NMSRC-2025 सम्मेलन: शोध, अनुकूलनशीलता और दूरदर्शी सोच पर विशेषज्ञों का जोर

आईएसएम पटना में आयोजित एनएमएसआरसी-2025 सम्मेलन में विशेषज्ञों ने शोध-आधारित निर्णय, अनुकूलनशीलता और परिवर्तन को अपनाने पर बल दिया। 35 शोध पत्र प्रस्तुत हुए।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 19 Dec 2025 08:25:40 PM IST

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NMSRC-2025 सम्मेलन - फ़ोटो social media

PATNA: एनएमएसआरसी–2025 के शोध पत्रों के सार-संकलन से युक्त स्मारिका का डिजिटल स्वरूप में औपचारिक विमोचन किया गया। इसके साथ ही आईएसएम, पटना के विपणन विभाग के सहायक प्राध्यापक, डॉ. आनंद चौधरी द्वारा लिखित पुस्तक “एन इकोनॉमिक गेम चेंजर: बिहार रूरल टूरिज्म (मिथिला हाट के संदर्भ में)” का भी लोकार्पण किया गया। 


उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में कई प्रख्यात शिक्षाविद एवं विशेषज्ञ उपस्थित रहे, जिनमें डॉ. कामेश्वर ओझा, सेवानिवृत्त संयुक्त आयुक्त, वित्त एवं लेखा, वित्त विभाग, बिहार सरकार शामिल थे .उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता NMSRC-2025 की चेयरपर्सन डॉ. श्वेता रानी ने की। अपने विषयगत संबोधन में उन्होंने प्रबंधन एवं संबद्ध क्षेत्रों में समसामयिक परिवर्तनों से निपटने हेतु अनुकूलनशील नेतृत्व एवं अंतरविषयी दृष्टिकोण के महत्व पर प्रकाश डाला।


डॉ. ए. के. वर्मा ने अनुकूलनशीलता और लचीलेपन के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि परिवर्तन और तकनीकी प्रगति को अपनाने से उनके व्यक्तिगत विकास और सफलता को नई दिशा मिली है। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि समय के साथ स्वयं को ढालना आज की आवश्यकता है।


मुख्य वक्ता डॉ. पूर्णिमा कुमारी ने दूरदर्शी सोच की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा, “केवल आज के लिए नहीं, बल्कि कल के लिए भी सोचें।” उन्होंने परिवर्तन के कारणों, उस पर व्यक्तियों की प्रतिक्रिया और इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि कई परिस्थितियाँ हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं, लेकिन हमारी प्रतिक्रिया सदैव हमारे हाथ में रहती है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग अनुकूलनशील और लचीले होते हैं तथा परिवर्तन का पूर्वानुमान लगा सकते हैं, वही चुनौतियों को अवसरों में बदलने की क्षमता रखते हैं।


उद्घाटन सत्र के दौरान गणमान्य अतिथियों द्वारा एनएमएसआरसी–2025 के शोध पत्रों के सार-संकलन से युक्त स्मारिका का डिजिटल स्वरूप में औपचारिक विमोचन किया गया। इसके साथ ही आईएसएम, पटना के विपणन विभाग के सहायक प्राध्यापक, डॉ. आनंद चौधरी द्वारा लिखित पुस्तक “एन इकोनॉमिक गेम चेंजर: बिहार रूरल टूरिज्म (मिथिला हाट के संदर्भ में)” का भी लोकार्पण किया गया, जो संस्थान की एक महत्वपूर्ण अकादमिक उपलब्धि के रूप में उल्लेखनीय रहा।

यह शिखर सम्मेलन आईएसएम के चेयरमैन श्री समरेन्द्र सिंह, वाइस-चेयरमैन श्री देवल सिंह एवं सेक्रेटरी श्री अमल सिंह की प्रेरणादायी दृष्टि से अनुप्रेरित है। सम्मेलन के अंतर्गत मुख्य भाषण, पैनल चर्चा एवं तकनीकी शोध पत्र प्रस्तुतियों का एक सशक्त अकादमिक कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जिसका उद्देश्य समसामयिक चुनौतियों पर विमर्श एवं प्रबंधन अध्ययन में ज्ञान-वर्धन करना है। उद्घाटन सत्र का संचालन एवं मंच संचालन श्रीमती स्वाति सवर्ण एवं अनस रईस, सहायक प्राध्यापक, आईएसएम द्वारा किया गया। 


उद्घाटन सत्र के उपरांत प्रथम तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया, जिसकी मेजबानी रगदा जावेद एवं अफरीन जहां, सहायक प्राध्यापक ने की। सत्र की अध्यक्षता श्रीमती पूजा दुबे, प्रोफेसर (मानव संसाधन प्रबंधन); श्री सुधीर कुमार सिन्हा, प्रोफेसर (वित्त एवं वाणिज्य); तथा श्री राजेश्वर दयाल, प्रोफेसर (कंप्यूटर एप्लीकेशंस) ने की। सम्मेलन के प्रथम दिवस कुल 35 शोध पत्रों की प्रस्तुति हुई, जिन पर सारगर्भित चर्चा एवं अकादमिक संवाद संपन्न हुआ। सम्मेलन का दूसरा दिन शनिवार को भी विभिन्न तकनीकी सत्रों एवं शैक्षणिक विमर्श के साथ जारी रहेगा, जो प्रबंधन शिक्षा में शोध उत्कृष्टता एवं विचार नेतृत्व को प्रोत्साहित करने के प्रति आईएसएम पटना की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करता है।