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Bihar vidhansabha election 2025: बिहार की राजनीति में विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो गयी है ,ऐसे में राजनितिक गलियारों में सियासी हलचल तेज हो गई है। जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने रविवार को मुजफ्फरपुर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जोरदार हमला बोलते हुए उन्होंने दावा किया कि 2014-15 में उन्हीं के सुझाव पर नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाया था और खुद दोबारा मुख्यमंत्री बने थे।
प्रशांत किशोर ने कहा कि नवंबर 2014 में नीतीश कुमार उनसे मिलने दिल्ली आए थे। उस समय किसी ने नीतीश को बताया था कि नरेंद्र मोदी के चुनाव अभियान को सफल बनाने वाला व्यक्ति बिहार का है। इसी के बाद नीतीश ने उनसे मुलाकात की। (PK)के अनुसार, उस मुलाकात के दौरान उन्होंने नीतीश से पूछा कि जब जनता ने लोकसभा चुनाव में जदयू को हराया और उन्होंने मुख्यमंत्री पद क्यों छोड़ा? इस पर नीतीश ने प्रतिक्रिया देते हुए कह दिया कि उन्होंने बिहार की जनता के लिए बहुत काम किया था, फिर भी जनता ने वोट नहीं दिया, इसलिए उन्हें पद पर बने रहना सही नहीं लगा.
प्रशांत किशोर ने सुझाव दिया था कि नीतीश को दोबारा मुख्यमंत्री बनकर चुनावी रणनीति पर काम करना चाहिए। उनके इस सुझाव के बाद नीतीश कुमार ने अपने ही नियुक्त किए गए मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को हटाकर दोबारा मुख्यमंत्री पद पर आसीन हो गए। इसके बाद नीतीश कुमार ने बिहार की जनता से माफी भी मांगी, क्योंकि लोकतंत्र में मुख्यमंत्री पद छोड़कर किसी और को बिना जनादेश के नियुक्त करना उचित नहीं था।
CM नीतीश पर निशाना
प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार की मौजूदा सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि आज उनकी सरकार को लोग लालू यादव के जंगलराज से भी बदतर मानते हैं।अभी फिलहाल चंद भ्रष्ट अधिकारीयों का बिहार में आधिपत्य है उन्होंने आरोप लगाया कि लालू के शासनकाल में अपराधियों का दबदबा था,अब उसके उलट अधिकारियों का जंगलराज है।
पीके ने आगे कहा कि एक समय था जब रेल मंत्री के पद पर रहते हुए नीतीश कुमार ने एक दुर्घटना के बाद नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था, लेकिन कोविड महामारी के दौरान जब हजारों लोगों की मौत हुई, तब नीतीश घर में दुबके रहें और जनता की सुध लेने बाहर तक नहीं निकले थे ।
प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू को सिर्फ 42 सीटें मिलीं थीं , जिससे साफ है कि पार्टी चुनाव हार गई थी। इसके बावजूद नीतीश कुमार बार-बार गठबंधन बदलकर मुख्यमंत्री पद पर बने रहने में सफल रहे। उन्होंने कहा कि अब नीतीश कुमार की राजनीतिक नैतिकता समाप्त हो गई है और उनकी प्राथमिकता केवल 'कुर्सी बचाने' तक सीमित रह गई है.उनको अब बिहार की विकाश से कोई मतलब नही है |