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Online Gaming Addiction: मोबाइल गेमिंग की लत से बच्चों को कैसे छुड़ाएं? जानें ये आसान तरीका

Online Gaming Addiction: आज के डिजिटल युग में मोबाइल, टैबलेट और इंटरनेट बच्चों की जिंदगी का जरूरी हिस्सा बन चुके हैं। पहले जहां बच्चे पार्क या मैदान में खेलकर वक्त बिताते थे, वहीं अब वे घंटों मोबाइल स्क्रीन या कंप्यूटर पर गेम खेलने में लगा देते हैं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 04 Oct 2025 12:21:03 PM IST

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Online Gaming Addiction: आज के डिजिटल युग में मोबाइल, टैबलेट और इंटरनेट बच्चों की जिंदगी का जरूरी हिस्सा बन चुके हैं। पहले जहां बच्चे पार्क या मैदान में खेलकर वक्त बिताते थे, वहीं अब वे घंटों मोबाइल स्क्रीन या कंप्यूटर पर गेम खेलने में लगा देते हैं। धीरे-धीरे यह आदत एक खतरनाक लत बनती जा रही है, जो बच्चों की फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों पर बुरा असर डालती है। 


एक्सपर्ट्स के अनुसार, लंबे समय तक स्क्रीन पर गेम खेलने से बच्चों की आंखों की रोशनी कमजोर हो सकती है, शरीर में दर्द और मोटापा आ सकता है, वहीं दिमाग पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ता है। बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं, गुस्सा करने लगते हैं और अकेलेपन का शिकार होकर डिप्रेशन तक पहुंच सकते हैं।


ऐसे में अगर आप भी अपने बच्चे की बढ़ती गेमिंग लत को लेकर परेशान हैं, तो चिंता करने की जरूरत नहीं है। कुछ आसान और असरदार तरीके अपनाकर आप बच्चों को ऑनलाइन गेम की लत से बाहर निकाल सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे- 


बच्चों को गेमिंग के नुकसान बताएं

बच्चों को गेम अचानक रोकना या डांटना सही तरीका नहीं है, इससे वे और ज्यादा जिद्दी हो जाते हैं और चोरी-छिपे गेम खेलने लगते हैं। बेहतर होगा कि आप उन्हें प्यार से समझाएं कि ऑनलाइन गेम ज्यादा खेलने से कई नुकसान हो सकते हैं। बच्चों को यह जानना जरुरी है कि आंखों की रोशनी कम होना, शरीर में दर्द, मोटापा और कमजोरी, नींद की समस्या और स्ट्रेस, चिड़चिड़ापन और गुस्सा, पढ़ाई और क्रिएटिविटी पर बुरा असर शामिल है। जब बच्चों को शांति और समझदारी से समझाया जाता है, तो वे धीरे-धीरे इन बातों को मानने लगते हैं।


बच्चों का टाइम टेबल बनाएं

बच्चों को गेमिंग से अचानक रोकने की बजाय, इसके लिए समय सीमा तय करना ज्यादा बेहतर होता है। आप बच्चे के साथ बैठकर एक डेली रूटीन बनाएं, जिसमें पढ़ाई, खेल-कूद और गेमिंग का अलग-अलग समय तय हो। इसके लिए दिन में सिर्फ 30 मिनट से 1 घंटे तक ही गेमिंग की अनुमति दें। पढ़ाई और फिजिकल एक्टिविटी पूरी करने के बाद ही गेम खेलने दें। हफ्ते में 1–2 दिन बिना स्क्रीन के रखें। इसके लिए आप मोबाइल या कंप्यूटर में पैरेंटल कंट्रोल और टाइम लिमिट सेटिंग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।


बच्चे के साथ समय बिताएं

कई बार बच्चे अकेलेपन की वजह से ऑनलाइन गेम्स में खो जाते हैं। जब पेरेंट्स बिजी रहते हैं, तो बच्चों को खेलने-बताने वाला कोई नहीं मिलता और वे स्क्रीन की दुनिया में डूब जाते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप हर दिन बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं। उनकी हॉबी में शामिल हों, उन्हें पार्क या वॉक पर लेकर जाएं साथ ही उनके साथ बैडमिंटन, क्रिकेट या कैरम जैसे गेम खेलें और घर के छोटे-छोटे कामों में शामिल करें। जब बच्चे को परिवार का साथ और प्यार मिलेगा, तो वह गेम की लत से धीरे-धीरे खुद बाहर आने लगेगा।


बाहर खेलने की आदत डालें

बच्चों की फिजिकल और मेंटल हेल्थ के लिए बाहर खेलना बेहद जरूरी है। ताजी हवा, दौड़ना और आउटडोर गेम्स उन्हें एक्टिव और हेल्दी बनाते हैं। शुरुआत में आप खुद उनके साथ बाहर खेलें जैसे साइकिलिंग, वॉकिंग, बॉल गेम्स और आउटडोर स्पोर्ट्स के लिए प्रेरित करें। धीरे-धीरे यह उनकी आदत में शामिल हो जाएगा और स्क्रीन टाइम अपने आप कम हो जाएगा।


बच्चे की क्रिएटिव सोच को बढ़ावा दें

ज्यादा ऑनलाइन गेम्स खेलने वाले बच्चों का दिमाग एक्टिव होता है, लेकिन वह एक्टिविटी गेम्स में बर्बाद हो जाती है। अगर आप उनकी एनर्जी को सही दिशा दें तो वे गेम्स की लत से बाहर आ सकते हैं। इसके लिए उन्हें पेंटिंग, म्यूजिक, डांस या कुकिंग जैसी क्रिएटिव एक्टिविटीज़ में लगाएं, क्विज़, आर्ट कॉम्पटीशन या ओलंपियाड में हिस्सा दिलाएं और उन्हें नए स्किल्स सीखने के लिए मोटिवेट करें। जब बच्चा अपनी क्रिएटिविटी में बिजी रहेगा, तो उसके पास गेमिंग के लिए समय ही नहीं बचेगा।


बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग की लत से बचाना मुश्किल काम नहीं है। प्यार, समझदारी और सही गाइडेंस से बच्चे को धीरे-धीरे इस आदत से बाहर निकाला जा सकता है। पेरेंट्स को खुद बच्चों के साथ वक्त बिताना और उन्हें आउटडोर और क्रिएटिव एक्टिविटी में शामिल करना चाहिए।