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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 06 Jul 2025 05:43:48 PM IST
सैलरी घोटाला - फ़ोटो GOOGLE
MADHYA PRADESH: मध्य प्रदेश पुलिस डिपार्टमेंट में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है,जिसने न केवल पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं,बल्कि विभागीय निगरानी तंत्र की भी पोल खोलकर रख दी है। विदिशा जिले का एक सिपाही पिछले 12 वर्षों से ड्यूटी पर एक दिन भी हाजिर नहीं हुआ,फिर भी उसने लगभग 28 लाख रुपये का वेतन उठा लिया।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला सामने तब आया जब वर्ष 2023 में पुलिस विभाग ने 2011 बैच के जवानों की वेतन ग्रेड समीक्षा शुरू की। समीक्षा के दौरान अधिकारियों को इस सिपाही की न तो नियमित सेवा फाइल मिली, न कोई ड्यूटी रिकॉर्ड और न ही किसी ट्रांसफर या कार्रवाई का कोई प्रमाण। यह देखते ही जांच शुरू कर दी गई।
कहां से हुई थी नियुक्ति?
सिपाही की नियुक्ति वर्ष 2011 में मध्य प्रदेश पुलिस बल में हुई थी। प्रारंभ में उसे भोपाल पुलिस लाइन में पोस्ट किया गया, जिसके बाद उसे ट्रेनिंग के लिए सागर ट्रेनिंग सेंटर भेजा गया था। लेकिन वह वहां कभी नहीं पहुंचा। उसने छुट्टी की अर्जी भी नहीं दी और चुपचाप अपने घर विदिशा लौट गया। दिलचस्प बात यह रही कि उसने अपनी सेवा फाइल स्पीड पोस्ट के ज़रिए भोपाल पुलिस मुख्यालय भेज दी, जिसे बिना किसी जांच के स्वीकार भी कर लिया गया।
12 साल तक कोई नहीं पकड़ पाया गड़बड़ी
ट्रेनिंग सेंटर ने अनुपस्थिति की कोई सूचना नहीं दी और भोपाल पुलिस लाइन में उसकी हाज़िरी की कभी पुष्टि ही नहीं हुई। इस वजह से वह रिकॉर्ड में "सेवा में कार्यरत" बना रहा और हर महीने उसे वेतन मिलता रहा। 12 वर्षों तक न तो किसी वरिष्ठ अधिकारी ने इस पर ध्यान दिया और न ही किसी ने इस गड़बड़ी को पकड़ने की कोशिश की।
घोटाले का खुलासा और जांच
जब मामला सामने आया तो उसे जांच के लिए बुलाया गया। उसने दावा किया कि वह मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा था, जिस कारण वह ड्यूटी पर नहीं आ सका। उसने कुछ मेडिकल दस्तावेज भी प्रस्तुत किए, लेकिन उन पर अभी जांच जारी है। इस गंभीर लापरवाही की जांच का जिम्मा भोपाल के टीटी नगर क्षेत्र में तैनात एसीपी अंकिता खाटरकर को सौंपा गया है। उन्होंने पुष्टि की कि सिपाही ने अकेले ट्रेनिंग पर जाने की अनुमति ली थी, लेकिन वापस कभी नहीं लौटा।
अब क्या कार्रवाई हुई है?
फिलहाल सिपाही को भोपाल पुलिस लाइन में अटैच किया गया है और अब तक उससे 1.5 लाख रुपये की वसूली की जा चुकी है। शेष राशि आने वाली सैलरी से किस्तों में वसूली जाएगी। विभागीय सूत्रों के अनुसार, इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए, जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। यदि किसी भी अधिकारी की लापरवाही पाई जाती है, तो उसके खिलाफ भी सख्त विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला क्यों है अहम?
यह घटना पुलिस विभाग के प्रशासनिक तंत्र में फैली ढिलाई और निगरानी की कमी को उजागर करती है। एक ऐसा विभाग जो कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है, उसमें 12 साल तक एक कर्मचारी की अनुपस्थिति को न पकड़ पाना, पूरे तंत्र की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है।