राम हमारे आदर्श... लेकिन क्या हर साल मारे जाने वाले रावण के बारे में हमें यह मालूम है?

राम हमारे आदर्श... लेकिन क्या हर साल मारे जाने वाले रावण के बारे में हमें यह मालूम है?

DESK : आज यह विजयादशमी है। विजयदशमी के दिन रावण वध की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। एक बार फिर आज रावण का वध होगा। असत्य पर सत्य की विजय के तौर पर हम इस त्योहार को मनाते हैं। भगवान प्रभु श्री राम को लेकर हम सब के पास से ढेरों जानकारियां हैं लेकिन रावण के बारे में हम कितना जानते हैं यह एक बड़ा सवाल है। आइए बुराई के प्रतीक रावण के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को जानें। 


रावण ऋषि विश्रवा और राक्षस सुमाली की बेटी कैकसी का पुत्र था। जब देवता शक्तिशाली हो गए, दानवों को हरा चुके थे। तब दैत्यों ने कुबेर के पिता विश्रवा मुनि से कैकसी का विवाह कराया, ताकि एक शक्तिशाली राक्षस उनकी संतान के रूप में जन्म ले। विश्रवा और कैकसी की चार संतानें हुई। तीन बेटे रावण, कुंभकर्ण, विभीषण और एक बेटी सुर्पणखा। 


रावण का नाम रावण कैसे पड़ा, इसके पीछ कई तरह की कहानियां हैं। रावण का अर्थ है रुलाने वाला या भारी रोदन करने वाला। रावण जब पैदा हुआ तो बहुत जोर से रोया, उसके रोने की आवाज से सब डर गए। तब नाम रखा गया रावण। एक कहानी ये भी है कि जब रावण ने कैलाश पर्वत उठाया, तो भगवान शिव ने अपने पैर के अंगूठे से उसे दबा दिया। इसके वजन से कैलाश के नीचे उसका हाथ दब गया और दर्द के कारण उसके आंसू निकल आए। इस रुदन पर भगवान शिव ने उसे रावण नाम दिया।


इसकी भी दो कहानियां हैं। एक कहानी कहती है भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए रावण ने अपना सिर काटकर यज्ञ में आहुति दी। भगवान ब्रह्मा ने उसका सिर फिर जोड़ दिया। ऐसा दस बार हुआ और दसों बार ब्रह्माजी ने सिर जोड़ दिया। उसकी इस भक्ति से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे वरदान दिया कि ये सारे 10 सिर उसके पास रहेंगे।


रावण निश्चित रूप से विद्वान था, पर अहंकारी भी था। वह वेदों का प्रकांड पंडित था। ऐसा माना जाता है कि वेदों की ऋचाओं को स्वरबद्ध करने का काम रावण ने ही किया था। ऐसा करने के लिए भगवान शिव ने उसे कहा था। रावण परम शिवभक्त भी था। शिव को प्रसन्न करने के लिए उसने कई मंत्रों की रचना की। शिव तांडव स्तोत्र भी रावण का रचा हुआ है। रावण चिकित्सा विज्ञान और तंत्र का भी जानकार था। रावण संहिता में इसका उल्लेख है।


लंका रावण की नहीं थी। उसके सौतेले भाई कुबेर की थी। जो ब्रह्माजी ने उसे दी थी। पुष्पक विमान भी कुबेर का ही था। ब्रह्मा जी से शक्ति का वरदान मिलने के बाद रावण सबसे पहले लंका पहुंचा और कुबेर को हराकर वहां से भगा दिया। इसके बाद लंका और पुष्पक विमान दोनों पर ही कब्जा कर लिया।


रावण विद्वान था, लेकिन आततायी भी था। रावण ने अपने भतीजे नलकुबेर की पत्नी रंभा के साथ बलात्कार किया था। नलकुबेर ने ही रावण को शाप दिया था कि अगर वो किसी महिला को बिना उसकी सहमति के छुएगा तो उसके सिर के सौ टुकड़े हो जाएंगे। यही कारण था कि रावण ने सीता को अपने महल की बजाय अशोक वाटिका में रखा।


रावण के कुछ सपने थे। वो मदिरा यानी शराब में से बदबू हटाना चाहता था ताकि हर कोई उसे पी सके और किसी को पता ना चले। अग्नि से धुआं हटाना चाहता था ताकि यज्ञ से उठने वाले धुएं से माहौल में सकारात्मकता ना बढ़े और देवता शक्तिशाली ना हों। स्वर्ग तक सीढ़ी बनाना चाहता था, ताकि कोई भी बिना किसी परेशानी के जब चाहे वहां आ-जा सके।


रावण का परिवार बड़ा था, लेकिन उसने अपनी सत्ता के सामने कभी परिवार की परवाह नहीं की। उसकी बहन शूर्पणखा ने विधुतजिव्ह नाम के राक्षस से शादी की थी, रावण इससे खुश नहीं था और उसने धोखे से विघ्धुतजिव्ह को मार दिया। विभीषण को लंका से निकाल दिया। मामा मारीच को सोने का हिरण बनने पर मजबूर किया। भाई कुबेर से भी सब कुछ छीन लिया था।


रावण राम से पहले भी 3 लोगों से हार चुका था। वानरराज बालि से युद्ध करने गए रावण को बालि ने बगल में दबा कर चार समुद्रों की परिक्रमा की थी। सहस्त्रबाहु अर्जुन ने उसे अपने राज्य महिष्मति में कैद कर लिया था। पाताल लोक में राजा बलि से युद्ध करने गए रावण को बच्चों ने पकड़कर अस्तबल में बांध दिया था।


रावण खुद को सबसे शक्तिशाली और सक्षम मानता था। वो चाहता था कि दुनिया देवताओं को छोड़ उसकी पूजा करे। स्वर्ग-नर्क का भेद मिटाना चाहता था। जब उसने एक बार यमपुरी में पापियों को सजा पाते देखा तो यमराज पर ही हमला कर दिया, यमपुरी पर कब्जा कर लिया। रावण पूरे ब्रह्मांड में अपनी सत्ता चलाना चाहता था।