DESK: कोरोना संक्रमण से दुनिया के ज्यादातर देश प्रभावित हैं, लेकिन कुछ देशों में इसका असर बहुत ज्यादा है जबकि इसके मुकाबले कई देशों ने इस महामारी पर आसानी से काबू पा लिया है. कोरोना से दुनिया में हो रही मौतों के आंकड़े पर नज़र डालने पर स्थिति स्पष्ट हो जाती है. आप कहेंगे इसके पीछे उस देश की सरकार की सफल नीतियां जिम्मेदार हैं. पर ये बात कुछ हद तक ही सही है. ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि इन देशों में एक विटामिन ने लोगों को कोरोना से बचाने और संक्रमित हो जाने पर मृत्यु से बचाने में अहम भूमिका निभाई है.
आरयरिश मेडिकल जर्नल में छपी एक रिपोर्ट की मने तो जिन देशों के लोगों के शरीर में विटामिन-डी (Vitamin-D) की मात्रा अधिक है वहां संक्रमण की दर में कमी देखी गई है साथ ही साथ मौत की संख्या भी कम रहीं है. जबकि इसके मुकाबले उन देशों में वायरस ने कहर ज्यादा बरपाया है जहां के लोगों के शरीर में विटामिन-डी की कमी पाई जाती है. नॉर्वे, डेनमार्क, फिनलैंड, स्वीडन ऐसे देश हैं जहांके लोगों के लिए विटामिन-डी ने रक्षा कवच का काम किया है. इस विटामिन की वजह से कोरोना वायरस का संक्रमण कम फैला और लोग कम बीमार पड़े. इन देशों में मौत की संख्या भी अन्य देशों के मुकाबले काफी कम रही है क्योंकि यहां के लोगों के शरीर में विटामिन-डी की मात्रा अच्छी है.
यूरोप के लोग हैं विटामिन-डी की कमी होती है
इस स्टडी में बताया गया है कि यूरोपीय देश जैसे स्पेन, फ्रांस, इटली और ब्रिटेन के आलावा अमेरिका, भारत और चीन के लोगों में भी विटामिन-डी की भारी कमी पाई जाती है इसलिए यहां के लोगों के शरीर में कोरोना से लड़ने की क्षमता बेहद कम है. यही वजह है कि यहां न सिर्फ लाखों की संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं बल्कि मौतों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है. वैज्ञानिकों ने इन यूरोपीय देशों के लोगों के शरीर में विटामिन-डी की मात्रा पर अध्ययन करने के लिए 1999 से डाटा निकालकर उसका अध्ययन किया है. इस डेटा स्टडी से पता चलता है कि कोरोना से बुरी तरह प्रभावित देशों के लोगों में विटामिन-डी की मात्रा में लगातार भारी गिरावट आई है.
कैसे मिलेगा विटामिन-डी
शरीर में विटामिन-डी की कमी सबसे ज्यादा एशियाई और अश्वेत मूल के लोगों में पाई गई, जिनकी ब्रिटेन व अमेरिका में बहुत अधिक मौत हुई है. विटामिन-डी का स्तर और कोरोना वायरस मामलों की संख्या के बीच सीधा संबंध पाया गया है. नॉर्वे, फिनलैंड और स्वीडन की भौगोलिक स्थिति के कारण यहां सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें कम पहुंचती है जो कि विटामिन-डी का प्रमुख स्रोत है. इसलिए इन देशों में लोग विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए दुग्ध उत्पाद ज्यादा लेते हैं. वैज्ञानिकों की टीम ने पाया कि भारत, चीन समेत उत्तरी गोलार्द्ध के कई अन्य देशों में साल के शुरुआती महीनों में ठंड का मौसम था. साथ ही कोरोना संक्रमण से बचने के लिए इन में से कई देशों ने लॉकडाउन लगा दिया. लोग घरों में ही सीमित रह गए. ऐसे में शरीर में विटामिन-डी की कमी ने गंभीर रूप ले लिया. सूरज की किरणें को कम से कम 20 मिनट तक शरीर पर पड़ने के लिए सुबह की धूप में जरुर बैठें.