PATNA: बिहार के सियासी गलियारे के लोगों को शुक्रवार को तब हैरानी हुई जब तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री आवास पहुंच गये. लोगों ने पता करना शुरू-नीतीश कुमार ने तेजस्वी को बुलाया था या डिप्टी सीएम खुद अपने मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे थे. पता चला कि तेजस्वी यादव ने खुद सीएम आवास फोन कर मिलने का समय मांगा था. समय मिला तो जाकर नीतीश कुमार के सामने सफाई दी. सियासी गलियारे में खबर फैली-पिछले 12 दिनों से नीतीश कुमार के हर कार्यक्रम का खुले तौर पर बहिष्कार कर रहे तेजस्वी यादव की अकड़ गायब हो गयी है.
राहुल गांधी के मास्टर स्ट्रोक से पलट गया खेल
राजद के राजकुमार तेजस्वी यादव के इस यू-टर्न के पीछे के कारण को समझिये. शुक्रवार को सुबह सुबह ये खबर फैल चुकी थी कि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने फोन पर नीतीश कुमार से लंबी बातचीत की है. लगभग 15 महीने हुए जब नीतीश कुमार ने भाजपा से अलग होकर राजद-कांग्रेस के साथ सरकार बनायी थी. लेकिन राहुल गांधी नीतीश कुमार को कोई भाव ही नहीं दे रहे थे. नीतीश कुमार जब विपक्षी एकता की मुहिम पर निकले तो भी राहुल गांधी ने उन्हें मिलने के लिए भी लंबा इंतजार कराया.
चर्चा ये भी हुई थी कि लालू-तेजस्वी के कहने पर राहुल गांधी ने नीतीश कुमार को मिलने का टाइम दिया है. इसका नजारा उस समय भी दिखा जब पटना में विपक्षी पार्टियों की पहली बैठक हुई थी. बैठक के पहले और बाद में राहुल गांधी लगातार लालू यादव और तेजस्वी यादव से ही बात किये जा रहे थे. बाद में राहुल गांधी दिल्ली में लालू यादव के आवास पर मटन खाने भी पहुंच गये थे.
ऐसे में नीतीश कुमार विपक्षी महागठबंधन में अलग थलग पड़े दिख रहे थे. लेकिन राहुल गांधी ने जब उन्हें फोन कर दिया तो फिर सारा समीकरण ही बदल गया. दरअसल खबर ये आयी कि राहुल गांधी ने बिहार में सीट शेयरिंग को लेकर नीतीश कुमार से लंबी बातचीत की. राजद, जेडीयू, कांग्रेस औऱ वाम दलों के बीच सीट शेयरिंग के फार्मूले पर भी चर्चा हुई. चर्चा बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार पर भी हुई. नीतीश ने राहुल गांधी को जानकारी दी कि बिहार के मंत्रिमंडल में कांग्रेस के और मंत्री इसलिए नहीं बनाये जा रहे हैं क्योंकि लालू और तेजस्वी ऐसा नहीं चाह रहे हैं.
राजद में फैली बेचैनी
नीतीश कुमार की राहुल गांधी से बातचीत के बाद राजद में बेचैनी फैली. राजद के एक नेता ने बताया कि लालू औऱ तेजस्वी दोनों ये तय कर चुके थे कि लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे में नीतीश को कम सीटों पर सिमटा देना है. राजद अपने लिए बड़ा हिस्सा चाह रहा था. राजद का इरादा कांग्रेस को भी निपटाने का था. नीतीश और कांग्रेस दोनों को इस बात का अंदाजा हो गया था. ऐसे में राहुल गांधी और नीतीश की बातचीत के बाद राजद में बेचैनी फैली. अगर नीतीश और कांग्रेस एक हो गये तो फिर राजद कहां रहेगी, इसकी जानकारी लालू और तेजस्वी दोनों को है. लिहाजा तेजस्वी यादव ने आनन फानन में सीएम आवास में फोन किया.
सफाई देते रहे तेजस्वी
अब सवाल ये उठता है कि नीतीश से मिलने पहुंचे तेजस्वी ने क्या कहा. क्या सीट शेयरिंग पर चर्चा हुई. दरअसल तेजस्वी यादव कुल मिलाकर 20 मिनटों तक सीएम आवास में रहे. इसमें नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात सिर्फ 10 मिनट तक हुई. जेडीयू के एक नेता ने बताया कि इस मुलाकात में तेजस्वी यादव सिर्फ सफाई देते रहे. वे बताते रहे कि उनका इरादा मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों के बहिष्कार का नहीं था. उनके मन में नीतीश कुमार के लिए पूरा सम्मान है. नीतीश कुमार उनकी बातो को सुनकर मुस्कुराते रहे.
बता दें कि पिछले 12 दिनों से तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के सारे कार्यक्रमों का बहिष्कार कर रखा था. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पिछले 10 दिसंबर को एक साथ दिखे थे. वह भी तब जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पटना में पूर्वी क्षेत्र के राज्यों की बैठक में शामिल होने आये थे. उस बैठक में नीतीश और तेजस्वी साथ नजर आये थे. उसके बाद तेजस्वी यादव अपने मुख्यमंत्री के हर कार्यक्रम का बहिष्कार कर रहे थे.
अब क्रमवार समझिये कि बिहार में कौन सा खेल चला. 12 दिसंबर को पूर्वी चंपारण के केसरिया बौद्ध स्तूप में पर्यटन विभाग का कार्यक्रम था. सरकार ने अखबारों में विज्ञापन छपवाया कि इस कार्यक्रम में नीतीश और तेजस्वी दोनों मौजूद रहेंगे. कार्यक्रम भी पर्यटन विभाग का था, जिसके मंत्री खुद तेजस्वी यादव हैं. लेकिन तेजस्वी यादव अपने ही विभाग के इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए.
13 को फिर से वही नजारा
13 दिसंबर को सीतामढ़ी में पुनौरा धाम मंदिर में विकास कार्यक्रमों का शिलान्यास होना था. ये कार्यक्रम भी पर्यटन विभाग का था, जिसके मंत्री तेजस्वी यादव हैं. सरकार ने फिर से विज्ञापन छपवाया कि इस कार्यक्रम में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों मौजूद रहेंगे. लेकिन तेजस्वी कार्यक्रम में नहीं गये. उसी दिन पूर्व मंत्री स्व. रघुनाथ झा और शिवहर सर्किट हाउस के उद्घाटन का भी कार्यक्रम था. कार्यक्रम स्थल पर लगे बैनर में नीतीश के साथ तेजस्वी का नाम भी छपा था लेकिन बिहार के डिप्टी सीएम उस कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए.
डिप्टी सीएम ने इन्वेस्टर्स मीट का बहिष्कार किया
सबसे बड़ा खेल 13 और 14 दिसंबर को पटना में हुए इन्वेस्टर्स मीट में हुआ. बिहार सरकार ने इस कार्यक्रम को लेकर बड़ी बड़ी बातें की थी. सरकार द्वारा तय कार्यक्रम के मुताबिक 13 दिसंबर को डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को देश-विदेश से जुटे उद्योगपतियों के साथ बातचीत का एक सेशन करना था. लेकिन तेजस्वी यादव वहां पहुंचे ही नहीं. 14 दिसंबर को फिर अखबारों में विज्ञापन छपा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उद्योगपतियों को संबोधित करेंगे और तेजस्वी यादव भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे. लेकिन तेजस्वी यादव ने 14 दिसंबर को भी इनवेस्टर्स मीट का बहिष्कार कर दिया.
15 को नीतीश को आइना दिखाया
बता दें कि 13-14 को पटना के ज्ञान भवन में हुआ इन्वेस्टर्स मीट उद्योग विभाग का कार्यक्रम था. उद्योग विभाग राजद के कोटे में है. लेकिन तेजस्वी अपने ही कोटे के विभाग के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. 15 दिसंबर को उन्होंने अलग मैसेज दे दिया. देश-विदेश के उद्योगपतियों की जुटान का बहिष्कार करने वाले तेजस्वी यादव 15 दिसंबर को एक आईटी कंपनी के छोटे से ऑफिस का उद्घाटन करने पहुंच गये. तेजस्वी यादव ने बिना कहे ही ये संदेश दे दिया कि उन्हें सिर्फ नीतीश कुमार के कार्यक्रम से परहेज है.
ऐसा ही खेल 16 दिसंबर को देखने को मिला. 16 दिसंबर को नीतीश कुमार पटना के पीएमसीएच का निरीक्षण करने पहुंचे. पीएमसीएच के नये भवन का निर्माण हो रहा है, नीतीश कुमार पहले से कार्यक्रम तय करके वहां गये थे. ये स्वास्थ्य विभाग का कार्यक्रम था, जिसके मंत्री तेजस्वी यादव हैं. लेकिन इस कार्यक्रम में तेजस्वी यादव ही नहीं पहुंचे. उसी दिन नीतीश कुमार ने अशोक राजपथ में बन रहे डबल डेकर पुल का निरीक्षण किया. ये पथ निर्माण विभाग का काम है. इस विभाग के मंत्री तेजस्वी यादव हैं. तेजस्वी इसमें भी गैरहाजिर रहे.
18 दिसंबर को नीतीश कुमार ने जनता दरबार लगाया. इस जनता दरबार में जिन विभागों की समस्याओं को सुना जाना था, उसमें पथ निर्माण, ग्रामीण कार्य और पर्यटन विभाग शामिल था. इन तीनों विभागों के मंत्री तेजस्वी यादव हैं. तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री के जनता दरबार में शामिल होने के बजाय दिल्ली रवाना हो गये.
हद तो ये हुई कि दिल्ली में INDIA गठबंधन की बैठक में भी लालू यादव और तेजस्वी यादव ने नीतीश से दूरी बनाये रखी. वहां भी नीतीश की लालू-तेजस्वी से बातचीत तक नहीं हुई. नीतीश और लालू-तेजस्वी 3 दिनों तक दिल्ली में रहे लेकिन आपस में कोई बात नहीं हुई. लेकिन आखिरी वक्त में राहुल गांधी के कॉल ने सारा खेल बदल दिया.