना क्षेत्र में एक अनुसूचित जाति की किशोरी के साथ हुए गैंगरेप मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज करते समय एससी-एसटी एक्ट की जरूरी धारा लगाने में चूक कर दी। एससी-एसटी एक्ट की यह धारा उन मामलों में अनिवार्य होती है जहाँ पीड़ित अनुसूचित जाति या जनजाति का सदस्य हो, ताकि अपराधियों के खिलाफ विशेष कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जा सके।
इस मामले में अब सुधार की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मुजफ्फरपुर की विशेष पॉक्सो कोर्ट संख्या-तीन में पुलिस बुधवार को शुद्धि पत्र दाखिल करेगी। शुद्धि पत्र में पुलिस यह प्रार्थना करेगी कि एफआईआर में एससी-एसटी एक्ट की धारा जोड़ने की अनुमति दी जाए और इस धारा के तहत जांच की जा सके। विशेष कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद ही पुलिस आधिकारिक रूप से जांच में इस धारा को शामिल कर पाएगी।
मामले में अब तक कुल पांच आरोपितों को नामजद किया गया है। इनमें से तीन आरोपित पहले ही पुलिस की गिरफ्त में हैं। मंगलवार को दो अन्य आरोपित, मंजय कुमार और मिथिलेश कुमार, को गिरफ्तार किया गया। दोनों को विशेष पॉक्सो कोर्ट संख्या-तीन में पेश किया गया, जहां न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इस तरह अब सभी पांच आरोपितों की गिरफ्तारी पूरी हो गई है।
पीड़िता की सुरक्षा और कानूनी प्रक्रिया की निगरानी को लेकर भी पुलिस और कोर्ट पूरी सतर्कता बरत रहे हैं। मंगलवार को पीड़ित किशोरी को विशेष पॉक्सो कोर्ट संख्या-तीन में पेश किया गया। कोर्ट के आदेश पर न्यायिक दंडाधिकारी अमृतांशा के समक्ष किशोरी का बयान दर्ज किया गया। यह बयान आगे की जांच और अदालत में केस के लिए महत्वपूर्ण सबूत साबित होगा।
साथ ही, पुलिस ने मामले में जरूरी साक्ष्य भी कोर्ट में पेश करने की तैयारी की है। इसमें पीड़िता और आरोपितों के कपड़े, घटनास्थल से बरामद वस्तुएं शामिल हैं। इन सब साक्ष्यों को एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लैब) और डीएनए जांच के लिए कोर्ट से अनुमति प्राप्त कर प्रस्तुत किया जाएगा। इससे यह स्पष्ट किया जा सकेगा कि आरोपित घटना स्थल पर मौजूद थे और पीड़िता के साथ अपराध में शामिल थे।
बिहार में एससी-एसटी एक्ट के तहत अपराधों की जांच और कार्रवाई संवेदनशील मानी जाती है, क्योंकि यह जातीय अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए बनाया गया कानून है। ऐसे मामलों में एफआईआर में सही धारा का होना बहुत जरूरी है, ताकि जांच कानूनी रूप से मजबूत हो और दोषियों को सजा दिलाई जा सके। इस मामले में पुलिस की प्रारंभिक चूक को सुधारने के लिए विशेष कोर्ट से अनुमति लेना जरूरी था, जो अब होने जा रही है।
विशेष पॉक्सो कोर्ट की निगरानी में जांच और गिरफ्तारी से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि पीड़िता को न्याय मिले और आरोपितों को कानून के मुताबिक सजा दी जाए। कोर्ट के आदेश और पुलिस की कार्रवाई से यह मामला कानून के दायरे में आ गया है। इससे न सिर्फ पीड़िता को न्याय मिलेगा, बल्कि अन्य संवेदनशील मामलों में भी यह एक मिसाल साबित होगा कि कानून के तहत किस तरह जल्दी और प्रभावी कार्रवाई की जा सकती है।
इस घटना ने बिहार पुलिस और न्याय व्यवस्था के बीच समन्वय की आवश्यकता को भी उजागर किया है। एफआईआर में किसी जरूरी धारा को शामिल करना न केवल कानूनी जिम्मेदारी है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके। इस मामले में अब शुद्धि पत्र दाखिल होने और विशेष कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद जांच और प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी रूप से मजबूत हो जाएगी।
बहरहाल,मुजफ्फरपुर के करजा थाना क्षेत्र में अनुसूचित जाति की किशोरी के साथ गैंगरेप मामले में पुलिस ने शुरू में जो चूक की थी, उसे सुधारने की प्रक्रिया चल रही है। विशेष पॉक्सो कोर्ट में शुद्धि पत्र दाखिल होना और एससी-एसटी एक्ट की धारा जोड़ने की अनुमति मिलना, जांच को और अधिक प्रभावी बनाएगा। पांचों आरोपित गिरफ्तार हैं और न्यायिक हिरासत में हैं। पीड़िता का बयान दर्ज हो चुका है और जरूरी साक्ष्य एफएसएल व डीएनए जांच के लिए कोर्ट में पेश किए जाएंगे। यह मामला बिहार में संवेदनशील अपराधों की जांच और कानून के सही तरीके से पालन का उदाहरण बनेगा।