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BIHAR ELECTION : सीमांचल में सियासी संग्राम: अमित शाह, नीतीश, ओवैसी और तेजस्वी आज आमने-सामने; 24 सीटों पर बढ़ी सियासी जंग

BIHAR ELECTION : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अररिया में विशाल सम्मेलन को संबोधित करेंगे। उनका फोकस सीमांचल के साथ-साथ अंग-कोसी क्षेत्र के नौ जिलों के कार्यकर्ताओं को 2025 के चुनावी रण में जीत का मंत्र देना है।

BIHAR ELECTION

27-Sep-2025 10:54 AM

By First Bihar

BIHAR ELECTION : बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है। चुनावी बिगुल बजने से पहले ही प्रदेश का राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ने लगा है। खासकर सीमांचल और कोसी का इलाका, जहां विधानसभा की 24 सीटें आती हैं, सभी दलों के लिए बेहद अहम माना जाता है। यही वजह है कि आज शनिवार को इस क्षेत्र में कई बड़े नेताओं के दौरे होने वाले हैं।


केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अररिया में विशाल सम्मेलन को संबोधित करेंगे। उनका फोकस सीमांचल के साथ-साथ अंग-कोसी क्षेत्र के नौ जिलों के कार्यकर्ताओं को 2025 के चुनावी रण में जीत का मंत्र देना है। जानकारी के मुताबिक, शाह की इस बैठक में करीब 44 नेता और कार्यकर्ता शामिल होंगे। बीजेपी की रणनीति साफ है कि इस बार सीमांचल में पिछली बार की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करना है। 2020 के चुनाव के बाद से ही बीजेपी यहां लगातार सक्रिय है। शाह का यह दौरा उसी कड़ी का हिस्सा है।


दूसरी ओर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कटिहार पहुंच रहे हैं। वे समेली प्रखंड में साहित्य रत्न अनूपलाल मंडल की प्रतिमा का अनावरण करेंगे और करीब 250 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास व उद्घाटन करेंगे। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नीतीश कुमार चुनावी आचार संहिता लागू होने से पहले अधिक से अधिक योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करना चाहते हैं, ताकि जनता को सीधे तौर पर संदेश मिले कि विकास कार्य उनकी प्राथमिकता है। कटिहार का यह दौरा नीतीश के लिए राजनीतिक दृष्टि से अहम है, क्योंकि सीमांचल में उनका पारंपरिक वोट बैंक कमजोर हुआ है और वे इसे फिर से साधने की कोशिश में हैं।


इधर, एआईएमआईएम के सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी पिछले चार दिनों से सीमांचल में कैंप कर रहे हैं। वे "सीमांचल न्याय यात्रा" के नाम से अल्पसंख्यक मतदाताओं को जोड़ने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। 2020 में ओवैसी की पार्टी ने इस क्षेत्र से पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन बाद में उनके चार विधायक राजद में शामिल हो गए। इस बार ओवैसी न सिर्फ अपनी पार्टी का अस्तित्व बचाने बल्कि चुनाव में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सक्रिय हैं। वे राजद से छह सीटों पर समझौता करने की पेशकश कर चुके हैं, हालांकि लालू परिवार ने अभी तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है। ओवैसी का यह दौरा साफ करता है कि सीमांचल में मुस्लिम वोटरों को लेकर घमासान और तेज होने वाला है।


इस बीच खबर है कि राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी सीमांचल पहुंचने वाले हैं। वे किशनगंज में कार्यक्रम करेंगे। सीमांचल को लेकर तेजस्वी की सक्रियता इसलिए भी अहम है क्योंकि यह इलाका मुस्लिम-यादव समीकरण से प्रभावित है। अगर ओवैसी यहां अपनी पकड़ मजबूत कर लेते हैं तो राजद को सीधा नुकसान होगा। यही वजह है कि तेजस्वी खुद मोर्चा संभालने मैदान में उतर रहे हैं।


कुल मिलाकर, सीमांचल की 24 सीटों पर सभी दलों की नजरें गड़ी हैं। बीजेपी और जेडीयू जहां विकास और संगठन के बूते जीत की रणनीति बना रहे हैं, वहीं राजद जातीय समीकरण और परंपरागत वोट बैंक को मजबूत करने में जुटा है। उधर, ओवैसी अल्पसंख्यक वोटों में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं।


राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीमांचल का चुनावी गणित जटिल है। यहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 40-45 प्रतिशत तक है। यही वजह है कि हर चुनाव में यह इलाका सत्ता की राह तय करता है। सभी दल जानते हैं कि सीमांचल में जीत ही विधानसभा की कुर्सी तक पहुंचने की कुंजी है। आज का दिन इस लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि अमित शाह, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और असदुद्दीन ओवैसी चार बड़े चेहरे एक साथ सीमांचल की जमीन पर सक्रिय होंगे।आने वाले दिनों में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, इस इलाके में राजनीतिक गतिविधियां और तेज होंगी। लेकिन इतना तय है कि सीमांचल की 24 सीटें इस बार भी बिहार की सत्ता की दिशा और दशा तय करने वाली हैं।