BIHAR: बिजली टावर पर चढ़ा बुजुर्ग, हाईटेंशन तार पर लटकने के बाद खेत में गिरा, बाल-बाल बची जान Bihar News: बिहार में शांतिपूर्ण चुनाव को लेकर प्रशासन सतर्क, शिवहर में SSB जवानों ने किया फ्लैग मार्च Bihar News: बिहार में शांतिपूर्ण चुनाव को लेकर प्रशासन सतर्क, शिवहर में SSB जवानों ने किया फ्लैग मार्च Bihar Politics: चिराग पासवान ने जीजा अरुण भारती को सौंपी बिहार की कमान, दे दी यह बड़ी जिम्मेवारी Bihar Politics: चिराग पासवान ने जीजा अरुण भारती को सौंपी बिहार की कमान, दे दी यह बड़ी जिम्मेवारी Bihar Politics: छठ महापर्व को लेकर रेलवे का बड़ा फैसला, बिहार के लिए चलेंगी 12 हजार स्पेशल ट्रेनें; सम्राट चौधरी ने जताया आभार Bihar Politics: छठ महापर्व को लेकर रेलवे का बड़ा फैसला, बिहार के लिए चलेंगी 12 हजार स्पेशल ट्रेनें; सम्राट चौधरी ने जताया आभार Bihar Politics: महागठबंधन में मुकेश सहनी ने किया उपमुख्यमंत्री पद पर दावा, बोले- तेजस्वी सीएम, मैं डिप्टी सीएम बनूंगा Bihar Politics: महागठबंधन में मुकेश सहनी ने किया उपमुख्यमंत्री पद पर दावा, बोले- तेजस्वी सीएम, मैं डिप्टी सीएम बनूंगा बिहार सरकार ने दिवाली की छुट्टी की तारीख बदली, अब इस दिन रहेगा सरकारी अवकाश
04-Oct-2025 11:43 AM
By First Bihar
Bihar politics : बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ पूरी गति से चल रही हैं और सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप दे रहे हैं। इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने चुनाव आयोग से एक बड़ी मांग रखी है। बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने चुनाव आयुक्त से आग्रह किया है कि राज्य में विधानसभा चुनाव दो चरणों में आयोजित किया जाए। साथ ही उन्होंने चुनाव प्रचार के लिए कम से कम 28 दिनों का समय देने की भी मांग की है।
भाजपा की इस मांग का उद्देश्य स्पष्ट है। राज्य में चुनावी माहौल को देखते हुए पार्टी चाहती है कि उसके पास जनता के बीच जाकर अपने कार्यक्रम, नीतियाँ और योजनाएँ जनता तक पहुंचाने का पर्याप्त समय हो। भाजपा का कहना है कि अगर चुनाव एक ही चरण में होते हैं और प्रचार का समय सीमित होता है, तो पार्टी के नेताओं के लिए पूरे राज्य में जनता तक पहुँच पाना मुश्किल हो जाएगा। इस कारण से दो चरणों में चुनाव कराना और 28 दिन का प्रचार समय देना आवश्यक है।
दिलीप जायसवाल ने कहा कि चुनाव आयोग को यह सुझाव देने का मकसद निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है। बिहार के विभिन्न जिलों और विधानसभा क्षेत्रों में जनसंख्या और भौगोलिक स्थिति अलग-अलग है, इसलिए दो चरणों में चुनाव कराने से मतदान प्रक्रिया सुचारू और सुरक्षित रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव प्रचार का पर्याप्त समय मिलने से सभी राजनीतिक दल जनता तक अपनी नीतियों और विज़न को सही तरीके से पेश कर सकेंगे।
चुनाव आयोग (ECI) के अनुसार, सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठक करके उन्हें सुझाव देने और मुद्दों को समझने का पूरा मौका मिलता है। भाजपा की यह मांग भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा है। चुनाव आयोग अब सभी दलों के सुझावों और मांगों पर विचार करेगा और तय करेगा कि चुनाव कब और कैसे कराए जाएँ।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि भाजपा की यह मांग दो कारणों से महत्वपूर्ण है। पहला, पार्टी जनता तक अपनी योजनाओं और उपलब्धियों को पहुँचाने के लिए अधिक समय चाहती है। और दूसरा, दो चरणों में चुनाव कराने से चुनाव आयोग को मतदान प्रक्रिया पर बेहतर नियंत्रण और सुरक्षा सुनिश्चित करने का मौका मिलेगा। बिहार के विभिन्न जिलों में सुरक्षा और प्रशासनिक सुविधाओं के हिसाब से चुनाव की योजना बनाना आसान होगा।
इससे पहले, चुनाव आयोग ने हमेशा राज्य की सुरक्षा, मतदान प्रक्रिया की निष्पक्षता और चुनावी निष्पक्षता को ध्यान में रखते हुए चुनाव की तारीखों और चरणों का एलान किया है। भाजपा की इस मांग को देखते हुए आयोग को अब यह तय करना होगा कि क्या दो चरणों में चुनाव कराना संभव है और क्या प्रचार के लिए 28 दिन का समय देना उचित है।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि चुनाव प्रचार का समय लंबा होने से सभी पार्टियों को जनता के सामने अपनी नीतियों और घोषणापत्र को विस्तार से पेश करने का अवसर मिलेगा। इससे मतदाता को सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी। वहीं, दो चरणों में चुनाव कराने से प्रशासनिक तंत्र को भी सभी मतदान केंद्रों पर बेहतर ढंग से व्यवस्था करने में सुविधा होगी।
राज्य में राजनीतिक गतिविधियाँ पहले ही तेज हो गई हैं। भाजपा के साथ-साथ अन्य प्रमुख पार्टियाँ भी अपनी तैयारियों में जुटी हैं। ऐसे में चुनाव आयोग की अगली घोषणा पर सभी दलों की नजरें हैं। भाजपा की मांग अगर मानी जाती है, तो बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में आयोजित होंगे और प्रचार के लिए दलों को पर्याप्त समय मिलेगा।
इस तरह, भाजपा की यह मांग राज्य की राजनीतिक चर्चा का मुख्य मुद्दा बन गई है। अब यह चुनाव आयोग पर निर्भर करेगा कि वह पार्टी की मांग को कितना महत्व देता है और चुनाव की रूपरेखा किस तरह तय करता है।