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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 29 Apr 2025 07:49:21 PM IST
जित्का क्लेट और ईमानदार आदिवासी - फ़ोटो Google
Czech Princess's Lost Ring: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में पातालकोट के आदिवासियों ने ईमानदारी की ऐसी मिसाल पेश की है, जो आज के जमाने में विरले ही देखने को मिलती हैं. चेक गणराज्य की राजकुमारी और फैशन डिजाइनर जित्का क्लेट की ₹22 लाख की हीरे जड़ी शादी की अंगूठी, जो छोटा महादेव झरने में खो गई थी, आदिवासियों ने उसे दो दिन की कड़ी मेहनत के बाद खोज निकाली. राजकुमारी ने अंगूठी लौटाने वालों को ₹5 लाख इनाम के रूप में भी देने चाहें मगर आदिवासियों ने इसे विनम्रता से ठुकरा दिया और केवल ₹41,000 अपनी मेहनत के मेहनताने के रूप में स्वीकार किए.
जित्का क्लेट, जो चेक गणराज्य की प्राग की निवासी हैं, अपनी स्पाइन की गंभीर बीमारी के आयुर्वेदिक इलाज के लिए छिंदवाड़ा आई थीं. छह महीने पहले यूरोप में उनकी मुलाकात प्रख्यात आयुर्वेदाचार्य प्रकाश टाटा से हुई थी, जिन्हें मैक्स इन द वर्ल्ड कंपनी ने आयुर्वेद और योग के शिविरों के लिए आमंत्रित किया था. प्रकाश टाटा की जड़ी-बूटियों और आयुर्वेदिक दवाओं से जित्का को काफी राहत मिली. पातालकोट की अनमोल जड़ी-बूटियों के बारे में सुनकर जित्का ने वहां घूमने की इच्छा जताई. 16 अप्रैल 2025 को वे दिल्ली से नागपुर और फिर छिंदवाड़ा पहुंचीं थीं, जिसके बाद प्रकाश टाटा ने उन्हें अपने घर पर ठहराया और 17 अप्रैल को राजकुमारी को पातालकोट, तमिया, और छोटा महादेव जैसे पर्यटन स्थलों की सैर कराई.
छोटा महादेव, तमिया में स्थित एक प्राकृतिक झरना है जो कि अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है. 17 अप्रैल को पानी में नहाने के दौरान ही उनकी ₹22 लाख की हीरे जड़ी शादी की अंगूठी फिसलकर कहीं गिर गई. जित्का ने पर्यटकों और स्थानीय लोगों के साथ मिलकर करीब आठ घंटे तक अंगूठी खोजने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मिली. निराश और भावुक जित्का भावुक हो गई जिसके बाद प्रकाश टाटा ने उन्हें सांत्वना दी और कहा, "भोलेनाथ की कृपा से अंगूठी मिल जाएगी." जित्का ने अंगूठी खोजने वाले को ₹5 लाख का इनाम देने की घोषणा की और छिंदवाड़ा लौट आईं. उस रात चिंता के कारण वे देर रात 2 बजे तक सो नहीं पाईं.
18 अप्रैल को छोटा महादेव में नींबू पानी की दुकान चलाने वाले मनोज विश्वकर्मा ने स्थानीय आदिवासी युवकों को इकट्ठा किया और अंगूठी की खोज शुरू की. उन्होंने पहले झरने के आसपास पेड़ों के पत्तों को हटाया और मैदान को झाड़ू से साफ किया, लेकिन अंगूठी नहीं मिली. फिर उन्होंने झरने की रेत में खोज शुरू की, जहां जित्का खेल रही थीं. दो दिन तक ठंडे पानी में रेत छानने, पत्ते हटाने, और छोटे-छोटे कणों की तलाश करने के बाद आखिरकार आदिवासियों को वह कीमती अंगूठी मिल गई. मनोज विश्वकर्मा ने तुरंत प्रकाश टाटा को इसकी जानकारी दी.
प्रकाश टाटा ने जित्का को फोन कर अंगूठी मिलने की खबर दी. जित्का को पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ, लेकिन वीडियो कॉल पर मनोज विश्वकर्मा ने अंगूठी दिखाई, जिसे देखकर जित्का की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े. उन्होंने कहा, "दुनिया में इतने ईमानदार लोग मैंने कहीं नहीं देखे. 22 लाख की अंगूठी मिलने के बाद भी इन्होंने हमें बताया." जित्का तुरंत छोटा महादेव पहुंचीं और अंगूठी देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने आदिवासियों को ₹5 लाख का इनाम देने की पेशकश की, लेकिन आदिवासियों ने विनम्रता से इसे ठुकरा दिया. उनका कहना था कि "आप हमारी मेहमान हैं, हमारी बहन हैं. हम आपकी मजबूरी का फायदा नहीं उठा सकते." जित्का के आग्रह पर उन्होंने केवल ₹41,000 अपनी दो दिन की मेहनत के मेहनताने के रूप में स्वीकार किए. जित्का ने आदिवासियों के साथ सेल्फी ली और वादा किया कि अगली बार छिंदवाड़ा आने पर वे उनके लिए गिफ्ट लाएंगी.