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Astrology Tips: भूकंप और ज्योतिष शास्त्र, क्या है इसका गहरा कनेक्शन?

नेपाल, भारत और तिब्बत में भूकंप के तेज झटकों ने लोगों को चौंका दिया। भूकंप का केंद्र नेपाल-तिब्बत सीमा के पास शिजांग में था, जिससे बड़े पैमाने पर नुकसान का अंदेशा जताया जा रहा है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 08 Jan 2025 08:41:55 AM IST

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Astrology Tips: आज सुबह नेपाल, भारत और तिब्बत में भूकंप के तेज झटकों ने लोगों को चौंका दिया। भूकंप का केंद्र नेपाल-तिब्बत सीमा के पास शिजांग में था, जिससे बड़े पैमाने पर नुकसान का अंदेशा जताया जा रहा है। भूकंप ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया कि क्या हम आने वाले भूकंप का पूर्वानुमान लगा सकते हैं? जहां तक विज्ञान का सवाल है, अब तक ऐसी कोई तकनीक नहीं विकसित हो पाई है, जो भूकंप के समय और स्थान का सटीक अनुमान लगा सके। हालांकि, धार्मिक विद्वान और ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि भूकंप का ज्योतिष शास्त्र से गहरा कनेक्शन है और कई खगोलीय घटनाओं से इसके होने की संभावना का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।


ज्योतिष शास्त्र और भूकंप: एक गहरा संबंध

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की स्थितियों और खगोलीय घटनाओं का हमारे जीवन पर प्रभाव माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, भूकंप कभी भी आ सकता है, लेकिन इसके होने के लिए कुछ विशेष समय और स्थितियों की आवश्यकता होती है। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि भूकंप की घटनाओं का सबसे अधिक प्रभाव सूर्य और चंद्रमा की स्थिति, ग्रहों की चाल, और अन्य खगोलीय घटनाओं पर होता है।


1. भूकंप और समय:

ज्योतिष शास्त्रियों की मानें तो दिन के 12:00 बजे से लेकर सूर्य ढलने तक और आधी रात से लेकर सूर्योदय के बीच भूकंप का खतरा ज्यादा होता है। इन समयों के दौरान पृथ्वी पर ऊर्जा के प्रवाह में बदलाव आ सकता है, जो भूकंप का कारण बन सकता है।


2. ग्रहण के दौरान भूकंप नहीं आता:

भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य या चंद्र ग्रहण लगते हैं, तब भूकंप की संभावना नहीं होती। हालांकि, ग्रहण के बाद के कुछ समय में, खासकर पूर्णिमा और अमावस्या के बाद भूकंप आने की संभावना अधिक होती है। यह समय ग्रहों की स्थिति में बदलाव का संकेत देता है, जो पृथ्वी के अंदर उर्जा के दबाव को बढ़ा सकता है।


3. सूर्य देव का उत्तरायण और दक्षिणायन:

ज्योतिष विद्वान मानते हैं कि जब सूर्य देव दक्षिणायन होते हैं (दिसंबर-जनवरी) और उत्तरायण होने जा रहे होते हैं (मई-जून), तब उस दौरान भूकंप का खतरा ज्यादा होता है। यह समय पृथ्वी पर विशेष प्रकार की उर्जा प्रवृत्तियों का संकेत देता है, जो भूकंप के कारण बन सकती है।


4. उल्कापिंड और भूकंप:

धार्मिक विद्वानों के अनुसार, ब्रह्मांड में बहुत सारे उल्का पिंड घूम रहे हैं। जब ये उल्कापिंड पृथ्वी के पास आते हैं या पृथ्वी से टकराते हैं, तो इससे भूकंप का खतरा उत्पन्न हो सकता है। इन उल्कापिंडों की गति और दिशा भी पृथ्वी की उर्जा को प्रभावित करती है, जिससे भूकंप आने की संभावना बढ़ जाती है।


5. ग्रहों का वक्री होना:

जब शक्तिशाली ग्रह जैसे मंगल, बृहस्पति और शनि वक्री (उल्टी चाल) में होते हैं, तब भी भूकंप आने की संभावना ज्यादा हो सकती है। इसके अलावा, मंगल और राहु का षडाष्टक योग, मंगल और शनि का षडाष्टक योग और अन्य क्रूर ग्रहों का एक साथ युति करना भी भूकंप का कारण बन सकता है।


भूकंप और ज्योतिष शास्त्र के बीच एक गहरा कनेक्शन है। हालांकि, आधुनिक विज्ञान और तकनीकी उपकरण भूकंप का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम नहीं हो सके हैं, लेकिन ज्योतिष के अनुसार, खगोलीय घटनाओं, ग्रहों की स्थितियों और अन्य कारणों से भूकंप का अनुमान लगाया जा सकता है। सूर्य और चंद्र ग्रहण, ग्रहों की वक्री चाल, उल्कापिंडों की गतिविधि और सूर्य देव का उत्तरायण और दक्षिणायन होना, इन सभी घटनाओं से भूकंप आने का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, यदि ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर विश्वास किया जाए, तो हम ग्रहों की स्थिति और खगोलीय घटनाओं पर ध्यान देकर भूकंप के जोखिम का पूर्वानुमान लगा सकते हैं, हालांकि यह निश्चित नहीं है।