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19-Mar-2025 03:32 PM
Bihar diwas in Assam: प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडिपेंडेंट) [ULFA(I)], जिसके संयोजक परेश बरुआ हैं, इन्होंने असम के तिनसुकिया में ‘बिहार दिवस’ मनाने के खिलाफ चेतावनी दे दी है। संगठन ने भाजपा सरकार और हिंदी भाषी समुदाय को खासतौर पर आगाह करते हुए कहा कि अगर इस आयोजन को किया गया तो इसके "गंभीर परिणाम" भुगतने के लिए तैयार रहना होगा ।
गुवाहाटी से लगभग 470 किमी पूर्व स्थित तिनसुकिया, पूर्वी असम का एक प्रमुख व्यावसायिक केंद्र है,जहां बिहार और झारखंड से आए हिंदी भाषी लोगों की बड़ी आबादी रहती है। बताया जा रहा है कि 22 मार्च को इस समुदाय के लोगो ने बिहार दिवस मनाने का निर्णय हाल ही में तिनसुकिया में हुई भाजपा नेताओं के साथ एक बैठक में लिया गया था।
वहीं ULFA(I) के प्रवक्ता ईशान असम ने इस पहल की निंदा करते हुए इसे असम की स्थानीय संस्कृति और विरासत पर हमला बताया। इसके अलावा, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, ऑल ताई अहोम स्टूडेंट्स यूनियन और ऑल मोरान स्टूडेंट्स यूनियन जैसी छात्र संगठनों ने भी इस कार्यक्रम के आयोजन का विरोध जताया है।
जबकि राइजर दल के अध्यक्ष और शिवसागर के विधायक अखिल गोगोई ने भाजपा सरकार पर सीधे निशाना साधते हुए पूछा कि जब बिहार में असम दिवस नहीं मनाया जाता, तो असम में बिहार दिवस मनाने का क्या औचित्य है। उन्होंने दावा किया कि यह आयोजन हिंदी भाषी मतदाताओं को लुभाने के लिए किया जा रहा है, क्योंकि असम में मई 2026 में विधानसभा चुनाव और बिहार में नवंबर 2025 में चुनाव होने वाले हैं।
पूर्वी असम, विशेष रूप से तिनसुकिया, 2014 लोकसभा चुनावों से भाजपा का मजबूत गढ़ रहा है। यहां चाय बागानों में काम करने वाले मजदूरों, मध्य भारत के आदिवासियों, हिंदी भाषियों, हिंदू बंगालियों और अनुसूचित जनजाति का दर्जा मांगने वाले अहोम, मोरान और मतक समुदायों का बड़ा वोट बैंक है। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के गौरव गोगोई ने जोरहाट सीट जीतकर भाजपा को चुनौती दी, और विपक्ष ने अन्य सीटों पर भी अच्छा प्रदर्शन किया था .
आपको बता दे कि असम राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बिहार दिवस के आयोजन का पक्ष लेते हुए इसे ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ पहल का हिस्सा बताया। उन्होंने ये भी कहा कि जिस तरह पूरे देश में 2 दिसंबर को असम दिवस मनाया जाता है और इसमें विभिन्न राज्यों के राज्यपाल शामिल होते हैं, उसी तरह असम भी अन्य राज्यों के स्थापना दिवस को मनाकर इस भावना को और बल मिलेगा |