PATNA : बिहार में शराबबंदी लागू करने के बाद नीतीश सरकार भले ही इसे सख्ती से अमल में लाने का दावा करती हो लेकिन शराबबंदी कानून के तहत दर्ज किए गए मामलों में छेद ही छेद नजर आता है। शराबबंदी के 84 आरोपियों को पटना हाईकोर्ट ने एक साथ जमानत दे दी है। इन आरोपियों के खिलाफ शराबबंदी के तहत मामला तो दर्ज किया गया लेकिन बरामद की गई शराब की एफएसएल जांच नहीं कराई गई।
हाईकोर्ट ने इसी को आधार मानते हुए शराबबंदी कानून के तहत जेल में बंद 84 आरोपियों को जमानत दे दी है। बुधवार को न्यायमूर्ति डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय की एकल पीठ ने शराबबंदी कानून के तहत जेल में बंद आरोपियों की जमानत याचिका पर एक साथ सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। कोर्ट का यह कहना था कि शराबबंदी कानून के के तहत आरोपियों के खिलाफ ज्यादातर मामलों में जो कार्रवाई की गई उसमें बरामद की गई शराब की एफएसएल से जांच नहीं कराई गई। एफएसएल जांच नहीं होने के कारण कानूनी तथ्य इस बात की पुष्टि नहीं करता है कि बरामद किया गया द्रव्य शराब थी या नहीं? कोर्ट ने कहा कि केवल शराब पकड़ने का दावा करने मात्र से कानून इसे स्वीकार नहीं कर लेता। इसके लिए वैज्ञानिक पुष्टि भी जरूरी है कि पकड़ा गया द्रव्य शराब है या नहीं।
शराबबंदी कानून के तहत जेल में बंद आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट में यह दलील दी गई कि शराबबंदी कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि पकड़े गए एक ड्रम शराब की पूरी जांच होगी या फिर ड्रम से निकाले गए एक चम्मच शराब की। नियम के अनुसार दोनों एक समान माने जाते हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार की तरफ से दी गई इस दलील को खारिज करते हुए सभी आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया।