PATNA : विजलेंस ने पटना के जिस ड्रग इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार के ऊपर नकेल कसी है उसकी संपत्ति को लेकर एक के बाद एक बड़े खुलासे हो रहे हैं। जानकारी सामने आई है कि अपनी 10 साल की नौकरी में जितेंद्र कुमार को वेतन के तौर पर तकरीबन 60 लाख मिले लेकिन विजिलेंस ने जब उनकी संपत्ति के मामले में जांच शुरू की तो 20 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के बारे में जानकारी मिली। विजलेंस की छापेमारी के दौरान कई बड़े खुलासे हुए हैं, लेकिन ड्रग इंस्पेक्टर के पद और उसकी काली कमाई को लेकर सरकार में बैठे लोग भी भलीभांति वाकिफ हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर जितेंद्र कुमार इतने दिनों तक काली कमाई करता रहा तो उसे कौन लोग संरक्षण दे रहे थे? ड्रग इंस्पेक्टर के तौर पर काम करते हुए धनकुबेर बनने वाला जितेंद्र कुमार इकलौता नहीं है। जितेंद्र कुमार के अलावा कई अन्य अधिकारी भी इसी तरह संपत्ति अर्जित कर चुके हैं, इसका अंदाजा सरकार को भी है। लेकिन अगर बाकियों के ऊपर एक्शन नहीं हो रहा है और इकलौते जितेंद्र कुमार के ऊपर ही कार्रवाई की गई तो इसकी वजह क्या हो सकती है? जितेंद्र कुमार के ऊपर एक्शन के बाद यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या जितेंद्र को राजनीतिक संरक्षण हासिल था, वह खत्म हो चुका था। राजनीतिक संरक्षण खत्म होने के बाद जितेंद्र कुमार विजलेंस के निशाने पर आए? अगर ऐसा है तो यह सवाल उठना भी लाजमी है कि क्या जो दूसरे अधिकारी जितेंद्र कुमार या उससे ज्यादा संपत्ति बनाकर अभी भी पाक साफ बने हुए हैं उनके ऊपर आने वाले वक्त में एक्शन होगा या राजनीतिक संरक्षण के कारण वह इसी तरह धनकुबेर बने रहेंगे?
जितेंद्र कुमार के कई बेनामी बेनामी संपत्ति का पता चला है। छापेमारी के पहले दर्ज एफआईआर में ही 2 करोड़ से अधिक की जमीन और फ्लैट का जिक्र है। जमीन के कुल 27 डीड और दस्तावेज मिले हैं। कई दस्तावेज विजिलेंस के हाथ अभी नहीं आए हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि नोएडा में जिन फ्लैटों का पता चला है उनकी कीमत बाजार भाव के हिसाब से 1 करोड़ से अधिक की हो सकती है। जो डीड मिले हैं उनकी कीमत 2 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है। इसके अलावा गया के एक और पटना के संदलपुर के एक बेनामी फ्लैट की कीमत बाजार भाव के हिसाब से 50 लाख से अधिक हो सकती है। बंगलुरु में भी एक फ्लैट खरीदे जाने की सूचना मिली है। इसका भी पता लगाया जा रहा है। ड्रग इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार 1 जनवरी 2012 को सरकारी नौकरी में आए थे। तब से अभी तक इन्हें वेतन के रूप में अनुमानित 60 लाख रुपए प्राप्त हुए। इसके अलावा अन्य स्रोतों से 20 लाख रुपए प्राप्त होने का अनुमान है।
जानकार बताते हैं कि ड्रग इंस्पेक्टर का पद ऐसा होता है कि वह गलत तरीके से पैसे कमा सकता है। ड्रग इंस्पेक्टर के पद बिहार में काफी कम है और नए सिरे से इसकी बहाली नहीं की गई है। इसके पीछे भी बड़ा खेल बताया जाता है। ड्रग माफिया और सिस्टम का गठजोड़ यह नहीं चाहता है कि इस पद पर नए लोगों की तैनाती हो। ऐसे में अगर बिहार के अंदर कई और जितेंद्र कुमार हैं तो इसके लिए पूरा सिस्टम जिम्मेदार है। हालांकि ऐसे और जितेंद्र कुमार तब तक पाक्सा बने रहेंगे जब तक उन्हें राजनीतिक संरक्षण हासिल रहेगा।