PATNA: छपरा में जहरीली शराब पीने से अबतक 50 से अधिक बेमौत मारे जा चुके हैं जबकि अब भी दर्जनों लोग जीवन और मौत से जूझ रहे हैं। बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र शराब की भेंट चढ़ चुका है। विधानसभा और विधान परिषद में पिछले तीन दिनों से शराब से हुई मौतों को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच संग्राम छिड़ गया है। विपक्षी दल बीजेपी मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिए जाने की मांग पर अड़ी हुई है तो वहीं मुख्यमंत्री ने सदन में साफ लहजों में कह दिया है कि शराब से मरने वाले लोगों के परिजनों को किसी तरह की सरकारी सहायता नहीं दी जाएगी। नीतीश ने सदन में आज फिर से कह दिया कि जो शराब पिएगा वो मरेगा ही।
उधर, गुरुवार को विधानसभा की कार्यवाही खत्म होने के बाद बीजेपी विधायकों ने छपरा के मशरक पहुंचकर हालाता का जायजा लिया और मृतकों के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी। बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम ताककिशोर प्रसाद ने कहा कि छपरा के मखरक में जितने भी लोगों की मौतें हुई हैं वह एक ही तरह से शराब को पीने से हुई हैं। उन्होंने कहा कि शराब को घर घर तक पहुंचाने वाले कोई एक व्यक्ति नहीं है बल्कि एक पूरा गिरोह शराब को लोगों तक पहुंचा रहा है। तारकिशोर ने कहा कि जिस जहरीली शराब से लोगों की मौत हुई हैं, वह थाने में जब्त कर रखे गए स्प्रीट से बनाई गई थी। ऐसे में यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि पुलिस की मिलीभगत से इस पूरे घटना को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया है।
ताककिशोर प्रसाद ने कहा कि शराबबंदी कानून में बहुत सारी खामियां हैं और जबतक उन खामियों को दूर नहीं किया जाएगा। मृतकों के परिजनों का कहना है कि पुलिस उनपर जल्द से जल्द शवों को अंतिम संस्कार करने का दबाव बना रही है और धमका रही है कि उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा। कुछ शवों को पोस्टमार्टम तो किया गया है लेकिन मृतकों की संख्या को बढ़ता देख कई शवों को बिना पोस्टमार्टम कराए ही जबरन अंतिम संस्कार करा दिया गया है।
पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि सरकार में रहते हुए कई ऐसी नीतिगत चीजें रहीं जिनपर मुख्यमंत्री से विमर्श करते रहे हैं। शराबबंदी कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए जो तैयारियां की जानी चाहिए थी वह नहीं की गईं। सरकार की तरफ से शराब को लेकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत थी लेकिन वह कहीं नहीं दिखी। जनजागरण अभियान चलाकर उस तबके को यह बताने की जरूरत है कि शराब से क्या नुकसान है, जो प्रशासन की तरफ से नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार अपने दायित्वों से भागना चाह रही है, इसलिए कभी पड़ोसी राज्यों का हवाला दे रही है तो कभी कह रही है कि जो पिएगा वो मरेगा। बीजेपी आज भी शराबबंदी और नशाबंदी के पक्ष में है। लेकिन जिस तरीके से शराबबंदी को लागू किया जाना चाहिए था वह नहीं हो सका। सरकार दूसरे राज्यों में हुई शराब की मौतों का आकंड़ा बताकर बिहार में भी मौतों की संख्या निर्धारित करना चाह रही है। बीजेपी द्वारा सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के बावजूद सदन में सरकार की तरफ को इसको लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
अभी भी जो लोग जीवन और मौत से जूझ रहे हैं उनके इलाज के लिए सरकार के स्तर पर किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी है। समाज का कमजोर तबका है इसलिए सरकार को उनकी कोई चिंता नहीं हो रही है, यही अगर किसी बड़े पृष्टभूमि से जुड़े लोग होते तो उनके लिए सरकार हर घंटे मेडिकल बुलेटिन जारी करती। ऐसे मामलों में सरकार का जो दायित्व होना चाहिए उसे नहीं पूरा किया गया है। पूरे मामले में सरकार की सोंच नाकारात्मक है और सरकार इसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रही है। बीजेपी आज भी कहती है की शराबबंदी कानून सही है और इसे लागू रहना चाहिए।