ब्रेकिंग न्यूज़

RSS: ‘सोने की चिड़िया’ नहीं, भारत को अब ‘शेर’ बनना है, दुनिया को सिर्फ शक्ति की भाषा समझ आती है: मोहन भागवत Bihar News: हमेशा के लिए बदल जाएगी बिहार के इस जिले की तस्वीर, 106 योजनाओं पर खर्च होंगे ₹59 करोड़ Bihar News: 2020 विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार होंगे कम मतदाता, पिछली बार 2005 में हुआ था ऐसा INDvsENG: टेस्ट क्रिकेट में भारत ने बनाया नया वर्ल्ड रिकॉर्ड, 148 साल से नहीं हुआ था यह कारनामा Bihar Weather: बिहार के इन जिलों में आज बारिश का अलर्ट, वज्रपात को लेकर भी IMD ने किया सावधान अमरनाथ एक्सप्रेस की बोगी में महिला ने दिया बच्चे को जन्म, समस्तीपुर में भर्ती फतुहा में पुनपुन नदी में नाव पलटी, दो लापता; 18 लोग तैरकर बचे नीसा देवगन बनीं ग्रेजुएट, काजोल ने चिल्लाकर कहा.. ‘कम ऑन बेबी’, वीडियो वायरल अरवल: हत्या के दो फरार आरोपियों के घर पुलिस ने चिपकाया इस्तेहार, 30 दिन में सरेंडर का आदेश बिहार में शराब तस्करी का खेल जारी: अंडे की कैरेट के बीच छिपाकर मुजफ्फरपुर ले जाई जा रही थी 3132 लीटर विदेशी शराब, ट्रक जब्त

Parliament vs Judiciary: अगर कानून बनाना सुप्रीम कोर्ट का काम है, तो संसद भवन को ताला लगा देना चाहिए ...वक्फ अधिनियम पर भाजपा सांसद का तीखा हमला!

Parliament vs Judiciary: वक्फ अधिनियम को लेकर भारत में संवैधानिक, सामाजिक और राजनीतिक बहस तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट की सक्रियता पर सवाल उठाते हुए राजनीतिक हस्तियों ने न्यायपालिका और विधायिका के अधिकार क्षेत्रों को लेकर चिंता जताई है।

वक्फ अधिनियम, सुप्रीम कोर्ट, निशिकांत दुबे, संसद बनाम न्यायपालिका, न्यायिक अतिक्रमण, Judicial Overreach, Waqf Act, Supreme Court, Parliament vs Judiciary, Nishikant Dubey Statement, Article 142, CBIC,

19-Apr-2025 02:33 PM

By First Bihar

Parliament vs Judiciary: वक्फ अधिनियम को लेकर देश में चल रही संवैधानिक और सामाजिक बहस अब सियासी रंग ले चुकी है। झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर सवाल उठाते हुए तीखी टिप्पणी की है।


उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा कि अगर कानून सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए। यह बयान वक्फ अधिनियम में संशोधन और सुप्रीम कोर्ट की हालिया सक्रियता के संदर्भ में देखा जा रहा है।इससे पहले केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी न्यायपालिका की भूमिका को लेकर चिंता जता चुके हैं। कानून मंत्री ने कहा था कि संविधान में शक्तियों का स्पष्ट विभाजन है, और सुप्रीम कोर्ट को विधायी मामलों में हस्तक्षेप से बचना चाहिए।


 वहीं उपराष्ट्रपति ने अनुच्छेद (Article 142) का हवाला देते हुए सवाल उठाया कि क्या न्यायपालिका राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च संवैधानिक पद को भी निर्देश दे सकती है। यह विवाद तब और गहरा गया जब सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा विधेयकों को मंजूरी देने में देरी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्यपाल को किसी भी विधेयक पर तीन महीने के भीतर निर्णय लेना अनिवार्य है, और देरी होने पर उसे स्वीकृत माना जाएगा। इस फैसले ने न्यायपालिका बनाम विधायिका की बहस को नई गति मिल गयी  है।  


वक्फ अधिनियम की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें आरोप है कि यह कानून वक्फ बोर्ड को निजी संपत्तियों पर अनुचित दावा करने की शक्ति देता है। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है और कहा है कि केंद्र सरकार के जवाब तक किसी संपत्ति की वक्फ स्थिति में परिवर्तन नहीं किया जाएगा। भारतीय संविधान विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका| इन तीनों स्तंभों के बीच संतुलन पर आधारित है। लेकिन जब कोई एक स्तंभ अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाता है, तो टकराव की स्थिति उत्पन्न होती है।


मौजूदा विवाद इसी टकराव का संकेत दे रहा है, जहां न्यायपालिका के निर्णय विधायिका की सीमाओं को छूने लगे हैं। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का बयान सिर्फ राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं बल्कि एक गहरी संवैधानिक बहस की ओर इशारा करता है। वक्फ अधिनियम पर चल रही सुनवाई और तमिलनाडु के विधेयकों पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने लोकतंत्र के इन स्तंभों के बीच संतुलन को लेकर नया विमर्श खड़ा कर दिया है। आने वाले समय में इस बहस की दिशा सरकार की प्रतिक्रिया और सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय से तय होगी।