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मोदी ने लूट ली महफिल: उत्तर प्रदेश में चुनाव के एलान से पहले ही ‘खेला’ कर गये PM, हाथ मल रहें हैं विपक्षी नेता

1st Bihar Published by: Updated Sun, 09 Jan 2022 01:40:54 PM IST

मोदी ने लूट ली महफिल: उत्तर प्रदेश में चुनाव के एलान से पहले ही ‘खेला’ कर गये PM, हाथ मल रहें हैं विपक्षी नेता

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DESK: चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को तारीखों का एलान कर दिया. वहां 7 फेज में चुनाव होगा. 25 दिनों में चुनाव संपन्न हो जायेगा. चुनाव आयोग ने इलेक्शन के एलान के साथ कोरोना संक्रमण को देखते हुए कई तरह की बंदिशों की भी घोषणा कर दी है. उत्तर प्रदेश में 15 जनवरी तक कोई भी पार्टी या नेता के रैली, सभा, पदयात्रा, साइकिल यात्रा, नुक्कड़ सभाएं, रोड शो करने पर रोक लगा दी है. कोरोना का प्रसार जिस गति से हो रहा है उससे बंदिशें और आगे बढने की पूरी संभावना है. लेकिन चुनाव की तारीख और बंदिशों के एलान से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘खेला’ कर गये. विपक्षी पार्टियों को मोदी के मास्टर स्ट्रोक का जवाब नहीं सूझ रहा है. 


खेल गये मोदी


दरअसल, चुनाव आय़ोग की बंदिशों के कारण उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक पार्टियों को कम से कम अगले 7 दिन तक अपना चुनाव प्रचार ऑनलाइन ही करना पड़ेगा. कोरोना के जो हालात हैं उससे ये बंदिशें आगे भी बढ सकती है. लेकिन बीजेपी निश्चिंत है. दरअसल बीजेपी के सबसे बड़े स्टार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव के डेट के एलान से पहले ही अपनी पार्टी के लिए खेला कर गये. उन्होंने चुनाव प्रचार पर बंदिशों से पहले ही अपनी पार्टी के आधार तैयार कर दिया. 


14 चुनावी रैलियां कर गये मोदी


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी तारीख के ऐलान से पहले ही उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक रैली कर बहुत हद तक अपना काम पूरा कर चुके हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने 16 नवंबर से ही उत्तर प्रदेश में चुनाव को लेकर रैलियां करना शुरू कर दिया था. 16 नवंबर से 2 जनवरी तक के डेढ़ महीने के समय में उत्तर प्रदेश के हर इलाके में प्रधानमंत्री की रैली हो चुकी है. नरेंद्र मोदी ने डेढ़ महीने में पूर्वांचल से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ताबड़तोड़ 14 चुनावी रैलियां की. वैसे तो प्रधानमंत्री की सभायें उत्तर प्रदेश में विकास योजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन के बहाने हो रही थीं लेकिन उनमें चुनावी बातें जमकर की जा रही थीं.


प्रधानमंत्री की सिर्फ एक सभा टली


वैसे प्रधानमंत्री की उत्तर प्रदेश में एक सभा टल गयी है. उनकी आखिरी रैली लखनऊ में 9 जनवरी को होने वाली थी. सियासी हलके में चर्चा ये थी कि प्रधानमंत्री के इसी कार्यक्रम के बाद चुनाव आय़ोग सूबे में इलेक्शन की तारीख का एलान करेगा. लेकिन कोरोना के बढते कहर के कारण प्रधानमंत्री की रैली पहले ही टाल दी गयी थी और इसी बीच चुनाव आयोग ने 8 जनवरी को ही उत्तर प्रदेश समेत देश के पांच राज्यों में चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया. 


जहां सबसे पहले मतदान वहीं हुई थी मोदी की आखिरी रैली


इसे संयोग कहें या कुछ औऱ. लेकिन उत्तर प्रदेश में जहां सबसे वोटिंग होनी है उसी इलाके में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आखिरी रैली हुई थी. पहले फेज में यूपी के 11 जिलों की 58 सीटों पर वोटिंग होगी. ये जिले हैं मेरठ, अलीगढ़, आगरा, मथुरा, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हापुड़ और बुलंदशहर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी आखिरी रैली मेरठ में की थी. प्रधानमंत्री ने यहां खेल विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया. मेरठ को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का केंद्र माना जाता है जो आस पास के जिलों यानि बागपत, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, शामली और गौतमबुद्धनगर को सीधे प्रभावित करता है. ये वही इलाका है जिसे किसानों का गढ माना जाता है. किसान बीजेपी से नाराज थे. उनकी नाराजगी दूर करने के लिए पहले कृषि कानून को वापस लिया गया और फिर पीएम ने वहां खुद जाकर किसानों को मनाने की कोशिश की थी. 


पिछ़ड़ गये अखिलेश, प्रियंका और मायावती


उत्तर प्रदेश में सबसे प्रमुख विपक्षी पार्टी है समाजवादी पार्टी. उसके नेता अखिलेश यादव वैसे तो वे दो महीने से विजय यात्रा पर निकले हुए हैं. 25 सभायें भी इस यात्रा के दौरान की हैं जिसमें सबसे आखिरी सभा 28 दिसंबर को थी. लेकिन वे कोई बड़ी जनसभा नहीं कर पाये. अखिलेश के सामने समस्या ये भी है कि उनकी पार्टी में उनके अलावा कोई दूसरा स्टार प्रचारक नहीं है. 


उधर कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की कमान प्रियंका गांधी को सौंप रखी है. प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में एक साल से सक्रिय हैं लेकिन बड़ी जनसभा नहीं कर पायी है. वे लड़कियों के लिए लड़की हूं, लड़ सकती हूं...अभियान चला रही है. प्रतिज्ञा यात्रा भी की, जिसे बाद में कोरोना के कारण टालना पड़ गया. लेकिन प्रियंका या उनके भाई राहुल गांधी कोई बड़ी जनसभा नहीं कर पाये. 


उधर उत्तर प्रदेश की एक और प्रमुख पार्टी बसपा की सक्रियता सबसे कम रही. बसपा की एक मात्र स्टार प्रचारक मायावती बेहद कम सक्रिय हैं. उन्होंने अब तक सिर्फ एक रैली और तीन मीटिंग की है. मायावती की प्लानिंग चुनाव के समय रैलियां करने पर थी लेकिन कोरोना के हालत को देखते हुए बड़ी रैलियों के आयोजन होने पर संदेह है.