जिम में पसीना बहाते तेज प्रताप का वीडियो वायरल, TY Vlog से बढ़ी लोकप्रियता SBI का ATM काटकर 16 लाख की लूट, गार्ड नहीं रहने के कारण बदमाशों ने दिया घटना को अंजाम पटना में 25 जगहों पर बनेंगे वेंडिंग जोन, GIS मैपिंग और कचरा प्रबंधन को मिलेगी रफ़्तार: मंत्री नितिन नवीन देवघर के युवक की जमुई में गोली मारकर हत्या, दोस्तों के साथ पूजा में शामिल होने आया था विनोद सहरसा में जेई लूटकांड का खुलासा: हथियार और लूटे गये सामान के साथ अपराधी गिरफ्तार दरभंगा में बीजेपी नेता के घर 10 लाख की चोरी, बंद घर को चोरों ने बनाया निशाना जमुई में पत्थर से कुचलकर 10 साल के बच्चे की हत्या, पड़ोसी ने दिया घटना को दिया अंजाम, पुलिस ने दबोचा ‘आ जाऊंगा यार, I love you..’, लेडी DSP कल्पना वर्मा केस में फोटो और चैट वायरल, पुलिस महकमे में हड़कंप ‘आ जाऊंगा यार, I love you..’, लेडी DSP कल्पना वर्मा केस में फोटो और चैट वायरल, पुलिस महकमे में हड़कंप मुकेश अंबानी के समधी अजय पीरामल ने पटना साहिब में मत्था टेका, पहली बार किया पावन दरबार का दर्शन
13-Aug-2025 09:47 AM
By First Bihar
Bihar News: बिहार में बच्चों को स्कूलों तक पहुंचाने के तमाम प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। राज्य में पहली से आठवीं कक्षा तक नामांकन के बावजूद लगभग 65 लाख बच्चे नियमित रूप से स्कूल नहीं जा रहे हैं। सरकारी स्कूलों में जुलाई माह में औसतन 55 से 60 फीसदी ही बच्चों की उपस्थिति दर्ज हुई है। खासकर पहली से पांचवीं कक्षा तक एक करोड़ से अधिक बच्चे नामांकित हैं, जिनमें से करीब 40 लाख बच्चे स्कूल नहीं पहुंच रहे हैं। वहीं, छठी से आठवीं कक्षा के कुल 57 लाख बच्चों में से लगभग 25 लाख बच्चे गैरहाजिर पाए गए हैं। मुजफ्फरपुर जिले की स्थिति और भी चिंताजनक है, जहां पहली से आठवीं कक्षा के सात लाख नामांकित बच्चों में से तीन लाख बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं।
यह समस्या मध्याह्न भोजन योजना से जुड़े आंकड़ों से भी स्पष्ट होती है, क्योंकि स्कूल में उपस्थित बच्चों को ही मध्याह्न भोजन दिया जाता है। हालांकि कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां उपस्थिति से अधिक बच्चों के नाम मध्याह्न भोजन के लिए दर्ज किए गए, जिससे योजना की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठते हैं। जुलाई के आंकड़े बताते हैं कि अधिकांश जिलों में एक से चार लाख तक बच्चे नियमित तौर पर स्कूल नहीं पहुंचे।
जिला स्तर पर स्थिति यह है कि पूर्वी चंपारण में 6 लाख नामांकित बच्चों में से 3 लाख 67 हजार से अधिक बच्चे अनुपस्थित रहे। पश्चिम चंपारण में 3 लाख 78 हजार में से केवल 2 लाख 49 हजार बच्चे स्कूल पहुँचे। पटना जिले में 3 लाख 79 हजार में से केवल 2 लाख 16 हजार बच्चे उपस्थित थे। मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी और वैशाली जैसे जिलों में भी उपस्थिति काफी कम रही।
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूलों में बच्चों की कम उपस्थिति का कारण शिक्षा की गुणवत्ता और मनोरंजन के अभाव के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक कारक भी हैं। सीबीएसई के काउंसलर डॉ. प्रमोद कुमार ने कहा है कि शिक्षा को बच्चों के लिए रुचिकर बनाने की नीतियां तो बनती हैं, लेकिन स्कूलों में उनका प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पाता। एनसीईआरटी की शोधकर्ता डॉ. शरद सिन्हा के अनुसार, बिहार में बच्चों के स्कूल न जाने का बड़ा कारण माता-पिता का रोजगार हेतु दूसरे राज्यों में पलायन है। परिवार के मुखिया के बाहर जाने पर बच्चों को सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाता और वे घरेलू कामकाज या छोटे भाई-बहनों की देखभाल में उलझ जाते हैं।
बिहार सरकार ने बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन, सभी बच्चों को पोशाक के लिए वित्तीय सहायता, कक्षा अनुसार छात्रवृत्ति, और नि:शुल्क किताबों, कॉपी व बैग का वितरण शामिल है। बावजूद इसके, उपस्थिति सुधारने के लिए बेहतर शिक्षा व्यवस्था, परिवारों को रोजगार स्थली पर स्थिरता देने, और स्कूलों में बच्चों की भागीदारी बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है।
इस स्थिति से निपटने के लिए शिक्षा विभाग को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम चलाने, स्कूलों के वातावरण को बेहतर बनाने, शिक्षकों की गुणवत्ता सुधारने, और परिवारों को आर्थिक एवं सामाजिक सहायता प्रदान करने पर ध्यान देना होगा ताकि बिहार के लाखों बच्चे शिक्षा के प्रकाश से वंचित न रहें।