जिम में पसीना बहाते तेज प्रताप का वीडियो वायरल, TY Vlog से बढ़ी लोकप्रियता SBI का ATM काटकर 16 लाख की लूट, गार्ड नहीं रहने के कारण बदमाशों ने दिया घटना को अंजाम पटना में 25 जगहों पर बनेंगे वेंडिंग जोन, GIS मैपिंग और कचरा प्रबंधन को मिलेगी रफ़्तार: मंत्री नितिन नवीन देवघर के युवक की जमुई में गोली मारकर हत्या, दोस्तों के साथ पूजा में शामिल होने आया था विनोद सहरसा में जेई लूटकांड का खुलासा: हथियार और लूटे गये सामान के साथ अपराधी गिरफ्तार दरभंगा में बीजेपी नेता के घर 10 लाख की चोरी, बंद घर को चोरों ने बनाया निशाना जमुई में पत्थर से कुचलकर 10 साल के बच्चे की हत्या, पड़ोसी ने दिया घटना को दिया अंजाम, पुलिस ने दबोचा ‘आ जाऊंगा यार, I love you..’, लेडी DSP कल्पना वर्मा केस में फोटो और चैट वायरल, पुलिस महकमे में हड़कंप ‘आ जाऊंगा यार, I love you..’, लेडी DSP कल्पना वर्मा केस में फोटो और चैट वायरल, पुलिस महकमे में हड़कंप मुकेश अंबानी के समधी अजय पीरामल ने पटना साहिब में मत्था टेका, पहली बार किया पावन दरबार का दर्शन
31-Aug-2025 07:24 AM
By First Bihar
Bihar News: बिहार में बड़ी संख्या में लोग जरूरत से ज्यादा सोचने में अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। महिला विकास मंत्रालय द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि राज्य के 60 फीसदी लोग बेवजह की बातों पर अत्यधिक सोच-विचार में उलझे रहते हैं, जिससे न केवल उनका समय नष्ट होता है बल्कि मानसिक तनाव भी बढ़ता है।
सर्वे के अनुसार, 50% लोग सोशल मीडिया पर लाइक्स नहीं मिलने को लेकर चिंता करते रहते हैं, जबकि 40% लोग किसी रेस्टोरेंट में क्या खाना है, इसका फैसला करने में ही 20 से 25 मिनट खर्च कर देते हैं। यह भी सामने आया कि 35% लोग रोजाना यह तय करने में दो से तीन घंटे लगा देते हैं कि क्या पहनें।
गौरतलब है कि यह सर्वे 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच कराया गया, जिसमें कुल 30,90,675 लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी, नौकरीपेशा लोग और व्यवसायी शामिल थे। प्रतिभागियों को एक ऑनलाइन लिंक के माध्यम से 15 सवालों का जवाब हां या ना में देना था।
सर्वे में भाग लेने वालों में 18 लाख से ज्यादा महिलाएं थीं। रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाएं घर के छोटे-बड़े फैसलों से लेकर बच्चों की पढ़ाई, ऑफिस के सहयोगियों से हुए संवाद तक, हर विषय पर अधिक सोचती हैं। कामकाजी महिलाओं में ऑफिस के माहौल, बॉस की प्रतिक्रिया, सहकर्मियों का व्यवहार जैसे पहलुओं को लेकर अत्यधिक सोचने की प्रवृत्ति पाई गई।
10 लाख 11 हजार लोगों ने बताया कि वे किसी के लिए गिफ्ट खरीदने में कई-कई घंटे सोचते हैं, फिर भी निर्णय नहीं ले पाते। घूमने की योजना बनाने में तीन से चार घंटे तक सोचने वाले लोगों की संख्या भी काफी अधिक है। 4% युवा यह सोचने में समय गंवाते हैं कि सोशल मीडिया पर 'रिल्स' किन विषयों पर बनाएं। सर्वे के मुताबिक, सिर्फ 15 फीसदी नौकरीपेशा लोग ही अपने कार्य से संबंधित मुद्दों पर ज्यादा सोचते हैं। शेष लोग अन्य विषयों जैसे पहनावा, दिखावा, रिश्तों, सोशल मीडिया पर इम्प्रेशन और दूसरे की राय पर ज्यादा चिंतन करते हैं।
मनोवैज्ञानिक समिधा तिवारी का कहना है कि अधिक सोचने की प्रवृत्ति से व्यक्ति मानसिक रूप से थका हुआ महसूस करता है, जिससे तनाव, अवसाद और आत्म-संदेह जैसी समस्याएं जन्म ले सकती हैं।
वहीं, मनोवैज्ञानिक कुमुद श्रीवास्तव का मानना है कि आज के दौर में लोग स्वयं को दूसरों से बेहतर दिखाने की होड़ में हैं। जब वे इस मानक पर खरे नहीं उतरते, तो खुद को लेकर सोचने लगते हैं—"क्या करें जिससे लोग हमें नोटिस करें?" इस परफेक्शन की चाह भी अत्यधिक सोच का एक बड़ा कारण है।