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AI Depression Syndrome: युवा पीढ़ी को जकड़ रहा है AI डिप्रेशन सिंड्रोम, जानिए.... कारण और बचाव

AI Depression Syndrome: डिजिटल युग में तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने हमारी जिंदगी को आसान तो बना दिया है, लेकिन इसके मानसिक दुष्प्रभाव भी तेजी से सामने आ रहे हैं। इन्हीं में से एक है AI डिप्रेशन सिंड्रोम, जो खासतौर पर युवा पीढ़ी को तेजी से

Life Style

02-Sep-2025 03:34 PM

By First Bihar

AI Depression Syndrome: डिजिटल युग में तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने हमारी जिंदगी को आसान तो बना दिया है, लेकिन इसके मानसिक दुष्प्रभाव भी तेजी से सामने आ रहे हैं। इन्हीं में से एक है AI डिप्रेशन सिंड्रोम, जो खासतौर पर युवा पीढ़ी को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह केवल साधारण मानसिक थकावट नहीं है, बल्कि एक गंभीर मानसिक स्थिति है, जिसे समय रहते पहचानना और उसका समाधान खोजना बेहद जरूरी है।


AI डिप्रेशन सिंड्रोम एक ऐसी मानसिक स्थिति है, जो अत्यधिक AI टूल्स, सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के उपयोग से पैदा होती है। इस सिंड्रोम में व्यक्ति का वास्तविक दुनिया से जुड़ाव कम होने लगता है और उसका मानसिक संतुलन प्रभावित होता है।


डिजिटल टेक्नोलॉजी पर बढ़ती निर्भरता ने नई पीढ़ी में सोशल इंटरैक्शन को कम कर दिया है। इसका असर उनकी भावनात्मक अभिव्यक्ति, आत्मविश्वास और मानसिक स्थिरता पर पड़ रहा है। लगातार स्क्रीन के संपर्क में रहने से अकेलापन, तनाव और अवसाद की स्थिति बनती है। इस लिए डॉक्टर्स भी सलाह देते है कि जितना हो सके अपने बिजी लाइफस्टाइल में डिजिटल टेक्नोलॉजी से दूरी बनाने की कोशिश करना चाहिए। ताकि एक स्वस्थ्य जीवन की कल्पना किया जा सकें। 


प्रमुख लक्षण

लगातार उदासी या थकावट महसूस होना

नींद की गड़बड़ी (कम या ज्यादा सोना)

सोशल मीडिया से नकारात्मक सोच जुड़ना

चिड़चिड़ापन, बेचैनी और चिंता

सामाजिक दूरी और आत्मग्लानि


कैसे करें बचाव?

AI डिप्रेशन सिंड्रोम से बचने के लिए जीवनशैली में कुछ सकारात्मक बदलाव जरूरी हैं जैसे डिजिटल डिटॉक्स -रोजाना कुछ समय तकनीक और स्क्रीन से दूर बिताएं, शारीरिक गतिविधिया- एक्सरसाइज, योग और आउटडोर गेम्स अपनाएं, सामाजिक जुड़ा, परिवार और दोस्तों के साथ व्यक्तिगत समय बिताएं, ध्यान और मेडिटेशन- मानसिक शांति और फोकस के लिए मेडिटेशन करें। 


AI डिप्रेशन सिंड्रोम केवल एक नया मानसिक विकार नहीं, बल्कि हमारी डिजिटल आदतों का परिणाम है। यदि युवा समय रहते सतर्क नहीं हुए, तो यह मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकता है। तकनीक का संतुलित उपयोग और मानवीय रिश्तों को प्राथमिकता देना ही इससे बचने का तरीका है।