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BIHAR NEWS : बिहार के गली-मोहल्लों की हो गई मैपिंग, अब डिजिपिन से होगी पहचान

BIHAR NEWS : बिहार के एक करोड़ से ज्यादा गली और मोहल्लों की मैपिंग का काम पूरा हो गया है। इसके बाद अब डाक विभाग इन गलियों और मोहल्लों में बने मकानों के लिए डिजिपिन जारी करेगा।

BIHAR NEWS

23-Aug-2025 12:10 PM

By First Bihar

BIHAR NEWS : बिहार के लोगों के लिए यह काफी काम की खबर है। अब यहां लोगों को किसी का घर खोजने के लिए किसी से पूछताक्ष नहीं करनी पड़ेगी। अब आप बस अपने घर से निकलेंगे और बिना किसी से पूछताक्ष किए हुए जिनके घर जाना है उनके यहां पहली बार में भी पहुंच सकेंगे। तो चलिए आपको यह बतलाते हैं कि यह सबकुछ इतनी आसानी से संभव कैसे होगा ? 


दरअसल, बिहार के एक करोड़ से ज्यादा गली और मोहल्लों की मैपिंग का काम पूरा हो गया है। इसके बाद अब डाक विभाग इन गलियों और मोहल्लों में बने मकानों के लिए डिजिपिन जारी करेगा। इससे मोबाइल पर लाइव लोकेशन के आधार पर न सिर्फ डाकिया बल्कि आम लोग भी आसानी से घरों तक पहुंच सकेंगे। हालांकि,यह सुविधा फिलहाल डाकिया को ही दी गई है। 


ऐसा कहा जा रहा है कि इसके पीछे की सोच यह है कि समय पर लोगों को चिट्ठी-पत्री मिले, इसके लिए डाक विभाग सभी गली-मोहल्लों को लाइव लोकेशन से जोड़ने का काम कर रहा है। हर मकान को डिजिपिन (डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर) दिया जाएगा। इसके लिए डाक विभाग बिहार सर्किल ने पूरे राज्य के इलाकों की मैपिंग की है। एक करोड़ से अधिक गली एवं मोहल्लों की मैपिंग हो चुकी है। इस मैपिंग के माध्यम से सभी घरों की लाइव लोकेशन को डाला जाएगा। इससे डाकिया अपने मोबाइल से आसानी से देख कर निर्धारित जगह पर पहुंच सकेंगे।


मालूम हो कि पहले से भी शहर के अलग-अलग इलाकों का अपना पिन कोड है। लेकिन अब डिजिपिन कोड होगा, इससे हर इलाके के हर घर को चिह्नित किया जाएगा। इसमें बिहार सर्किल के कुल 30 डिवीजन को शामिल किया गया है। बिहार सर्किल के सभी डिविजन की बात करें, तो आधा अधूरा पता होने के कारण 45 फीसदी चिट्ठियां, पार्सल निर्धारित जगह पर नहीं पहुंच पाती है। इसमें 30 से 35 फीसदी चिट्ठियां और पार्सल वापस आ जाता है। ऐसे में डिजिपिन से आधा अधूरा पता वाले चिट्ठियां भी पहुंच सकेंगी। 10 अंकों के डिजिपिन में संबंधित गली-मोहल्ले के साथ संबंधित घर को इंडिकेट किया जाएगा।


आपको बताते चलें कि,डिजिपिन 10 अंको का एक कोड है। इलाकों को डिजिटल एड्रेस सिस्टम से 4 मीटर के दायरे में बांटा जाएगा। इससे किसी भी स्थान का सटीक डिजिटल पता मिल जाता है। इसे आईआईटी हैदराबाद एवं एनआरएससी इसरो के सहयोग से डाक विभाग ने विकसित किया गया है।