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26-Jul-2025 02:44 PM
By Viveka Nand
Bihar Transport: बिहार में निजी क्षेत्र में संचालितऑटोमेटेड फिटनेस जांच केंद्र सरकार को खुल्लम खुल्ला ठेंगा दिखा रहा. मनमर्जी जारी है. रोकने वाला कोई नहीं. सड़क सुरक्षा की भट्ठा बिठाने में लगे हुए हैं. सड़क परिवहन राज मार्ग मंत्रालय ने ऐसी व्यवस्था लागू की, जिससे गड़बड़ी और बढ़ गई है. बिहार में स्थापित हुए स्वचालित फिटनेस जांच केंद्र संचालकों को अब परिवहन विभाग के अधिकारियों का भी डर नहीं रहा. खुल्लम खुल्ला गड़बड़ी कर रहे, जांच करने विभाग के अधिकारी जा रहे, उन्हें किसी तरह की जानकारी नहीं दी जा रही है.
भागलपुर में संचालित फिटनेस जांच केंद्र संचालक ने जांच टीम को नहीं दी रिपोर्ट
बिहार में संचालित ऑटोमेटिक फिटनेस जांच केंद्रों पर फोटो भेजकर धड़ल्ले से फिटनेस प्रमाण पत्र जारी कराया जा रहा है. दूसरे राज्यों की गाड़ियां बिहार आ नहीं रहीं, उसका भी प्रमाण पत्र जारी हो जा रहा है. शिकायत मिलने के बाद भागलपुर के जिला परिवहन पदाधिकारी ने जांच टीम बनाकर स्वचालित फिटनेस जांच केंद्र की जांच करने भेजा. उक्त फिटनेस जांच केंद्र पर जाने के बाद पूरी पोल पट्टी खुल गई. संचालक ने जांच टीम को न तो सीसीटीवी का फुटेज दिया और न ही किसी अन्य जानकारी. संचालक ने पूरी बात छुपाने की कोशिश की.जांच टीम ने स्वचालित फिटनेस जांच केंद्र पर हो रहे गोरखधंधे की पूरी रिपोर्ट दी है. सूत्र बताते हैं कि भागलपुर समेत कई फिटनेस जांच केंद्र पर सूबे के बाहर की गाड़ियों का धड़ल्ले से प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि बिहार में कई ऐसे स्वचालित फिटनेस जांच केंद्र हैं, जहां गाड़ी नहीं जाती..फोटो भेजकर प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है. अगर परिवहन विभाग सख्ती बरते..प्रति दिन का सीसीटीवी फुटेज की जांच करे तो सारे खेल का खुलासा हो जायेगा.
एक दिन में 100-150 गाड़ियों की जांच कर प्रमाण पत्र
बिहार में निजी क्षेत्र में संचालित स्वचालित फिटनेस जांच केंद्रों द्वारा प्रति दिन 100-150 गाड़ियों की जांच कर प्रमाण पत्र निर्गत किए जा रहे हैं. उड़ीसा सरकार ने 2024 में ही इस खेल को पकड़ा था. वहां के परिवहन विभाग ने बिहार के स्वचालित फिटनेस जांच केंद्रों पर हो रहे खेल का खुलासा किया था. उड़ीसा के परिवहन कमिश्नर ने इस संबंध में एक रिपोर्ट सड़क परिवहन मंत्रालय को भेजी थी, जिसमें बिहार के फिटनेस जांच केंद्र और इनके द्वारा बिना गाड़ी आये ही फिटनेस प्रमाण पत्र निर्गत करने की पूरी लिस्ट थी. हालांकि उस पत्र के आलोक में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अगर परिवहन विभाग इन फिटनेस सेंटरों की स्वायत्त एजेंसी से जांच कराये तो सबकी कलई खुल जायेगी, पता चल जायेगा कि गाड़ियों की फिटनेस जांच की जाती है या फोटो का. इसके लिए बिहार में संचालित सभी फिटनेस जांच केंद्रों को एआरआई जैसी संस्था से जांच करानी होगी, वरना स्वचालित फिटनेस जांच स्थापित करने से परिवहन विभाग को कोई फायदा नहीं.
भागलपुर का फिटनेस सेंटर तो देश भऱ में सबसे ज्यादा प्रमाण पत्र जारी किया
बता दें, बिहार में आठ स्वचालित फिटनेस जांच सेंटर कार्यरत्त हैं. परिवहन विभाग ने इसके लिए लाइसेंस निर्गत किए हैं. स्वचालित फिटनेस जांच केंद्रों पर बिहार समेत दूसरे राज्यों की गाड़ियों की भी जांच कर प्रमाण पत्र जारी किये जाते हैं. पटना में स्वचालित टेस्टिंग स्टेशन की संख्या 3 है. इसके अलावे भागलपुर, दरभंगा, सासाराम, वैशाली और नालंदा में 1-1 स्वचालित फिटनेस जांच केंद्र है. इन केंद्रों द्वारा प्रति दिन कितने वाहनों की जांच कर सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं, इसकी पूरी जानकारी https://vahan.parivahan.gov.in/AFMS/#/dashboard पर रिकार्ड होता है. जुलाई महीने में 1-23 तारीख तक बिहार के दो स्वचालित फिटनेस जांच केंद्रों ने रिकार्ड बना दिया है. भागलपुर में संचालित फिटनेस जांच केंद्र ने इस महीने देश में सबसे ज्य़ादा गाड़ियों की जांच कर प्रमाण पत्र निर्गत किया है. इस सेंटर के द्वारा 23 तारीख तक 3448 गाड़ियों की जांच कर प्रमाण पत्र जारी किया है. 23 तारीख तक देश में दूसरे स्थान पर बिहार का दरभंगा सेंटर है. इसने 3316 गाड़ियों का प्रमाण पत्र रिलीज किया है. तीसरे नंबर पर अजमेर, चौथे नंबर पर जयपुर और पांचवे नंबर पर ग्वालियर का नंबर है. नौवें नंबर पर पटना का गोल्डेन वाहन फिटनेस सेंटर है. इसने इस महीने 1760 प्रमाण पत्र जारी किए है. वैशाली वाले सेंटर ने 883 प्रमाण पत्र जारी किए हैं.इस तरह से इसका 28 वें नंबर पर जगह है. पटना का एक सेंटर 627 गाड़िय़ों की जांच रिपोर्ट देकर 44वें नंबर पर है. नालंदा 533 स्थान- 52 वां और पटना का तीसरा सेंटर 437 गाड़ियों का फिटनेस प्रमाण पत्र जारी कर देशभर में 67वें स्थान पर है.
सड़क परिवहन मंत्रालय का ऑफिशियल डेटा देखिए....
बता दें, केंद्र सरकार ने वाहनों का फिटनेस जांच आधुनिक तकनीक से कराने का निर्णय लिया. इसके लिए देश भर में स्वचालित फिटनेस टेस्टिंग स्टेशन शुरू किए गए. मकसद था कि गाड़ियों को मैन्यूअल चेक करने की बजाय मशीन से जांच की जाय, ताकि सड़क दुर्घटना कम हो सके. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के इस निर्णय के बाद बिहार में आठ स्वचालित फिटनेस टेस्टिंग स्टेशन काम करना शुरू किया. परिवहन विभाग ने इसके लिए लाइसेंस निर्गत किया, जिस आधार पर निजी क्षेत्र में सभी स्वचालित फिटनेस टेस्टिंग स्टेशन काम कर रहे हैं. लेकिन यहां तक ऐसा खेल किया जा रहा, जिसकी कल्पना सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भी नहीं की होगी. जानकार बताते हैं कि स्वचावित टेस्टिंग सेंटर पर कुल मिलाकर 36 प्रकार की जांच, जिसमें करीब 10 जांच मशीन से और कई मैनुअल करना है. एक गाड़ी का फिटनेस जांच करने में कम से कम 10 मिनट का समय लगता है. ऐसे में एक सेंटर पर औसतन प्रति दिन 100-150 गाड़ियों का फिटनेस करना करना संभव नहीं दिखता. जानकार बताते हैं कि बिहार में फिर से पुराना खेल शुरू हो गया, यानि गाड़ियों की जांच की बजाय फोटो जांच कर फिटनेस सर्टिफिकेट देना. बताया जाता है कि स्वचालित परीक्षण केंद्र पर गाड़ी का फोटो मंगवाकर फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं. इस खेल में बिहार से लेकर दूसरे राज्य के माफिया सक्रिय हैं. बाहरी माफिया दूसरे राज्यों की गाड़ियों का बिहार से फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करवा रहे हैं.
बता दें, पिछले साल ही बिहार के तीन फिटनेस जांच केंद्रों पर गाड़ियों की जांच के लिए बुकिंग पर रोक लगाई गई थी. हालांकि कुछ समय बाद सभी केंद्र फिर से शुरू हो गए। परिवहन विभाग के कमिश्नर ने यह आदेश जारी किया था.