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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 31 Mar 2025 06:15:21 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर - फ़ोटो Google
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य प्राचीन भारत के सबसे विद्वान व्यक्तियों में से एक थे, जिनकी नीतियाँ आज भी प्रासंगिक मानी जाती हैं। उन्होंने अपने ग्रंथ चाणक्य नीति में जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं। इनमें उन्होंने कुछ ऐसे लोगों का उल्लेख किया है, जो भले ही शिक्षा प्राप्त कर लें, लेकिन फिर भी बुद्धिमान नहीं बन पाते। चाणक्य के अनुसार, शिक्षा तभी प्रभावी होती है जब व्यक्ति उसमें रुचि ले और उसे अपने जीवन में लागू करे।
चाणक्य के अनुसार, शिक्षा केवल उन्हीं के लिए फायदेमंद होती है, जो चीजों को ध्यान से सुनते हैं, उन्हें समझने की क्षमता रखते हैं और उस पर विचार कर सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति इनमें से किसी भी गुण से वंचित है, तो उसके लिए शिक्षा का कोई महत्व नहीं रह जाता।
जो सीखने की इच्छा नहीं रखते
नई चीजें सीखने की इच्छा ही व्यक्ति को बुद्धिमान बनाती है। यदि कोई व्यक्ति ज्ञान अर्जित करने में रुचि नहीं रखता, तो चाहे उसे कितनी भी शिक्षा दी जाए, वह उसका लाभ नहीं उठा पाएगा।
जो अपनी शिक्षा का उपयोग नहीं करते
शिक्षा का असली उद्देश्य इसे अपने जीवन में लागू करना होता है। यदि कोई व्यक्ति सिर्फ पढ़ाई कर लेता है, लेकिन उसे अपने जीवन में नहीं अपनाता, तो उसकी शिक्षा का कोई मूल्य नहीं रहता।
जिनमें अनुशासन और आत्मसंयम की कमी होती है
अनुशासन और आत्मनियंत्रण शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक होते हैं। यदि कोई व्यक्ति अनुशासित नहीं है, तो वह शिक्षा का सही उपयोग नहीं कर पाएगा, जिससे उसका बौद्धिक विकास नहीं हो सकता।
जो गलत संगति में रहते हैं
चाणक्य ने चेतावनी दी है कि गलत संगति में रहने वाले लोग हमेशा गलत निर्णय लेते हैं। बुरी संगत व्यक्ति की बुद्धि को प्रभावित करती है और उसे सही मार्ग से भटका सकती है। ऐसे लोगों के लिए शिक्षा का कोई महत्व नहीं रह जाता क्योंकि वे सही-गलत में फर्क करने की क्षमता खो देते हैं।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, शिक्षा का असली लाभ तभी मिलता है जब व्यक्ति उसमें रुचि ले, अनुशासन में रहे और उसे अपने जीवन में लागू करे। केवल किताबी ज्ञान प्राप्त कर लेने से कोई बुद्धिमान नहीं बनता, बल्कि सही सोच और व्यवहार से ही व्यक्ति को असली बौद्धिक विकास मिलता है।