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21-Apr-2025 05:13 PM
By Viveka Nand
Bihar News: खनन विभाग में बड़े खेल का खुलासा हुआ है. गया जिले में खनन विभाग के अधिकारी ने बालू माफियाओं के साथ मिलकर बड़ा खेल किया है. खनन विभाग के मंत्री सह डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने जब जांच कराई, इसके बाद पूरी पोल पट्टी खुल गई. पूरे खेल में शामिल खनिज विकास पदाधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही चलाने का आदेश दिया है. खान आयुक्त ने गया जिले के चारों बालूघाटों से कुल-30 करोड़ 68 लाख 16 हजार 111 रुपये की दंड की राशि की वसूली का आदेश दिया है. दरअसल, गया के तत्कालीन खनिज विकास पदाधिकारी ने चारों घाटों पर अधिरोपित दंड की कुल राशि 31 करोड़ 26 लाख 94 हजार 45 रुपये को घटाकर 32 लाख 87 हजार 71 रुपये कर दिया था.
उप मुख्यमंत्री सह खनन विभाग के मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि गया जिले के अलग-अलग बालूघाटों के संवेदकों के विरुद्ध पूर्व में अधिरोपित दण्ड को तत्कालीन खनिज विकास पदाधिकारी ने आश्चर्यजनक रुप से बेहद कम कर दिया था.समीक्षा के बाद बिहार खनिज निमयमाली-2019 के नियम-7 (ग) के तहत खान आयुक्त (बिहार) के न्यायालय द्वारा निदेशक, खान की अध्यक्षता में गठित समिति ने संज्ञान लेते हुए मामले की जांच की . समिति की जांच में यह पाया गया कि, गया जिला के 4 बालूघाट क्लस्टर-(1) खिजरसराय बालूघाट (क्लस्टर संख्या-22), (2) बैजूधाम बालूघाट (क्लस्टर संख्या-45), (3) बनाही एवं महुआमा बालूघाट (क्लस्टर संख्या-33), और विष्णुविगहा बालूघाट (क्लस्टर संख्या-29) में अनुमान्य खनन की सीमा से अधिक खनन की गयी, जिसकी पुष्टि विभागीय जांच दल द्वारा की गई। जाँच के बाद मिले प्रतिवेदन के आधार पर (1) खिजरसराय बालूघाट के संचालक मेसर्स जय भगवती माईन्स पर 19 करोड़ 35 लाख 22 हजार 8 सौ 20 रुपये 19,35,22,820/- रुपये) (2) बैजूधाम बालूघाट के संचालक श्री रंजीत कुमार पर 8 करोड़ 14 लाख 31 हजार 388 रुपये 8,14,31,388/- रुपये (3) बनाही एवं महुआमा बालूघाट के संचालक मेसर्स मलिक ट्रांसपोर्ट पर 3 करोड़ 28 लाख 55 हजार 857 रुपये (3,28,55,857 रुपये)और विष्णुविगहा बालूघाट के संचालक रामजी प्रसाद सिन्हा पर 48 लाख 83 हजार 980 रुपये (48,83,980/- रुपय) का दण्ड अधिरोपित किया गया। दंड लगाने की प्रक्रिया के बाद सभी घाटों के संचालकों ने उच्च न्यायालय में परिवाद दायर किया .सभी मामलों में उच्च न्यायालय द्वारा परिवाद को अमान्य करते हुए नियमानुसार कार्रवाई की स्वतंत्रता प्राधिकार को दी .
यहाँ पर ध्यान देनेवाली बात यह है कि सभी चारों मामलों का औचक निरीक्षण खनन के लिए अनुमान्य अवधि (15 अक्टूबर से 15 जून के बीच) में सम्पन्न हुआ है। लेकिन तत्कालीन खनिज विकास पदाधिकारी, गया उस वर्ष के मानसून (बारिश) के मौसम के बाद अधिरोपित दंड की राशि को आश्चर्यजनक रुप से संशोधित कर बेहद कम कर दिया गया। मानसून के मौसम की चर्चा इसलिए अहम है, क्योंकि खनिज क्षेत्र में मौनसून की अवधि में गाद और बालू का जमाव होता है अक्सर यह जमाव 40 से 50 प्रतिशत तक होता है। दूसरा तथ्य यह है कि विभागीय जाँम में संचालकों पर जो दंड लगाये गये थे उसमें नियमों की अवहेलना करते हुए गया के तत्कालीन खनन विकास पदाधिकारी द्वारा अपने स्तर से दंड की प्रस्तावित राशि को बेहद कम कर दिया गया।
समझिए खेल को......
(1) खिजरसराय बालूघाट (क्लस्टर संख्या-22) के लिए प्रस्तावित दंड की राशि को 19 करोड़ 35 लाख 22 हजार 8 सौ 20 रुपये से घटाकर 6 लाख 81 हजार 494 रुपये कर दिया गया।
(2) बैजूधाम बालूघाट (क्लस्टर संख्या-45) के लिए प्रस्तावित दंड की राशि 8 करोड़ 14 लाख 31 हजार 388 रुपये से घटाकर 11 लाख 58 हजार 884 रुपये किया गया
(3) बनाही एवं महुआमा बालूघाट (क्लस्टर संख्या-33) के लिए प्रस्तावित दंड की राशि 3 करोड़ 28 लाख 55 हजार 857 रुपये से घटाकर 8 लाख 14 हजार 832 रुपये कर दिया गया।
(4) विष्णुविगहा बालूघाट (क्लस्टर संख्या-29) के लिए प्रस्तावित दंड की राशि 48 लाख 83 हजार 980 रुपये से घटाकर 6 लाख 31 हजार 861 रुपये कर दिया गया। यानि इन चारों घाटों पर अधिरोपित दंड की कुल राशि 31 करोड़ 26 लाख 94 हजार 45 रुपये को तत्कालीन खनिज विकास पदाधिकारी, गया द्वारा संशोधित कर 32 लाख 87 हजार 71 रुपये कर दिया गया। इस तरह यह राज्य के राजस्व सग्रहण को प्रभावित करने का मामला तो है ही साथ ही उक्त पदाधिकारी द्वारा नियमों की भी प्रत्यक्ष रुप से अवहेलना की गयी है।
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि पहली बात तो यह है कि इस प्रकार के दंड को संशोधित करने का अधिकार जिला समाहर्ता को है न कि खनिज विकास पदाधिकारी को.दूसरी बात दंड में यह संशोधन उन्होंने किस आधार पर किया। क्या इसके लिए कोई रिव्यू कमिटी बनाई गयी थी। तीसरी बात प्रस्तावित दंड की राशि संशोधित कर इतनी कम क्यों की गयी, जो समानुपातिक कतई नहीं मानी जा सकती। यह स्पष्ट रुप से आर्थिक अनियमितता के साथ-साथ एक आपराधिक कृत्य का मामला है। इस मामले के संज्ञान में आते ही हमने विभाग में उच्चस्तरीय जांच का आदेश दिया। बिहार खनिज नियमावली के संगत नियमों के आधार पर दिनांक 05.11.2024 को निदेशक, खान की अध्यक्षता में समिति गठित कर मामले की फिर से जाँच शुरु की गयी। समिति ने 13 दिसंबर 2024 को जांच प्रतिवेदन समर्पित किया. खान आयुक्त के न्यायालय ने उक्त जांच समिति के प्रतिवेदन पर सहमति जताते हुए पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए निर्धारित सीमा से इतर खनन के लिए सभी चारों बालू घाट संचालकों पर पूर्व प्रस्तावित दंड की राशि की वसूली का आदेश दिया है।
30 करोड़ 68 लाख की राशि वसूली के आदेश
इस आदेश के आधार पर (1) खिजरसराय बालूघाट (क्लस्टर संख्या-22) के संवेदक मेसर्स जय भगवती माईन्स पर 19 करोड़ 35 लाख 22 हजार 820 रुपये (2) बैजूधाम बालूघाट (क्लस्टर संख्या-45) के संवेदक श्री रणजीत कुमार पर 7 करोड़ 35 लाख 4 हजार 441 रुपये, बनाही एवं महुआमा बालूघाट (क्लस्टर संख्या-33) के संवेदक मेसर्स मल्लिक ट्रांसपोर्ट पर 3 करोड़ 49 लाख 4 हजार 870 रुपये और विष्णुबिगहा बालूघाट (क्लस्टर संख्या-29) के संवेदक श्री रामजी प्रसाद सिन्हा पर 48 लाख 83 हजार 980 रुपये दंड अधिरोपित किया गया है। यानि इन चारों बालूघाटों से कुल-30 करोड़ 68 लाख 16 हजार 111 रुपये की दंड की राशि की वसूली का आदेश दिया गया है।