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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 09 Mar 2025 07:48:05 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर - फ़ोटो Google
AI Goat: अब बिहार के पशुपालकों को नस्ल सुधार के लिए अन्य राज्यों में नही जाना पड़ेगा। पटना स्थित बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में अब कृत्रिम गर्भाधान (AI - Artificial Insemination) की सुविधा शुरू कर दी गयी है। इस तकनीक के जरिए बिहार में ही विदेशी नस्ल के पशुओं का उत्पादन आसान होगा, जिससे दूध उत्पादन और पशुपालकों की आय में बढ़ोतरी होगी।
बकरियों में भी होगा कृत्रिम गर्भाधान
अब तक कृत्रिम गर्भाधान सिर्फ गाय और भैंस के लिए ही किया जाता था, लेकिन अब बकरियों के लिए भी यह तकनीक उपलब्ध है। इस प्रक्रिया के तहत उच्च गुणवत्ता वाले बकरों के सीमन (Semen) को -196°C पर फ्रीज कर संरक्षित किया जाता है। इसके बाद इसे बकरियों में कृत्रिम रूप से गर्भाधान के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
एक बार में 100 से अधिक बकरियों को किया जा सकता है गर्भवती
बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दुष्यंत यादव के अनुसार, प्राकृतिक रूप से एक बार में सिर्फ एक ही बकरी गर्भवती होती है। लेकिन कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से मात्र 1 ml सीमन से लैब में 100 डोज तैयार किए जाते हैं, जिससे एक ही बार में 100 से अधिक बकरियों को गर्भवती तैयार किया जा सकता है। इस प्रक्रिया से बकरियों में बीमारियों और गर्भपात की समस्या भी काफी हद तक कम हो जाती है।
बेहद कम खर्च में ट्रेनिंग और सेवा का लाभ
पशुपालकों और किसानों के लिए बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में कृत्रिम गर्भाधान की ट्रेनिंग सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। डॉ. यादव के मुताबिक, इस ट्रेनिंग का शुल्क बेहद कम रखा गया है। मात्र 30-40 रुपये में कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा का लाभ दिया जायेगा । ब्रीड के अनुसार इस शुल्क में मामूली अंतर भी हो सकता है।
पशुपालकों को क्या होगा फायदा?
अच्छी नस्ल के बकरों का उत्पादन बिहार में ही संभव होगा,और दूध उत्पादन में बढ़ोतरी होगी जिससे पशुपालकों की आमदनी बढ़ेगी |साथ ही बकरियों में गर्भपात और बीमारियों का खतरा कम होगा।वहीं उच्च गुणवत्ता वाली नस्लें विकसित कर किसान बेहतर मुनाफा बढ़ा सकते हैं।कृत्रिम गर्भाधान अपनाकर बिहार के पशुपालक अब अपने पशुओं की नस्ल सुधारने और उत्पादन बढ़ाने में आत्मनिर्भर बन सकते हैं।